Bhagat Singh Koshyari Birthday: छात्र जीवन से राजनीतिक सफर शुरू कर दिया था, भगत सिंह कोश्यारी का विवादों से रहा पुराना नाता

Bhagat Singh Koshyari Birthday: छात्र जीवन से राजनीतिक सफर शुरू कर दिया था, भगत सिंह कोश्यारी का विवादों से रहा पुराना नाता

भगत सिंह कोश्यारी को एक भारतीय राजनेता के तौर पर जाना जाता है। बता दें आज यानी की 17 जून को वह अपना 81वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे हैं। साल 2019 से 2023 तक उन्होंने महाराष्ट्र के 23वें राज्यपाल के तौर पर कार्य किया है। जिसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपने पद से इस्तीफा सौंप दिया। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और उत्तराखंड के लिए पार्टी से पहले कोश्यारी ने राज्य अध्यक्ष के तौर पर काम किया है। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर भगत सिंह कोश्यारी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...

जन्म और शिक्षा

उत्तराखंड के बागेश्वर जिले स्थित नामती चेताबागड़ गांव में 17 जून 1942 को भगत सिंह कोश्यारी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा अल्मोड़ा से पूरी की। इसके बाद उन्होंने आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेज़ी साहित्य में पढ़ाई की। कोश्यारी अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे। वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहने के अलावा उत्तराखंड भाजपा के पहले अध्यक्ष भी रहे।

राजनीतिक सफर की शुरूआत

छात्र जीवन से ही भगत सिंह कोश्यारी ने राजनीति में कदम रख दिया था। वह इस दौरान आरएसएस से भी जुड़ गए थे। साल 1961 में वह अल्मोड़ा कॉलेज में छात्रसंघ के महासचिव चुने गए। वहीं जब देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने साल 1975 में आपातकाल लगाया तो भगत सिंह कोश्यारी ने भी इसका विरोध किया। जिसके चलते उन्हें करीब पौने दो साल जेल में रहना पड़ा। 23 मार्च 1977 को जब वह जेल से रिहा हुए तो कोश्यारी को राजनीतिक पहचान मिली।  

साल 1997 में भगत सिंह कोश्यारी का राजनीतिक सफर शुरू हुआ। जब वह पहली बार विधायक चुने गए तो उस दौरान उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था। वहीं साल 2008 में उत्तराखंड बनने के बाद कोश्यारी राज्य के ऊर्जामंत्री बनें। इसके बाद उन्हें साल 2001 में मेहनत का फल मिला। वह साल 2001 में उत्तराखंड के सीएम के तौर पर जिम्मेदारियां संभालने लगे। लेकिन एक साल बाद हुए चुनावों में हार के चलते भाजपा की सत्ता चली गई। इस दौरान कोश्यारी सिर्फ एक साल तक सीएम पद पर रहे। 

फिर देखा सीएम बनने का सपना

एक बार फिर साल 2007 में जब राज्य में बीजेपी की सरकार बनीं तो कोश्यारी सीएम बनने का सपना पाल बैठे। लेकिन बीजेपी हाइकमान ने कोश्यारी की जगह भुवन चंद खंडूरी को उत्तराखंड का अगला मुख्यमंत्री बनाया। वहीं कोश्यारी को साल 2008 में उत्तराखंड से राज्यसभा भेज दिया गया। हालांकि इस दौरान वह राज्य के बीजेपी अध्यक्ष भी रहे। भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड की राजनीति में लगातार हाशिए पर आते रहे। क्योंकि वह आरएसएस के पुराने नेता थे। इसलिए साल 2019 में उनको राज्यपाल बनाया गया। हालांकि इस पद पर कई विवाद भी उनके साथ जुड़े रहे। 

सुर्खियों में रहे कोश्यारी

राज्यपाल के पद पर रहते हुए कोश्यारी अपने बयानों को लेकर काफी सुर्खियों में रहे। साल 2022 के एक कार्यक्रम में उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे कि मराठी लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची। वहीं उनके बयान पर विपक्ष ने भी उन्हें काफी घेरा। बता दें कि उन्होंने कहा था कि अगर राजस्थानी और गुजरात समुदाय के लोगों को मुंबई से निकाल दिया जाए। तो महाराष्ट्र आर्थिक राजधानी नहीं रह जाएगा। इस बयान के बाद भाजपा ने भी कोश्यारी से किनारा कर लिया था। 

इसके अलावा कोश्यारी द्वारा छत्रपति शिवाजी पर दिया गया बयान भी काफी चर्चाओं में रहा। उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज को गुजरे जमाने का आदर्श बताया था। इसके बाद विपक्षी दल ने कोश्यारी से इस्तीफे की मांग कर दी थी। हालांकि इस विवाद के बाद कोश्यारी ने भा राजनीतिक सन्यास लेने की इच्छा जताई थी। 

महाराष्ट्र में भी विवाद

साल 2019 में भगत सिंह कोश्यारी को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया गया। इस पद को संभालते ही उनका नाम विवादों से जुड़ गया। बता दें कि जब महाराष्ट्र में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला। तो राज्य में सरकार बनने की कवायद शुरू हो गई। इस दौरान जहां शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के बीच बातचीत का दौर चल रहा था। माना जा रहा था कि राज्य में गठबंधन की सरकार बनने वाली है। लेकिन तभी महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश को चौंका दिया था। 

जानिए क्या था शपथ कांड

23 नवंबर 2019 को महाराष्ट्र के राजभवन से कुछ ऐसी तस्वीरें सामने आईं, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। इन तस्वीरों में देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार शपथ ले रहे हैं। जहां फडणवीस ने बतौर महाराष्ट्र के सीएम पद के लिए शपथ ली तो वहीं पवार ने उप मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली। यह सब कुछ राज्यपाल कोश्यारी की मौजूदगी में हुआ। जिसके बाद महाराष्ट्र की सियासत में बवाल आ गया। लेकिन शरद पवार ने मामले को संभाला। जिसके चलते अजित पवार ने भाजपा का साथ छोड़ दिया। वहीं राज्य में एमवीए गठबंधन की सरकार बनीं। हालांकि इस दौरान कोश्यारी की काफी आचोलना की गई थी। 

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