चेन्नई। मद्रास उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर मंगलवार को खंडित फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति जे. निशा बानू और न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने बालाजी की पत्नी की ओर से अपने पति को कथित तौर पर ‘‘अवैध तरीके से हिरासत’’ में लिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति जे. निशा बानू ने बालाजी को रिहा करने को कहा, तो न्यायमूर्ति डी. भरत चक्रवर्ती ने इससे असहमति जतायी। इसके बाद पीठ ने रजिस्ट्री को मुख्य न्यायाधीश के सामने मामला रखने का निर्देश दिया ताकि वह किसी अन्य पीठ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करें।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ‘नौकरी के बदले नकदी’ के कथित घोटाले से जुड़े धन शोधन के एक मामले में सेंथिल बालाजी को 14 जून को गिरफ्तार किया था। ईडी ने मंत्री पर 2014-15 में राज्य के परिवहन उपक्रमों में कथित ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले में अपने पद का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। बालाजी पहले अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) में थे और दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता की सरकार में परिवहन मंत्री थे।