विश्व के फेमस लेखक सलमान रुश्दी एक फेमस लेखक के तौर पर जाने जाते हैं। आज यानी की 19 जून वह अपना 76वां जन्मदिन मना रहे हैं। वैसे तो रुश्दी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। लेकिन क्या आपको यह मालूम है कि भारत में जन्मे लेखक सलमान रुश्दी पर भारत में आना बैन है। एक कॉपी राइटर से लेकर लेखक बनने तक सलमान रुश्दी का सफर काफी मुश्किलों भरा रहा। वैसे तो वह कई उपन्यास लिखे हैं। लेकिन रुश्दी के एक उपन्यास ने काफी बवाल खड़ा कर दिया था। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर सलमान रुश्दी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें के बारे में...
जन्म और शिक्षा
भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी का जन्म मुंबई में 19 जून 1947 को हुआ था। सलमान रुश्दी के पिता का नाम अनीस अहमद रुश्दी और मां का नेगीन भट्ट था। वह अपने जन्म के कुछ समय बाद ही ब्रिटेन चले गए थे। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा इंग्लैंड के रगबी स्कूल से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया। वहीं पढ़ाई पूरी होने के बाद और साहित्यकार बनने से पहले सलमान रुश्दी ने दो ऐड एजेंसियों में कॉपी राइटर का काम किया था।
शादी
सलमान रुश्दी न सिर्फ अपनी किताबों बल्कि वह अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी काफी चर्चाओं में रहे। बता दें कि उन्होंने 4 शादियां की थीं। लेकिन इनमें से कोई भी शादी सक्सेजफुल नहीं हो पाई। पहली शादी उन्होंने साल 1976 में क्लेरिसा लुआर्ड से की थी। पहली शादी से उनके एक बेटा जफर है। बेटे के जन्म के बाद साल 1999 में पहली पत्नी क्लेरिसा की मौत हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने अमेरिकी उपन्यासकार मारिऑन विगिंस से दूसरी शादी साल 1988 में की। लेकिन कुछ साल बाद 1993 में दोनों के रास्ते अलग हो गए।
इसके बाद साल 1997 में उन्होंने खुद से 14 साल छोटी एलिजाबेथ वेस्ट से शादी रचाई। लेकिन 2004 में इनका फिर से तलाक हो गया। सलमान और एलिजाबेथ का एक बेटा मिलान है। फिर उन्होंने साल 2004 में एक्ट्रेस पद्मा लक्ष्मी से शादी की। लेकिन साल 2007 में किसी कारणवश यह शादी भी टूट गई।
फेमस उपन्यास
साल 1975 में सलमान रुश्दी ने अपना पहला उपन्यास ग्राइमल लिखा था। लेकिन इस उपन्यास को अधिक लोकप्रियता नहीं मिली। फिर साल 1981 में उन्होंने मिडनाइट्स चिल्ड्रन लिखी। इस उपन्यास के बाद सलमान रुश्दी को रातों-रात सफलता मिल गई। रुश्दी द्वारा मिडनाइट्स चिल्ड्रन को पिछले 100 सालों में लिखी गई सर्वश्रेष्ठ किताबों में से एक माना गया था। इस उपन्यास के लिए उनको साल 1981 में बुकर सम्मान से सम्मानित किया गया था।
इसके बाद मिडनाइट्स चिल्ड्रन के लिए सलमान रुश्दी साल 1993 और 2008 में भी सम्मान दिया गया। फिर उन्होंने साल 1983 में शेम, साल 1987 में द जगुआर स्माइल, साल 1988 में द सैटेनिक वर्सेज, साल 1994 में ईस्ट-वेस्ट, साल 1995 में द मूर्स लास्ट साई, साल 1999 में द ग्राउंड बिनीथ हर फीट और साल 2005 में शालीमार द क्राउन जैसी बेहतरीन रचनाएं लिखी। इन उपन्यासों के लिए सलमान रुश्दी को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
द सेटेनिक वर्सेज
सलमान रुश्दी का चौथा उपन्यास साल 1988 में द सेटेनिक वर्सेज प्रकाशित हुआ। इस किताब ने मार्केट में आते ही तहलका मचा दिया। इस किताब को लेकर दुनियाभर में काफी विवाद बढ़ा। जिसके कारण कई देशों में उनकी इस किताब को बैन कर दिया गया। बता दें भारत में भी रुश्दी की इस किताब पर बैन है। दरअसल, रुश्दी पर पैगंबर के अपमान का आरोप लगाया गया था। इस नावेल को चोरी-छिपे बेचना या खरीदने पर भी सजा का प्रावधान है।
भारत में भी हुआ विरोध
बता दें कि साल 2012 में जब सलमान रुश्दी भारत आए तो यहां पर मुस्लिम संगठनों द्वारा उनका विरोध किया गया। वहीं रुश्दी के जयपुर जाने के दौरान भी मुसलमानों ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और बैठकों का दौर जारी रहा। उस दौरान तत्कालीन सरकार को मुस्लिम संगठनों द्वारा चेतावनी देते हुए कहा गया था कि यदि सलमान रुश्दी वापस जयपुर आए तो भारत सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
क्यों नाराज हुआ मुस्लिम समुदाय
बता दें कि सलमान रुश्दी द्वारा लिखी गई द सेटेनिक वर्सेज किताब के बारे में कहा जाता है कि यह किताब मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए अपमान जनक है। इस किताब में रुश्दी ने मुस्लिम के पैगंबर को घिनौना, झूठा व पाखंडी बताया है। इसके अलावा रुश्दी ने पैगंबर मुहम्मद की 12 पत्नियों के लिए भी काफी अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। जिसके बाद से मुस्लिम समुदाय ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। बता दें कि सलमान रुश्दी खुद को गैर-मुस्लिम और नास्तिक बताते हैं