धर्मनगरी अयोध्या पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक स्थलों पर शराब और मीट बेचने पर बैन लगाने की बात कही. अब चर्चा शुरू हुई कि क्या अयोध्या और मथुरा के बाद अब काशी और प्रयागराज में भी प्रतिबंध लगाया जाएगा. हालांकि इसमें भी कई पेंच हैं, क्योंकि यह मामला राजस्व से जुड़ा है. अभी भी कई धार्मिक स्थलों पर प्रतिबंध के बावजूद मीट की दुकानें नजर आती हैं.
अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा मार्ग के अंदर मांस-मदिरा की बिक्री पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है. उसके बाहर अनुमति है. बाद में मथुरा में जन्मभूमि और वृंदावन के तय इलाके में भी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सरकार के इस आदेश का पालन भी काफी हद तक हो रहा है. शराब की दुकानों के लाइसेंस तो इन इलाकों में बिल्कुल भी नहीं मिल रहे हैं. हां, मथुरा के गली-कूंचों पे मांस की दुकानें जरूर दिख जाती हैं. ऐसा ही अयोध्या में भी है.
अयोध्या के संतों ने CM योगी से की शिकायत
पंचकोसी के दायरे में शराब की कोई दुकान नहीं है. हां, सीमा पर मांस की दुकानें लगभग रोज लगती हैं. शराब भी उपलब्ध है. इसकी शिकायत अयोध्या के संतों ने सीएम से की तो उन्होंने अफसरों से सख्ती करने को कहा. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सभी तीर्थ स्थलों को मांस-मदिरा से मुक्त करने की चर्चा की तो बात आगे बढ़ गई. यूं तो सरकार ने स्कूल, कॉलेज और धर्मिक स्थलों के तय दायरे में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर रखा हुआ है.
समय-समय पर संत उठाते रहते हैं मांग
हालांकि, इसमें अनेक पेंच हैं. इसलिए यह ईमानदारी से लागू नहीं हो पा रहा है. राजस्व भी इसके पीछे एक बड़ा कारण है. वाराणसी नगर निगम कार्यकारिणी ने भी साल 2019 में एक प्रस्ताव पारित कर धार्मिक स्थलों के पास मांस की बिक्री रोकने का फैसला किया था, लेकिन यह आदेश अब तक वह लागू नहीं हो पाया है. संभव है कि पूर्ण बहुमत वाली नगर निगम की नई कार्यकारिणी इस दिशा में कोई नया कदम उठाए. काशी निवासी सीनियर जर्नलिस्ट एके लारी कहते हैं कि लंबे समय से काशी में ऐसी मांग समय-समय पर संत-धर्माचार्य उठाते रहे हैं. पर, अभी तक कुछ ठोस फैसला सामने नहीं आया है.
वृंदावन में मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक के आदेश का हो रहा पालन
इस तरह नगर निगम के प्रस्ताव और सीएम की बात को जोड़ा जाए तो यह संकेत मिलते हैं कि काशी भी अयोध्या की तरह मांस-मदिरा से मुक्त हो सकती है. मथुरा निवासी सीनियर जर्नलिस्ट किशन चतुर्वेदी इस तथ्य को पुख्ता करते हैं कि कृष्ण जन्मभूमि के आसपास तय दायरे में और वृंदावन में मांस-मदिरा की बिक्री पर रोक का आदेश भी है और काफी हद तक इसे लागू भी माना जाएगा. अब अगर सीएम नए सिरे से तीर्थ स्थलों के लिए सोच रहे हैं तो फैसला अच्छा ही होगा. नशे के दुष्प्रभाव हमसे छिपे तो नहीं हैं.
महाकुंभ से पहले प्रयागराज में मांस-मदिरा बैन होगी!
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में मीडिया शिक्षक, पत्रकार धनंजय चोपड़ा बताते हैं कि प्रयागराज में यह प्रयोग संगम क्षेत्र तो आसानी से लागू हो सकता है. महाकुंभ-2025 के मद्देनजर सरकार इस आशय पर फैसला ले भी सकती है. संगम इलाके को लेकर आने वाले इस आशय के फैसले का स्वागत होगा. हां, पूरे शहर में कोशिश हुई या कोई आदेश हुआ तो देखना होगा कि आम लोगों की प्रतिक्रिया क्या होगी? क्योंकि प्रयागराज एक बड़ा शहर है. मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है. मांस-मदिरा का सेवन हिंदू आबादी भी करती है. ऐसे में सरकार के फैसले का हल्का-फुल्का विरोध शहरी क्षेत्र से आ सकता है.
जिलों में राजस्व को भी होगा नुकसान, पयर्टन से भरती है सरकार की झोली
असल में सरकार के सामने चुनौती यह नहीं है कि वह आदेश नहीं कर सकती. संत सीएम का इशारा ही इसके लिए पर्याप्त है. पर, काशी-प्रयागराज में एक बड़ी मुश्किल राजस्व को लेकर आ सकती है. काशी में कुल विदेशी पर्यटकों की संख्या ठीक-ठाक होती है. होटल्स की बड़ी शृंखला है. अगर पांच सितारा होटलों में शराब नहीं मिलेगी तो धीरे-धीरे पर्यटन भी प्रभावित हो सकता है. यही स्थिति कमोवेश प्रयागराज की भी है.
होटलों में नहीं मिली मांस-मदिरा तो नहीं आएंगे विदेशी पर्यटक
हालांकि यहां विदेशी पर्यटक वाराणसी से कम आते हैं. मथुरा-वृंदावन में इसे लागू करने में दिक्कत इसलिए नहीं सामने आई, क्योंकि दिल्ली और आगरा जैसे शहर करीब हैं. जिसे चाहिए होता है उसे आसानी से मांस-मदिरा उपलब्ध है. अयोध्या में विदेशी पर्यटक अभी न के बराबर आते हैं. पांच सितारा होटलों की संख्या भी अभी नहीं हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि मंदिर के शुरू होने के साथ ही देशी-विदेशी पर्यटकों की भीड़ बढ़ेगी.