वाराणसी में IIT-BHU के रिसर्च स्कॉलर कुलदीप सिंह ने सुसाइड कर लिया। हॉस्टल के रूम का दरवाजा तोड़कर रविवार रात 10 बजकर 15 मिनट पर शव बाहर निकाला गया। कमरे से सुसाइड नोट नहीं मिला। 7 महीने पहले यानी नंवबर 2022 में कुलदीप की शादी हुई थी। वह मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। IIT-BHU से मैथमैटिक्स में रिसर्च कर रहा था।
मौके पर पहुंची वाराणसी पुलिस ने परिजनों को सूचित कर दिया। सुसाइड की वजह की छानबीन की जा रही है। हॉस्टल में कुलदीप के दोस्तों ने बताया कि जुलाई 2023 में उसकी फेलोशिप बंद होने वाली थी। इसको लेकर वह डिप्रेशन में था।
छात्रों ने पुलिस को कॉल किया
कुलदीप सिंह BHU कैंपस में SN बोस हॉस्टल के कमरा नंबर 88 में रहता था। वह मैथेमैटिकल साइंस डिपार्टमेंट का PhD का छात्र था। रात करीब 9 बजे के आसपास हॉस्टल के छात्रों ने पुलिस को फोन कर बताया कि कुलदीप का कमरा शाम 6 बजे के बाद खुला नहीं है। न ही शाम से लाइट जल रही या पंखा चल रहा। नॉक करने पर भी दरवाजा नहीं खुला। मोबाइल भी नहीं उठा रहा है।
छात्रों की इस सूचना पर लंका थाने की पुलिस हॉस्टल पहुंची। पुलिस की मौजूदगी में दोस्तों ने दरवाजा तोड़ा। पुलिस ने अंदर पहुंचकर लाइट ऑन की तो देखा कुलदीप पंखे के सहारे फांसी पर लटका था। उसका पैर तख्त पर था। दूसरा हवा में था। पुलिस ने कमरे की तलाशी ली, लेकिन सुसाइड नोट नहीं मिला। कुछ छात्रों ने दरवाजा तोड़ने से लेकर पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी बनाया।
दिल्ली यूनिवर्सिटी से किया था ग्रेजुएशन
दोस्तों ने बताया कि कुलदीप की PhD अगले महीने पूरी होने वाली थी। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और बेंगलुरु से PG करने के बाद नौकरी करने की बजाय टीचिंग प्रोफेशन के लिए रिसर्च से जुड़ा था। इसके लिए उसने GATE एग्जाम क्लियर किया। फिर, IIT-BHU से PhD करने लगा था। उसकी प्री-पीएचडी सबमिट हो चुकी थी। अगले महीने थीसिस जमा करने की तैयारी थी। वहीं, ACP प्रवीण सिंह ने कहा कि सुसाइड की वजह अभी स्पष्ट नहीं है। परिजन वाराणसी पहुंच चुके हैं, मगर वह कुछ भी बातचीत नहीं कर रहे हैं।
36 हजार मिलती है फेलोशिप
दोस्तों ने बताया कि कुलदीप को 36 हजार रुपए महीने फेलोशिप मिलती थी। किसी भी PhD छात्र को यह फेलोशिप 5 साल मिलती है। पहले दो साल 21 हजार और उसके बाद 36 हजार रुपए। छात्रों का कहना है कि कुलदीप काफी मेधावी था। शादी के बाद भी वो हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहा था। छात्रों ने बताया कि पैसे को लेकर भी डिप्रेशन में हो सकता है।
4 अंतरराष्ट्रीय रिसर्च पेपर कर चुका था प्रकाशित
गूगल स्कॉलर के अनुसार, अब तक कुलदीप के हाई इंपैक्ट के इंटरनेशनल जर्नल में 4 रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके थे। हालांकि, कुलदीप के गाइड डॉ. सुनील कुमार ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया।
पिछले साल भी एक छात्र ने लगाई थी फांसी
हॉस्टल के वार्डेन और IIT-BHU का प्रशासन इस घटना पर कुछ भी कहने-सुनने से इंकार कर रहा है। इससे पहले, पिछले साल जून में M-Tech के छात्र भगवान सिंह (28) ने विश्ववरैया हॉस्टल में फांसी लगाकर जान दे दी थी। वह प्लेसमेंट न होने की वजह से दबाव में था।