वाराणसी में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में ज्ञानवापी मुक्ति महापरिषद संवाद श्रृंखला के तहत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें वक्ताओं ने ज्ञानवापी विवाद को लेकर चल रहे कानूनी स्थितियों व अन्य बिंदुओं पर चर्चा की। साथ ही मामले के शीघ्र निस्तारण की कामना की।
डॉ. ज्ञानप्रकाश मिश्र ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य काशी विश्वनाथ परिसर स्थित ज्ञानवापी विवाद पर विविध पक्षों और विद्वानों के तर्कों के साथ कानूनी स्थितियों से आम जनमानस को अवगत कराना है। श्रृंगार गौरी मुकदमे में वादी राखी सिंह के अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने ज्ञानवापी मुद्दे के कानूनी पक्ष पर प्रकाश डाला। साथ ही माननीय न्यायालय की ओर से न्याय हित में प्रकरण को शीघ्रता से निस्तारित किए जाने की आशा प्रकट की।
मुख्य अतिथि काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने काशी विश्वनाथ मंदिर के ऐतिहासिक तथा पौराणिक संदर्भों की व्याख्या की। विश्वास जताया कि जिस दिन भोलेनाथ अपनी जटा खोलेंगे, उस दिन इस मुकदमे की उलझन भी खुल जाएगी। पहली बार प्रोफेसर पांडेय ने सार्वजनिक मंच से सरकार से न्यास परिषद के अध्यक्ष की हैसियत से मांग किया कि न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाणों के आलोक में शासन हिंदू जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय ले।
ज्ञानवापी शृंगार गौरी प्रकरण की वादिनी मंजू व्यास तथा रेखा पाठक को संयोजक राजा आनंद ज्योति सिंह द्वारा सम्मानित किया गया। संचालन पतंजलि पांडेय व धन्यवाद ज्ञापन अभिषेक निगम ने किया। अनिल रावल शास्त्री, दीप मेहरोत्रा, श्रीवास्तव, संजय, आरंभ में विषय प्रवर्तन करते आशीर्वाद दुबे, अक्षय तिवारी, अधोक्षज, मनोज अग्रहरि आदि मौजूद रहे।