यूपी पुलिस समय पर एक्शन लेती तो मरना नहीं पड़ता, 25 दिन में सुसाइड के 5 मामले

यूपी पुलिस समय पर एक्शन लेती तो मरना नहीं पड़ता, 25 दिन में सुसाइड के 5 मामले

पीलीभीत में एक नाबालिग लड़की को तीन लड़के उठा ले गए। एक लड़के ने रेप किया। बच्ची के पिता चाहते थे कि आरोपियों पर कार्रवाई हो, लेकिन पुलिस कार्रवाई के बजाय समझौते पर जोर दे रही थी। एक हफ्ते बाद पिता ने आत्महत्या कर ली।

ठीक इसी तरह जालौन में बेटी के साथ रेप हुआ। वह प्रेग्नेंट हो गई। पीड़िता के मजदूर पिता केस दर्ज करवाने गए तो पुलिस ने उल्टा केस करने की धमकी दी। घर आए और आत्महत्या कर ली। एक हफ्ते पहले अमरोहा में एक किसान और लखनऊ के मलिहाबाद में एक युवक ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली से परेशान होकर सुसाइड को चुन लिया।

इन चार केस के अलावा पांचवां केस सीतापुर से है। यहां रेप पीड़िता ने फांसी लगा ली। कुल मिलाकर 25 दिन के अंदर एक रेप पीड़िता, दो रेप पीड़िताओं के पिता, एक प्रतियोगी छात्र और एक किसान ने आत्महत्या की। कहीं पुलिस पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा तो कहीं 50 हजार रुपए मांगने का मामला सामने आया। आइए इन सभी मामलों को जानते हैं। सबसे पहले रेप पीड़िताओं के पिताओं के मरने की दर्दनाक कहानी जानते हैं...

3 लड़के नाबालिग लड़की को उठा ले गए

पीलीभीत के अमरिया थाना क्षेत्र के एक गांव में 10 मई को 3 लड़के 14 साल की नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर उठा ले गए। करीब 3 किलोमीटर दूर ले जाकर लड़की को राहुल नाम के लड़के को सौंप दिया। वह उसे लेकर अपने फूफा मनोज के नए घर किच्छा चला गया। वहां उसने लड़की के साथ रेप किया। राहुल के फूफा को बात पता चली तो वह अगली सुबह नए घर पहुंचे और लड़की को अपने साथ लेकर थाने पहुंच गए।

लड़की के थाने में होने की सूचना पर पीड़ित पक्ष भी पहुंच गया। लड़की के पिता चाहते थे कि उनकी बेटी को उठाकर ले जाने वाले के खिलाफ कार्रवाई हो, लेकिन पुलिस समझौता करवाकर मामले को खत्म करने की कोशिश में थी। लड़की के भाई ने कहा, थाने में हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। एसओ मुकेश शुक्ला ने हम लोगों को गाली देकर भगा दिया। कहा कि यहां से भाग जाओ वरना जेल में डाल दूंगा।

पिता रोज थाने जाते कि उनकी शिकायत दर्ज हो जाए। लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दूसरी तरफ आरोपियों ने पीड़िता के पिता को धमकाना शुरू कर दिया। लड़की के भाई ने बताया, आरोपी हरेंद्र के मामा महेंद्र फोन करके कहते- तुम केस के चक्कर में न पड़ो वरना तुम्हें ही फंसा देंगे। इन बातों से पिता परेशान हो गए थे। वह पीलीभीत गए, कप्तान साहब को पत्र भी दिया। लेकिन जब न्याय नहीं मिलता दिखा तो 17 मई को उन्होंने सुसाइड कर लिया।

सुसाइड के तुरंत बाद पुलिस हरकत में आई। एसओ मुकेश शुक्ला को सस्पेंड कर दिया गया। आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करके 3 को गिरफ्तार कर लिया गया।

केस मत करो वरना उल्टा तुम्हारे खिलाफ केस कर देंगे

दूसरी घटना जालौन की है। यहां एट थाना क्षेत्र के एक गांव में 28 मार्च को लड़की के साथ उसके घर से 200 मीटर की दूरी पर रहने वाले लड़के ने रेप किया। रेप करने वाले व्यक्ति को पीड़िता चाचा कहती थी। रेप के बाद लड़की ने यह बात अपने घर पर नहीं बताई।

कुछ दिन बाद उसके पीरियड्स आने बंद हो गए। आरोपी परिवार की महिला लक्ष्मी ने प्रेग्नेंसी टेस्ट किया। पता चला कि वह प्रेग्नेंट है। लक्ष्मी ने उसे अबार्शन की दवा खिला दी। लक्ष्मी ने यह बात गांव के और लोगों को बताया तो हंगामा मच गया।

पीड़िता के पिता और दो छोटे भाई पंजाब में गोलगप्पे बेचते थे। खबर मिली तो वह घर आए। 31 मई को वह मामला दर्ज करवाने एट थाने गए। पीड़िता की मां कहती हैं, पुलिस हमारी एफआईआर लिखने के बजाय हमसे कहती थी कि तुम लोग एक पेपर पर लिखकर दो कि हम लोग गांववालों के बहकावे में आकर गलत फंसा रहे हैं, अगर ऐसा नहीं किया तो तुम्हारे ही पति को किसी झूठे आरोप में फंसा देंगे।

थाने में कोई सुनवाई नहीं हुई तो पीड़िता के पिता ने 5 जून की सुबह करीब 10 बजे घर के अंदर ही फांसी लगाकर जान दे दी। इसके तुरंत बाद पुलिस हरकत में आई। मुख्य आरोपी मानवेंद्र उर्फ डोलू, देवेंद्र और उसकी पत्नी लक्ष्मी को गिरफ्तार कर लिया। एसपी डॉ. ईरज राजा ने एट कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक नरेंद्र कुमार गौतम, उप निरीक्षक अशोक कुमार सिंह को सस्पेंड कर दिया।

लड़की को तीन लड़के उठा ले गए, वापस आई तो फांसी लगा ली

यह घटना सीतापुर के तंबौर थाना क्षेत्र की है। यहां एक गांव में एक व्यक्ति की 5 बेटियां अपनी मां के साथ रहती थीं। पिता लखनऊ में मजदूरी करते थे। परिवार का कहना है कि 4 जून की रात 11 बजे मक्कापुरवा के आकिब अपने दोस्त आलम और कैफ के साथ आया और बेटी को उठा ले गया। तीनों ने उसके साथ रेप किया। लड़की वापस घर आई और मामले की जानकारी लोगों को मिली तो गांव के ही कुछ लोग समझौता करवाने में लग गए।

समझौते को लेकर बातचीत के बीच परिवार थाने ही नहीं पहुंचा। लेकिन पीड़िता के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने घटना के 5 दिन बाद यानी 9 जून की शाम घर के अंदर ही दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। जब तक घरवाले उसे उतारते मौत हो चुकी थी।

रेप के बाद आत्महत्या की खबर के बाद हिन्दूवादी संगठनों ने हंगामा कर दिया। पुलिस भी हरकत में आई। लड़की के पिता ने मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने तीनों ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस इस मामले में आगे जांच कर रही है।

50 बार थाने बुलाकर टॉर्चर किया, प्रतियोगी छात्र ने फांसी लगा ली

लखनऊ के मलिहाबाद इलाके के गहदो गांव में आशीष वर्मा का घर है। वह ऑनलाइन कोर्स से सिविल सेवाओं की तैयारी कर रहा था। 28 सितंबर 2022 को श्यामलाल नाम का व्यक्ति दुकान पर आया। 10 बोरी सीमेंट, मोरंग का ऑर्डर दिया। 50 रुपए बयाना दिया। इसके बाद आशीष से अपने ही नंबर पर फोन मिलवाया और 12 सेकण्ड तक चलने दिया। 1 हफ्ते बाद रहीमाबाद थाने से मोहित शर्मा नाम के सिपाही ने फोन किया और कहा- आशीष अपने भाई मनीष को लेकर थाने आओ, तुम्हारे खिलाफ मामला दर्ज है।

आशीष की मां सुशीला कुछ लोगों को लेकर थाने गईं। दोनों बेटों को थाने से दूर रखा। क्योंकि डर था कि कहीं उन्हें न गिरफ्तार कर लिया जाए। वहां जाने पर पता चला कि दोनों बेटों के खिलाफ मामला दर्ज है। दोनों पर आरोप था कि उन्होंने 7 साल के बकाए 2 हजार रुपए के लिए श्यामलाल को घर में घुसकर मारा, फोन पर धमकी दी। आशीष की मां बताती हैं, इस मामले को लेकर पुलिस हमें बार-बार बुलाने लगी। बेटे आशीष की पढ़ाई डिस्टर्ब हो गई।

सुशीला आगे कहती हैं, थाने के सिपाही राजमणि पाल ने हमसे 50 हजार रुपए मांगे, मैं 20 हजार रुपए लेकर गई। सिपाही को देते हुए कहा कि ये ले लीजिए, मैं विधवा हूं, केस खत्म कर दीजिए। सिपाही नहीं माना। उसने 20 हजार रुपए नहीं लिए। कहा कि 50 हजार रुपए ही लूंगा।

पुलिस के लगातार थाने बुलाने, कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने से आशीष परेशान हो गया। 11 जून को दोपहर 12 बजे उसने फांसी लगा ली। आशीष ने मरने से पहले एक सुसाइड नोट लिखा। उसमें रहीमाबाद थाने को भ्रष्ट बताया।

ये सरकार गंदी है...लिखकर सुसाइड कर लिया

पांचवी घटना अमरोहा के सैदनगली थाना क्षेत्र के निचला तरारा गांव की है। 38 साल के मदन पिछले साल 21 जून को कार से शादी से लौट रहे थे। फतेहपुर में सड़क हादसा हो गया। हादसे में कृपाल सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। मदन के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। इसी मामले में उन्हें 18 लाख 28 हजार रुपए क्लेम का नोटिस मिला। इसे लेकर मदन लगातार तनाव में रहते थे। 11 जून को 4 पेज का सुसाइड लेटर लिखकर फांसी लगाकर जान दे दी।

मदन ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है- ये सरकार भी गंदी है और इस सरकार के कर्मचारी भी गंदे हैं। सैदनगली थाने के कर्मचारियों पर 5 लाख रुपए लेकर फंसाने का आरोप लगाया है। सुसाइड नोट में सीएम योगी आदित्यनाथ से अपनी बीवी-बच्चों के लिए न्याय की मांग की है। मदन के भाई ने कहा, जब हादसा हुआ तब मदन गाड़ी नहीं चला रहे थे, इसके बावजूद पुलिस उन्हें लगातार परेशान करती रही।

सुसाइड नोट वायरल हुआ तो अमरोहा के एसपी आदित्य लांग्हे ने वीडियो जारी करते हुए कहा- ट्रिब्यूनल कोर्ट द्वारा सड़क दुर्घटना हर्जाना संबंधी 18 लाख रुपए की नोटिस जारी होने से मदन परेशान थे। इसलिए आत्महत्या कर ली। पुलिस द्वारा 18 लाख मांगे जाने का आरोप गलत है।

फिलहाल इन पांच मामलों में 4 ऐसे थे जो पुलिस की जानकारी में थे। इसके बावजूद उन्होंने समय पर कार्रवाई नहीं की जिसकी वजह से पीड़ित पक्ष ने सुसाइड की। इन चारों मामलों में पुलिस प्रशासन की किरकिरी हुई तो संबंधित अधिकारी को निलंबित किया। लेकिन तब तक देर हो चुकी है। यह मामले यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाते हैं।

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