भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला पहलवानों ने उनके खिलाफ दायर आरोपपत्र की प्रति मांगने के लिए सोमवार को दिल्ली की एक अदालत का रुख किया। शहर पुलिस ने भाजपा सांसद सिंह के खिलाफ 15 जून को भादंवि की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का इस्तेमाल), 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354-डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोपपत्र दाखिल किया था। अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने शिकायतकर्ताओं के वकील को अदालत की प्रतिलिपि इकाई में प्रमाणित प्रति के लिए आवेदन करने का निर्देश दिया। एसीएमएम कल आरोपपत्र पर विचार करने वाले हैं।
आरोप पत्र में डब्ल्यूएफआई के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर का भी नाम भादंवि धारा 109 (किसी भी अपराध के लिए उकसाना, यदि उकसाया गया कार्य परिणामस्वरूप किया गया हो, और जहां इसके लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है), धारा 354, 354-ए और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत अपराध के लिए नामित किया गया है। वर्तमान मामले के अलावा, एक नाबालिग पहलवान द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के आधार पर पॉक्सो अधिनियम के तहत सिंह के खिलाफ एक और प्राथमिकी दर्ज की गई थी। वह उन सात महिला पहलवानों में शामिल थीं जिन्होंने सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। दोनों प्राथमिकी, एक दशक से अधिक समय में अलग-अलग वक्त और स्थानों पर सिंह द्वारा अनुचित स्पर्श, छेड़छाड़, पीछा करने और धमकी देने जैसे यौन उत्पीड़न के कई कथित उदाहरणों का वर्णन करती हैं।
नाबालिग के मामले में दिल्ली पुलिस ने 15 जून को एफआईआर रद्द करने की मांग करते हुए अंतिम रिपोर्ट दायर की थी। मामला रद्द करने की रिपोर्ट उन मामलों में दाखिल की जाती है जहां पुलिस उचित जांच के बाद पुष्टिकारक साक्ष्य ढूंढने में विफल रहती है। एक चौंकाने वाले खुलासे में, नाबालिग पहलवान के पिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था कि उन्होंने और उनकी बेटी ने सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न की “झूठी” पुलिस शिकायत दर्ज करायी थी क्योंकि वे लड़की के खिलाफ कथित अन्याय के लिए उनसे बदला लेना चाहते थे। पुलिस अब तक दो बार सिंह से पूछताछ कर चुकी है और दोनों ही बार उन्होंने उन पर लगे आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि उन्हें “फंसाया” गया है।