UCC पर मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी बोले- हिंदुस्तान के मुसलमानों को ये मंजूर नहीं

UCC पर मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी बोले- हिंदुस्तान के मुसलमानों को ये मंजूर नहीं

देवबंद में पढ़ने वाले को कहा गया है कि वो केवल उर्दू, फारसी और अरबी ही पढ़ें हिंदी और अंग्रेजी ना पड़े. इस पर बरेली के मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी का बयान सामने आया है. मुस्लिम जमात के अध्यक्ष शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि यह फरमान जारी करने का क्या मतलब है. ऐसा आदेश क्यों किया गया है. यह समझ से बाहर है, जबकि आज दुनिया को अन्य भाषा को जानने की जरूरत है. हम सभी को अंग्रेजी, हिंदी और दूसरी भाषाएं पढ़नी चाहिए. केवल उर्दू अरबी फारसी से काम नहीं चलेगा.

आज इंटरनेशनल भाषा अंग्रेजी और अरबी हैं इन दोनों भाषाओं में महारत हासिल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नॉर्थ इंडिया में हिंदी का वर्चस्व है. तमाम सरकारी काम हिंदी में किए जाते हैं. यहां हिंदी लिखने और पढ़ने दोनों में इस्तेमाल होती हैं. हिंदी का प्रभाव ज्यादा है, इसलिए हिंदी भाषा का प्रयोग और पढ़ाई जरूरी है.

सभी को तमाम भाषाओं की होनी चाहिए जानकारी

उन्होने कहा दुनिया में जो भी भाषाएं बोली जाती हैं, सभी को तमाम भाषाओं की जानकारी होनी चाहिए. बहुत सारी यूनिवर्सिटियों में तमाम भाषाओं के विभाग खुले हुए हैं. बरेली के रोहिलखंड यूनिवर्सिटी में कई भाषाओं की जानकारी दी जाती है और बच्चे उसकी तालीम हासिल करते हैं. उन्होंने कहा कि देवबंद का यह फैसला समझ से बाहर है उन्हें ऐसे फैसलों को बदलना चाहिए और विचार करना चाहिए.

समान नागरिक संहिता हिंदुस्तान के मुसलमानों को मंजूर नहीं

उन्होंने समान नागरिक संहिता पर कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले उत्तराखंड में इसे लागू करने की बात कही थी. ये पहला राज्य है जिसने ये प्रस्ताव पास किया. इसके बाद अब पूरे भारत में लॉ कमिशन ऑफ इंडिया ने यूनिफार्म सिविल कोर्ड लागू करने का मन बना लिया है. कमीशन ने इस मामले में राय मांगी है. जिस पर हम भी अपनी राय देंगे और यह राय लिखकर कमीशन को देंगे, मगर मैं साफ-साफ कह देना चाहता हूं सामान नागरिकता संहिता हिंदुस्तान के मुसलमानों को मंजूर नहीं है. किसी भी सूरत में हम इसको मंजूर नहीं करते हैं.

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