हिंदुस्तान की राजधानी दिल्ली से सटे यूपी के गाजियाबाद शहर में हुए ऑनलाइन धर्मांतरण मामले में, हर पल कोई न कोई अंदर की खास खबर ही निकल कर बाहर आ रही है. विशेषकर जबसे गाजियाबाद पुलिस ने इस घिनौने गेम के मास्टरमाइंड शाहनवाज उर्फ बद्दो को, महाराष्ट्र पुलिस की मदद से गिरफ्तार किया है. ठाणे से बद्दो की गिरफ्तार के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि, उसे गाजियाबाद कोर्ट में पेश करते ही स्थानीय पुलिस कोर्ट से उसे अपनी कस्टडी में तुरंत मांगेगी. ताकि उससे जल्दी से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा अंदर की सब कहानी खंगाली जा सके. हुआ मगर इस सबके एकदम उलट.
गाजियाबाद पहुंचते ही बद्दो को कुछ घंटों की पूछताछ के बाद मेडिकल कराके,कोर्ट में पेश किया गया. कोर्ट ने उसे तुरंत ही डासना जेल (गाजियाबाद) भेज दिया. ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि आखिर, इस कदर के मास्टरमाइंड या कहिए खतरनाक मानसिकता वाले संदिग्ध को पुलिस ने कोर्ट से अपनी कस्टडी में क्यों नहीं मांगा! उसे कोर्ट में पेश करके आखिर सीधे जेल क्यों भेज दिया गया? जबकि इस तरह के आपराधिक मामलों में संदिग्धों/मुलजिमों से पुलिस व अन्य जांच एजेसियां कई कई दिन तक लगातार पूछताछ करती है.
इस उम्मीद में कि कहीं पूछताछ में देरी हुई तब तक इस तरह के गिरोह में शामिल, बाकी तमाम अपराधी या संदिग्ध अपनी जगह छोड़कर नौ दो ग्यारह न हो जाएं. इन तमाम सवालों और उलझनों के बाद भी मगर जिस बद्दो को केंद्रीय एजेंसियों और गाजियाबाद पुलिस के कब्जे में होना चाहिए था. वो बद्दो इस वक्त गाजियाबाद की जेल में बंद है. इस बारे में टीवी9 ने जब गाजियाबाद पुलिस आयुक्तालय के उच्च पदाधिकारियों से बात की तब, बद्दो की कोर्ट से पुलिस रिमांड न मांगे जाने की इनसाइड स्टोरी निकल कर बाहर आई.
पूछताछ में सवालों पर साधे रहा चुप्पी
पता चला कि बद्दो एक बेहद घाघ किस्म का ऑनलाइन धर्मांतरण का मास्टरमाइंड है. जो फिजिकली देखने से जितना शरीफ लगता है. उसके शैतानी दिमाग में उतनी ही खुराफात भरी हुई है. वो जांच एजेंसियों के कब्जे में आने के बाद से ही अधिकांश वक्त चुप्पी साधे रहा. अगर सवालों के जवाब दिए भी तो गोल-मटोल टालने वाले. पुलिस और बाकी जांच एजेंसियां अगर बद्दो से दो लाइन का सवाल करतीं तो, बद्दों ‘हां और हूं’ कहकर आगे बढ़ने की कोशिश करता.
यही वजह रही है कि, महाराष्ट्र (ठाणे) से गिरफ्तार करके गाजियाबाद लाने के बाद, स्थानीय कोर्ट में पेश किए जाने तक, गाजियाबाद पुलिस बद्दो से अभी मोटा-माटी राज ही उगलवा पाई है. जब तक गहराई से आगे की पूछताछ का समय आया तो, ट्रांजिट रिमांड पर होने के चलते उसे कोर्ट में पेश किए जाने का वक्त आ गया.
पुलिस ने बताया कोर्ट से क्यों नहीं की कस्टडी की मांग
गाजियाबाद पुलिस आयुक्तालय सूत्रों के मुताबिक, ” बद्दो जिस तरह का मंझा हुआ खिलाड़ी या कहिए घाघ किस्म का अपराधी है. उससे आसानी से कुछ उगलवा पाना आसान नहीं था.साथ ही बद्दो ने ऐसा भी कोई सबूत अभी हासिल नहीं कराया है जिसके आधार पर जांच के दौरान उससे पूछताछ को आगे बढ़ाया जा सके. फिलहाल उससे जब्त हार्डडिस्क, सीपीयू और तमाम अन्य सबूतों को राज्य फॉरेंसिक प्रयोगशाला भेजा गया है.
जब्त कम्प्यूटर से डिटेल निकालेगी पुलिस
ताकि जब्त कम्प्यूटर इत्यादि को डी-कोड करके, उसके अंदर मौजूद तमाम गुप्त बातों के बारे में पुलिस को डिटेल हासिल हो सके. उस डिटेल के आधार पर ही आगे की पड़ताल या बद्दो से पूछताछ का मजबूत आधार बन सकेगा. फिलहाल तो बद्दो जितने भी घंटे हमारी कस्टडी में रहा, वो इधर उधर की बातें करके, समय ही जाया करने में जुटा रहा.”
पुलिस ने बद्दो की कोर्ट में पेशी के वक्त वहां से (गाजियाबाद कोर्ट से) पुलिस कस्टडी (पुलिस रिमांड) क्यों नहीं मांगी? पूछने पर गाजियाबाद पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, “पहले हमारे पास बद्दो के खिलाफ वे चीजें या सवाल तो आ जाएं जिनके बारे में उससे क्रॉस क्रिविश्निंग करनी है. अभी अगर हम रिमांड पर ले भी लेते तो, हमारे पास ही पूछने के लिए कुछ ठोस सवाल नहीं थे. यह सवाल बद्दो से जब्त सबूतों के बाबत फॉरेंसिक लैब से रिपोर्ट आने के बाद ही तैयार होंगे. उस वक्त जब बद्दो से क्रॉस क्विश्निंग की जाएगी तो वो (बद्दो) आसानी से पुलिस का वक्त जाया नहीं कर सकेगा.