विदेशी नेताओं के लिए उपहार वही मायने रखता है जो कि एक अनुवादक के लिए लैटिन हैं। वाक्यविन्यास और व्याकरण को समझें, बारीकियों को पकड़ें और दोस्तों को जीतें. वहीं दुश्मनों को निहत्था भी करें। लेकिन छुपे हुए वाक्य पर नजर रखें। राजनयिक उपहार कुछ समय के लिए फोटो-ऑप्स द्वारा अमर किए गए प्रतीक हैं। उपहारों की कोई विचारधारा नहीं होती, केवल भव्यता के विचार होते हैं। किसी विदेशी मेहमान के भारत आने या भारत के अगुवा के रूप में दूसरे देश जाने पर उपहार के आदान-प्रदान की परंपरा तो वर्षों पुरानी है। लेकिन साल 2014 के बाद सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिफ्ट डिप्लोमेसी के स्वरूप को बदल कर रख दिया। उन्होंने विदेशी मेहमानों को हमेशा ऐसी चीजें दी जो भारतीय संस्कृति और विरासत की पहचान रही है। कई मौकों पर पीएम मोदी की ओर से विदेशी मेहमानों को भगवद हीता की प्रति दी गई। उपनिषदों का अनुवाद बी करवाया गया। देश के विभिन्न हिस्सों की संस्कृति को दिखाने वाली चीजें बतौर गिफ्ट डिप्लोमेसी दी गई।
राजनेताओं के साथ संवाद की अनोखी विशेषता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राएं कई कारणों से उनके पूर्ववर्तियों द्वारा की गई विदेशी यात्राओं की तुलना में काफी हटकर रही हैं। इसके पीछे प्रवासी भारतीयों, व्यापारिक समुदाय, उद्योगपतियों, नवप्रवर्तकों, राजनीतिक नेताओं के साथ उनका इंटरैक्सन और कई अन्य अनूठी विशेषताएं शामिल हैं। मोदी ने विभिन्न देशों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए लाखों डॉलर की क्रेडिट लाइन की पेशकश की है। मोदी ने विकसित देशों से टेक्नोलॉजी, फंडिंग और कच्चे माल के लिए मदद मांगी है। इसके विपरीत मोदी ने कई देशों को क्षमता निर्माण, बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा आदि के लिए सहायता की पेशकश की। उनसे मिले राष्ट्राध्यक्षों या पूरे देश के लिए प्राचीन वस्तुएं, स्वास्थ्य देखभाल उपकरण, एम्बुलेंस आदि उपहार में देना उन अनूठी विशेषताओं में से एक रही।
कितने देशों का दौरा कर चुके हैं पीएम मोदी
2014 के बाद से अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 68 विदेश दौरों के जरिए 64 देशों की यात्रा कर चुके हैं। कुछ ऐसे भी देश हैं, जहां पीएम एक से ज्यादा बार जा चुके हैं। उन्होंने एक ही देश की कई यात्राओं के साथ दुनिया के लगभग सभी हिस्सों को कवर किया है। दुनिया में 36 देश ऐसे हैं, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ एक बार यात्रा की है। इनमें से भी कई ऐसे देश हैं, जहां किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा रही है। अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान जैसे दुनिया के 16 देशों में प्रधानमंत्री का दो बार दौरा हो चुका है। श्रीलंका, ब्रिटेन और उज़्बेकिस्तान आदि की पीएम मोदी तीन बार यात्रा कर चुके हैं।
विकसित हो या विकासशील देश उपहार ले जाना नहीं भूलते
उल्लेखनीय है कि मोदी जब भी द्विपक्षीय वार्ता के लिए विदेशी दौरे पर जाते हैं तो अक्सर एक उपहार लेकर जाते हैं, भले ही वह किसी विकसित देश के साथ हो या विकासशील देश के साथ। मोदी ने कूटनीति का एक नया तरीका तैयार किया है जिसे भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में उपहार कूटनीति कहा जा सकता है। उपहार कूटनीति भारत की संस्कृति, परंपरा और मानवता के प्रति उसकी देखभाल को दर्शाती है। इस पेपर का उद्देश्य 2014 से 2019 तक भारत के प्रधानमंत्री रहने के दौरान मोदी की उपहार कूटनीति के गहन विवरण को कवर करना है। यह पेपर तीन खंडों में विभाजित है। पहला खंड मोदी द्वारा अपनी विदेश यात्राओं के दौरान दिए गए उपहारों पर एक विस्तृत रिपोर्ट है। दूसरा खंड मोदी के गिफ्ट डिप्लोमेसी के मूल उद्देश्यों या सार का विश्लेषण है और अंतिम खंड निष्कर्ष है।
मोदी के प्रस्तुतीकरण में नजर आती है राष्ट्रवाद की झलक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाली में जी20 मीटिंग में उपहार लेकर आए थे। मोदी लीक से हटकर सोचने में माहिर हैं। हालाँकि तीन दिवसीय शिखर सम्मेलन में 19 दिग्गज मौजूद थे, लेकिन अपेक्षित रूप से केवल मोदी के उपहारों ने ही भारतीय मीडिया में सुर्खियाँ बटोरीं। जो बाइडेन, शी जिनपिंग, ऋषि सुनक के राष्ट्रपति सिर्फ संपादकीय पेज पर ही सिमटकर रह गए। मोदी जो कुछ भी करते हैं वह अर्थ से भरा होता है। जून 2022 में जर्मनी में जी7 के दिग्गजों को मोदी के उपहार उत्तर प्रदेश के हस्तशिल्प थे, जहां उन्होंने पार्टी को भारी जीत दिलाई थी। इसके अलावा बाइडेन को जो गुलाबी मीनाकारी ब्रोच और कफ़लिंक मिला, वह मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी से आया था। कुल मिलाकर कहे तो मोदी के प्रस्तुतीकरण में राष्ट्रवाद की झलक साफ नजर आती है जो जो औपनिवेशिक आख्यान का खंडन करती है।
बाइडेन को दिया दृष्टसहस्त्रचन्द्रो है काफी खास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन से मुलाकात की तो उन्हें एक खास तोहफा भी दिया। चंदन की लकड़ी से बने बक्से में दृष्टसहस्त्रचन्द्रो नाम का उपहार दिया। वैसे तो ये उपहार आमतौर पर उस व्यक्ति को दिया जाता है जो एक हजार पूर्णिमा के चंद्रमा को देख चुका हो। इसके इतर ये उस व्यक्ति को भी दिया जा सकता है, जो 80 वर्ष और 8 महीने की उम्र पूरी कर चुका हो। हिंदू परंपराओं में सहस्त्र पूर्ण चंद्रोदयन के मौके पर दस अलग-अलग तरह की वस्तुओं को दान करने की परंपरा है। इसमें गौदान, भूदान, तिलदान, हिरण्यदान (सोने), घृतदान (घी), धान्यदान (फसल), वस्त्रदान (कपड़े), गुड़दान, रौप्यदान (चांदी) और लवणदान (नमक) की परंपरा है। पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को जो बॉक्स दिया है, उसमें चांदी से बना नारियल है, जो गाय के दान यानी गौदान की जगह पर प्रयोग में लाया जाता है। चंदन की लकड़ी से बना बॉक्स भूदान के तौर पर प्रयोग किया जाता है। हिरण्यदान के लिए इस बॉक्स में 24 कैरेट की शुद्धता वाला सोने का सिक्का है। इस बॉक्स में 99.5 प्रतिशत की शुद्धता वाला चांदी का सिक्का भी है।