केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नौकरी के बदले जमीन घोटाला से जुड़े मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव तथा पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मामले में यह दूसरा आरोपपत्र है और इसमें 14 अन्य लोगों के भी नाम शामिल हैं। अधिकारियों ने बताया कि यह मामले में पहला आरोपपत्र दाखिल होने के बाद सामने आए दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर दाखिल किया गया है। उन्होंने बताया कि इस मामले में पहली बार तेजस्वी यादव का नाम आरोपी के तौर पर शामिल किया गया है। आरोपियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी समेत संबंधित प्रासंगिक धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
अधिकारियों ने कहा कि यादव परिवार के सदस्यों के अलावा, सीबीआई ने मामले में एके इन्फोसिस्टम्स और कई बिचौलियों को भी नामजद किया है। आरोपपत्र विशेष सीबीआई अदालत में दाखिल किया गया। अधिकारियों ने कहा कि दूसरा आरोपपत्र इसलिए दाखिल किया गया, क्योंकि प्रारंभिक रिपोर्ट दाखिल होने तक आरोपियों की कथित भूमिका के संबंध में जांच पूरी नहीं हो सकी थी। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने ‘नौकरी के बदले जमीन’ लेने संबंधी घोटाले से जुड़े मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल होने के बाद उन्हें मंत्रिपरिषद से बर्खास्त किए जाने की मांग की है।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2004-2009 में संप्रग सरकार में लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहने के दौरान बिना किसी विज्ञापन या सार्वजनिक सूचना के नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर पसंदीदा लोगों को रेलवे में नियुक्त किया गया। एजेंसी के मुताबिक, रेलवे में नौकरी के बदले में अभ्यर्थियों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लालू प्रसाद के परिवार के सदस्यों को बाजार भाव से काफी कम दरों पर जमीन बेची थी। एजेंसी ने 18 मई, 2022 को लालू प्रसाद और उनकी पत्नी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एजेंसी ने सोमवार को कहा कि जांच के दौरान पटना के 10, सर्कुलर रोड पर एक ‘हार्ड डिस्क’ मिली, जिसमें 1,458 अभ्यर्थियों की सूची थी, जो लालू प्रसाद के कार्यकाल के दौरान रेलवे में भर्ती हुए थे।
पटना के 10, सर्कुलर रोड का उपयोग लालू प्रसाद ने अपने कार्यालय के रूप में किया था। सीबीआई के प्रवक्ता ने दावा किया कि जांच के दौरान पाया गया कि तत्कालीन रेल मंत्री (लालू प्रसाद) ने रेलवे में ‘ग्रुप-डी’ की भर्ती के लिए अभ्यर्थियों से अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूखंड लेने की साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि आरोपियों ने कथित तौर पर अपने सहयोगियों के माध्यम से ऐसे अभ्यर्थियों के आवेदन और दस्तावेज एकत्र किए थे और फिर उन्हें नौकरी देने के लिए पश्चिम मध्य रेलवे भेजा था। प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि आरोपियों के प्रभाव के चलते पश्चिम मध्य रेलवे के महाप्रबंधकों ने इन अभ्यर्थियों की नियुक्ति को मंजूरी दे दी।