नई दिल्ली: नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को वर्ष 1987 में जब भारत और पाकिस्तान की संयुक्त मेजबानी में आयोजित रिलायंस वर्ल्डकप (Reliance World Cup) की भारतीय टीम में स्थान दिया गया था तो कई लोगों ने हैरानी जताई थी. इसके पीछे वजह भी थी. सिद्धू ने इससे पहले भारत (Team India)के लिए वनडे नहीं खेले थे. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ वर्ष 1983 में अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था. इसके नवजोत ने बेहद धीमी गति से बल्लेबाजी की थी ओर इस कारण उन्हें ‘स्ट्रोकलेस वंडर’ का नाम दे दिया गया था.जाहिर हैं, ऐसे में ज्यादा लोगों को उम्मीद नहीं थी कि ‘स्ट्रोकलेस वंडर’के खिताब से नवाजे गए सिद्धू फटाफट शैली के क्रिकेट में कुछ कर पाएंगे. बहरहाल तमाम आलोचक गलत साबित हुए और सिद्धू रिलांयस वर्ल्डकप में भारत के लिए बड़ी खोज साबित हुए. नवजोत ने लगभग तमाम प्रतिद्वंद्वी टीमों के खिलाफ इतने छक्के उड़ाए कि स्ट्रोकलेस वंडर’ से उनका नाम बदलकर ‘सिक्सर किंग’ कर दिया गया.
वर्ल्डकप जैसे टूर्नामेंट में वनडे करियर का डेब्यू करने वाले खिलाड़ी पर दबाव कम नहीं होता लेकिन नवजोत सिंह सिद्धू इस दबाव में डगमगाए नहीं बल्कि उन्होंने इस दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिया. वनडे डेब्यू में अर्धशतक लगाने वाले इस ‘सरदार’ ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार चार पचासे जड़कर रिकॉर्ड बुक अपना नाम दर्ज कराया. वर्ल्डकप-1987 में भारतीय टीम सेमीफाइनल तक पहुंची थी जहां उसे इंग्लैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा था.
नवजोत ने अपना वनडे डेब्यू, रिलायंस वर्ल्डकप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में किया था. इस रोमांचक मैच में हालांकि भारतीय टीम को 1 रन की हार का सामना करना पड़ा था लेकिन सिद्धू इसमें अपनी खास छाप छोड़ने में सफल रहे. उन्होंने 79 गेंदों पर चार चौकों और पांच छक्कों की मदद से 73 रन की पारी खेली थी और टीम इंडिया के टॉप स्कोरर रहे थे. न्यूजीलैंड के खिलाफ टीम इंडिया ने अपना दूसरा मैच खेला था, इसमें सिद्धू ने चार छक्कों और इतने ही चौकों की मदद से 75 रन जड़े थे. इस मैच में भारतीय टीम की जीत में उनका भी अहम योगदान रहा था. जिम्बाब्वे के खिलाफ टीम इंडिया के तीसरे मैच में उन्हें बैटिंग का अवसर नहीं मिला था और टीम इंडिया ने 8 विकेट से जीत हासिल कर ली थी.
भारत का अगला मैच एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया से था जिसमें सिद्धू ने 70 गेंदों पर दो चौकों की मदद से 51 रन बनाए थे. इस पारी में वे कोई छक्का नहीं लगा पाए थे. भारत यह मैच 56 रन से जीता था.भारतीय टीम के अगले मैच में सिद्धू ने 61 गेंदों पर 55 रन बनाए थे जिसमें पांच चौके और एक छक्का शामिल था. इस तरह उन्होंने अपने डेब्यू वर्ल्डकप में ही लगातार चार अर्धशतक लगातार इतिहास रच डाला था.न्यूजीलैंड के खिलाफ अगले मैच में सिद्धू को एक बार फिर बैटिंग की जरूरत नहीं पड़ी थी और भारत ने 9 विकेट से मैच जीत लिया था जबकि इंग्लैंड के खिलाफ टूर्नामेंट के सेमीफाइनल मैच में सिद्धू 22 रन बनकर आउट हो गए थे और उनके अर्धशतकों के सिलसिले पर ‘ब्रेक’ लग गया था.
पहले ही वर्ल्डकप में बनाए थे 276 रन
वर्ल्डकप-1987 में सात मैच खेलते हुए नवजोत सिद्ध ने पांच पारियों में 55.20 के औसत से 276 रन बनाए थे. वर्ल्डकप जैसे बड़े टूर्नामेंट में डेब्यू करने के लिहाज से यह प्रदर्शन जोरदार था.स्ट्राइक रेट 85.98 का था और इस दौरान सिद्धू ने 15 चौके और 10 चौके लगाए थे. रिलायंस वर्ल्डकप में भारत के लिए सिद्धू से ज्यादा रन सुनील गावस्कर (300) ने ही बनाए थे.