राजस्थान में चल रही वृद्धावस्था पेंशन योजना में एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। चौंकाने वाली बात ये है कि मृत हो चुके लोगों के खातों से भी पेंशन उठाई जा रही थी।
पेंशन के 150 करोड़ रुपए से ज्यादा उन लोगों में बंट गए जो राजस्थान के है ही नहीं। ऐसे लोगों की संख्या एक लाख से भी ज्यादा है।
अब तक करीब 4 लाख लोगों का रिकॉर्ड सामने आया है, जो उम्र और कमाई में फर्जीवाड़ा कर सरकार को 450 करोड़ की चपत लगा चुके हैं।
सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग ने विधानसभा को भेजे जवाब में बताया कि यह गड़बड़ी ऑडिट में सामने आई है। पेंशन उठाने वालों में 10 हजार से ज्यादा लोग ऐसे भी हैं, जिनकी आयु 100, 110, 113, 115 या इससे भी ज्यादा बताई गई है। विभाग ने इन सभी 10 हजार लोगों के पेंशन खातों को अपने रडार पर ले लिया है और अब हर एक खाते की बारीकी से जांच हो रही है।
वो मामले, जिन्हें देख विभाग के अधिकारी चौंक गए…
केस-1
बिहार के बेगूसराय जिला निवासी 62 वर्षीय कमलेश कुमार भीलवाड़ा में अपने बेटे के पास रहते हैं। मूल निवासी बिहार के होने के बावजूद राजस्थान में वृद्धावस्था पेंशन उठा रहे थे। यह मामला सामने आने के बाद जब विभाग ने रिकॉर्ड खंगाले तो अकेले भीलवाड़ा में ऐसे लोगों की संख्या 8 हजार 787 सामने आई। भरतपुर, डूंगरपुर सहित कई जिले में ऐसे ही कई केस सामने आए हैं।
केस-2
जयपुर के चांदपोल इलाके में एक 74 वर्षीय बुजुर्ग की कोरोना में मौत होने के बावजूद, उसके परिजन उसके नाम से वृद्धावस्था पेंशन उठाते रहे। किसी की शिकायत पर विभाग ने चेक किया तो सामने आया कि मई 2020 में उसकी कोरोना से डेथ हो चुकी थी। इसके बावजूद मार्च 2021 तक उस मृतक के नाम से करीब 16 हजार 500 रुपए की पेंशन उठ गई।
केस-3
पेंशन के लिए विधवा तक बनीं, किसी ने उठाई दो-दो पेंशन
ऑडिट में करीब 93 हजार 376 लोगों की पेंशन राशि में डुप्लीकेशन सामने आया है। यानी दोहरी पेंशन। कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें कम उम्र की महिलाओं ने पेंशन उठाने के लिए विधवा के फर्जी सर्टिफिकेट बनवा लिए। इनको विधवा पेंशन तो मिल ही रही थी साथ ही उम्र बढ़ी हुई दिखाकर वृद्धावस्था पेंशन भी स्वीकृत करवा ली। अधिकांश में मोबाइल नंबर, आयु प्रमाण पत्र, पता, खाता संख्या सब फर्जी निकल कर सामने आ रहे हैं। अब इनकी नए सिरे से जांच की जा रही है।
6 हजार 416 लोग मर चुके, फिर भी पेंशन उठा रहे बच्चे
इसी तरह कोरोना काल में करीब 6416 बुजुर्ग पेंशनर मर गए, लेकिन उनकी संतानें चुपचाप 10-20 महीनों तक पेंशन उठाती रहीं। अब इन सबको जांचने की कवायद चल रही है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि विभाग को अब तक जिन 4 लाख लोगों ने ठगा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई, बस उनकी पेंशन रोक दी गई। उनसे उस राशि को वसूलने का काम भी नहीं हो पा रहा है।
1 लाख से ज्यादा बाहरी : भरतपुर नंबर-1, सबसे ज्यादा UP के मूल निवासी
बाहरी राज्यों के नागरिक होते हुए भी राजस्थान सरकार के खजाने से फर्जी तरीके से पेंशन उठाने वाले 1 लाख 13 हजार 927 लोगों का पता लग चुका है। इस फर्जीवाड़े में भरतपुर जिला नंबर-1 पर है। यहां बसने वाले उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों ने सबसे ज्यादा पेंशन उठाई है।
ये हैं टॉप-10 जिले
फर्जी तरीके से पेंशन पाने वाले टॉप-10 जिले
डॉक्युमेंट में अपनी उम्र के गलत प्रमाण-पत्र लगाकर पेंशन उठाने के मामले में सबसे टॉप पर दौसा जिला आता है। वहीं, आय (इनकम) संबंधी गलत प्रमाण-पत्र लगाकर पेंशन उठाने के मामलों में बूंदी टॉप पर है।
आयु संबंधी गलत प्रमाण-पत्र प्रस्तुत करके पेंशन उठाने के मामले में दौसा, करौली, भरतपुर, अलवर और नागौर टॉप-5 जिले हैं। इन जिलों में दौसा में 13955, करौली में 10485, भरतपुर में 7951, अलवर में 5698 और नागौर में 4898 लोगों ने आयु संबंधी फर्जीवाड़ा करके पेंशन उठा ली।
आय (इनकम) संबंधी गलत प्रमाण पत्र लगाकर पेंशन उठाने के मामलों में बूंदी, झालावाड़, जयपुर, बारां और हनुमानगढ़ जिलों के लोग अव्वल रहे हैं। इन जिलों में झालावाड़ में 5852, बूंदी में 5553, जयपुर में 4091, बारां में 3913 और हनुमानगढ़ में 3751 लोगों ने गलत तरीके से पेंशन राशि हासिल की।
एक गलती से सरकार को लगी 150 करोड़ की चपत
अधिकारियों ने बताया कि पेंशन फर्जी तरीके से उठाने के मामलों में अभी तक ई-मित्र संचालकों की मिलीभगत सामने आई है। प्राइमरी स्टेज पर यहीं से पेंशन के लिए आवेदनों में फर्जीवाड़ा होता है। साल 2020 से लेकर अब तक कई ई-मित्र संचालकों के लाइसेंस रद्द किए जा चुके हैं।
वहीं, बाहरी राज्यों के लोगों ने जो वृद्धावस्था पेंशन के आवेदन किए, विभाग ने मूल निवास प्रमाण-पत्रों का ठीक से वेरिफिकेशन नहीं किया। अगर यहीं वेरिफिकेशन कर लिया जाता तो सरकार के 150 करोड़ रुपए बचाए जा सकते थे।
राजस्थान में बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ के लोग जो राजस्थान में रहकर काम कर रहे हैं, ज्यादातर लोगों ने पेंशन में आवेदन किया। नियमानुसार उन्हें पेंशन नहीं मिल सकती थी। अब इनके रिकॉर्ड हटाए जा रहे हैं।
दौसा जिले में एक साथ बंद कराए थे 37 ई-मित्र केंद्र
दौसा जिले में जून-2020 में तत्कालीन कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी ने फर्जी पेंशन के मामलों को पकड़ा था, तब उन्होंने एक साथ 37 ई-मित्र केंद्रों को बंद करवा दिया था। उन केंद्रों से दस्तावेजों में कांट-छांट कर, गलत एंट्री कर उन महिलाओं को भी पेंशन दी जा रही थी, जो विधवा नहीं थी। जो बुजुर्ग नहीं थे उन्हें भी पेंशन मिलने लगी थी। उस मामले में पुलिस ने बहुत से लोगों को पकड़ा भी था।
वृद्धावस्था पेंशन : फर्जीवाड़े से नुकसान का आंकड़ा 450 करोड़ से पार
राजस्थान में विभिन्न योजनाओं में करीब 94 लाख लोगों को पेंशन मिलती है। नए आवेदनों (राहत शिविर सहित) के बाद इनकी संख्या एक करोड़ पार करने का अनुमान है। आय और आयु संबंधी गलत प्रमाण-पत्रों के जरिए करीब 2 लाख 75 हजार लोगों ने फर्जी पेंशन उठा कर सरकार को 300 करोड़ रुपए की चपत लगा दी। वहीं अब बाहरी राज्यों के 1 लाख 13 हजार से ज्यादा लोगों ने कई सालों तक पेंशन उठाकर 150 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है। कुल आंकड़ा मिलाया जाए तो राज्य सरकार को अब तक करीब 450 करोड़ रुपए की चपत लग चुकी है।
कैसे-कैसे हुआ फर्जीवाड़ा, आइए बताते हैंं…
पिछले 4 सालों में 3358 लोग तो ऐसे हैं, जो सरकारी नौकरी से रिटायर हुए, लेकिन उन्होंने वृद्धावस्था पेंशन भी उठा ली। जबकि उन्हें सरकारी नौकरी के एवज में भी पेंशन मिलती रही है।
नियमानुसार जिन बुजुर्गों के पति, पत्नी, पुत्र सरकारी नौकरी में रहे हैं, उन्हें पेंशन नहीं मिल सकती, लेकिन 34 हजार 444 ऐसे लोगों ने भी अपात्र होते हुए पेंशन उठा ली।
नियमानुसार महिलाओं को 55 साल और पुरुषों को 58 साल की आयु पर ही वृद्धावस्था पेंशन का पात्र माना जाता है, लेकिन 89 हजार 22 लोगों ने इस आयु को पूरा किए बिना ही पेंशन राशि उठा ली, इसके लिए उन्होंने आयु संबंधी प्रमाण पत्र फर्जी लगाए थे
नियमानुसार पेंशन राशि उन्हीं बुजुर्गों को मिल सकती है, जिनकी वार्षिक आय 40 हजार रुपए से अधिक नहीं हो, लेकिन आय संबंधी प्रमाण-पत्र गलत पेश करके 50331 लोगों ने पेंशन राशि उठा ली।
बाहरी राज्यों के 1 लाख 13 हजार ने अवैध रूप से राजस्थान से पेंशन उठाई, जबकि राजस्थान का मूल निवासी ही इसका पात्र हो सकता है।
फर्जी पेंशनर्स के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे : समित शर्मा
सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग के शासन सचिव डॉ. समित शर्मा ने बताया कि हमारी ऑडिट में ये मामले पकड़ में आए हैं। फर्जी ढंग से पेंशन उठाने वालों में राजस्थान से बाहर के लोगों की संख्या 1 लाख से ज्यादा है। कुछ महिलाओं ने खुद को विधवा बताकर पेंशन उठा ली। जिन युवाओं की उम्र 15-16 साल थी, फिर भी पेंशन उठा ली।
जिनके माता-पिता का निधन हो गया, फिर भी उनके बच्चे मोबाइल पर आने वाले ओटीपी से पेंशन उठाते रहे। जिनके बच्चे सरकारी नौकरियों में हैं, उनके माता-पिता ने भी पेंशन के लिए आवेदन कर दिया। ऐसे लोगों के रिकॉर्ड बनाकर पेंशन रोक दी गई है। ऑडिट का काम भी तेज कर दिया है। हमारा उद्देश्य है हर पात्र व्यक्ति को पेंशन मिले। अपात्रों से रिकवरी के लिए ऑर्डर जारी किए हैं।
विधायक राजवी के विधानसभा में सवाल के बाद खुला फर्जी पेंशन का मामला
सरकार की विभिन्न योजनाओं में पेंशन को फर्जी तरीके से हड़पने के केस प्रदेश के विभिन्न जिलों में आते रहे हैं, लेकिन कभी यह सच सामने नहीं आ सका कि पूरे प्रदेश में कुल कितने मामले इस तरह के घटित हो गए। इसका खुलासा तब हुआ जब भाजपा के वरिष्ठ विधायक नरपत सिंह राजवी (विद्याधर नगर) ने विधानसभा में सवाल लगाया। तब सरकार ने जो जवाब दिया वो चौंकाने वाला था।
राजवी ने भास्कर को बताया कि हम विधायक हों चाहे सीएम खुद हम सब लोग सरकारी खजाने के कस्टोडियन हैं। हमें खजाने की रक्षा करने का दायित्व निभाना ही है। इसलिए सवाल लगाना ही पड़ा। अब जवाब मिले हैं कि जो विधवा नहीं उसने भी उठी ली पेंशन, जो बुजुर्ग नहीं उसने भी पेंशन उठा ली, जो राजस्थान का निवासी ही नहीं उसने भी पेंशन उठा ली पेंशन। यह तो हद ही हो गई।
वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड CM तक पहुंचाएगा मामला
राजस्थान सरकार के राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष एडवोकेट राजेश टंडन ने भास्कर को बताया कि वृद्धावस्था पेंशन सरकार ने बुजुर्गों की सेवा के लिए शुरू की है। इसमें पेंशन राशि किन्हीं अपात्र लोगों को ना मिले इसका ध्यान अफसरों को रखना ही चाहिए। मैं बोर्ड के माध्यम से सीएम गहलोत तक यह विषय पहुंचाऊंगा।
हमारी पार्टी की सरकार बनने पर करेंगे कड़ी कार्रवाई
भाजपा के प्रदेश महामंत्री लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने भास्कर को बताया कि एक के बाद एक घोटाले कांग्रेस सरकार में खुलते जा रहे हैं। 4-5 महीनों की बात और बची है। जब हमारी पार्टी भाजपा की सरकार बनेगी तो इन सब घोटालों की जांच करवाई जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
योजना को रोककर सभी के दस्तावेज पुन: लेने चाहिए
प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार भूपेंद्र ओझा का कहना है कि जब भी करोड़ों लोगों को एक साथ किसी योजना का पात्र बनाया जाता है, तो ऐसा ही होता है। सिस्टम को तोड़कर बहुत से लोग पात्र बन जाते हैं। अब भी न जाने कितने होंगे जो अपात्र होकर भी पेंशन ले रहे होंगे। एक बार इस योजना को रोक कर सभी के दस्तावेज पुन: लेने चाहिए। अच्छी तरह से जांच कर ही फिर पेंशन स्वीकृत की जाए, अन्यथा नहीं।
साथ ही सरकार को महिलाओं को मोबाइल बांटने, मेरिट में आने वाले छात्रों को लैपटॉप-टेबलेट देने और अन्नपूर्णा रसोई पैकेट देने जैसी योजनाओं में नकदी बांटने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए, अन्यथा जो फर्जीवाड़ा पेंशन योजना में सामने आया है, वैसा ही इन योजनाओं में भी सामने आ सकता है।