समान नागरिक संहिता को लेकर देश में एक बार फिर से बहस छिड़ गई है। विधि आयोग ने इस मामले पर पर लोगों तथा मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के सदस्यों सहित विभिन्न हितधारकों के विचार आमंत्रित कर नये सिरे से परामर्श की प्रक्रिया बुधवार को शुरू कर दी। इसको लेकर विपक्षी दल लगातार सवाल खड़े कर रहे हैं तो वहीं, इसका स्वागत कर रही है। कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा कि मोदी सरकार अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाने और ध्रुवीकरण के अपने एजेंडे को जायज ठहराने के लिए यह काम कर रही है। वहीं भाजपा का दावा है कि यह हमारे लिए शुरू से एक बड़ा मुद्दा रहा है।
UCC भाजपा का वैचारिक मुद्दा
समान नागरिक संहिता पर उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि चाहे कश्मीर से धारा 370 हटाना हो, राम मंदिर का निर्माण कार्य हो या समान नागरिक संहिता, यह(समान नागरिक संहिता) भाजपा का वैचारिक मुद्दा है। हम इसपर डटे हैं, आने वाले समय में यह दिन देखने को मिलेगा। उत्तराखंड CM पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि सबसे बात करने के बाद ड्राफ्ट की तैयारी लगभग पूरी हो गई है। हमें जैसे ही ड्राफ्ट मिलेगा हम इसे लागू करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमारी अपेक्षा है कि हिन्दुस्तान के सभी राज्य इसको लागू करें।
भाजपा का विपक्ष पर वार
भाजपा ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर विधि आयोग की ओर से जनता की राय मांगे जाने पर कांग्रेस द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर उसकी आलोचना करते हुए कहा कि वह कट्टरपंथियों के दबाव में आ गई है और वोट बैंक की राजनीति के लिए इस कदम का विरोध कर रही है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि भाजपा समान नागरिक संहिता को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिसे कांग्रेस को अपनाना चाहिए था क्योंकि यह जवाहरलाल नेहरू (पहले प्रधानमंत्री) और संस्थापक (संविधान के) थे, जिनमें से कई कांग्रेस से थे और जिन्होंने समान नागरिक संहिता की वकालत की थी।