चेन्नई: केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर भाजपा पर विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहा है. ऐसे में तमिलनाडु बुधवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से सामान्य सहमति वापस लेने वाला नया राज्य बन गया है. इसका मतलब यह है कि अब केंद्रीय एजेंसी को अपनी जांच शुरू करने से पहले राज्य की अनुमति लेनी होगी. ऐसा फैसला लेने वाला तमिलनाडु देश का 10वां राज्य होगा.
कौन से राज्य जहां सीबीआई को अनुमति जरूरी
सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेने वाले अन्य राज्यों में महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, केरल और मिजोरम शामिल हैं. हालांकि जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिराकर राज्य में भाजपा सत्ता में वापस आई तो महाराष्ट्र में इस फैसले को उलट दिया गया था.
राज्य की सहमति को लेकर कानून
भले ही सीबीआई को एक केंद्रीय एजेंसी माना जाता है लेकिन यह दरअसल दिल्ली विशेष पुलिस स्थापन अधिनियम (DPSEA) के तहत आती है. एक विधायिका जो जांच एजेंसी को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा बनाती है और इस प्रकार इसका मूल अधिकार क्षेत्र दिल्ली तक ही सीमित है. दिल्ली के अधिकार क्षेत्र से बाहर के मामलों के लिए सीबीआई को जिस राज्य में वह जांच करना चाहती है, उस राज्य सरकार की सहमति की जरूरत होती है. हालांकि अगर सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय चाहे तो वह राज्य की सहमति के बगैर भी सीबीआई की जांच के आदेश दे सकता है.
देश को कब और क्यों पड़ी सीबीआई की जरूरत
ऐसा माना जाता है कि दूसरे विश्वयुद्ध की जब शुरुआत हुई, उस दौरान ब्रिटिश सरकार के खर्चों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गई. जिसका नतीजा यह हुआ कि देश में भ्रष्ट कारोबारियों और सरकारी अधिकारियों की लूट-खसोट में काफी इजाफा हुआ. अब चूंकि स्थानीय पुलिस इस प्रकार के मामलों की जांच करने में सक्षम नहीं थी, तो ब्रिटिश सरकार को लगा कि एक सक्षम और विशेष बल बनाया जाना चाहिए. इस तरह युद्ध और आपूर्ति विभाग में रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच-पड़ताल के लिए 1941 में विशेष पुलिस की स्थापना (Special Police Establishment-SPE) हुई.
आगे चलकर जब एक केंद्रीय जांच एजेंसी की जरूरत महसूस हुई तो 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (Delhi Special Police Establishment-DPSE Act) अस्तित्व में आया. इसके बाद विशेष पुलिस स्थापना की देखरेख गृह विभाग को सौंप दी गई. इसके कार्य क्षेत्र में में भारत सरकार के सभी विभागों को शामिल कर लिया गया. इस अधिनियम के तहत राज्यों की सहमति से इसे राज्यों में भी लागू किया जाता है. आगे चलकर 1963 में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना का नाम बदलकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (Central Bureau of Investigation-CBI) कर दिया गया. हालाकि, आज भी सीबीआई का कार्यक्षेत्र 1946 में बने दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम से ही निर्धारित होता है.
क्यों लिया तमिलनाडु ने यह फैसला
अब सीबीआई को तमिलनाडु में भी किसी तरह की नई जांच के लिए राज्य की अनुमति लेनी होगी. हालांकि पुराने और पेंडिंग मामलों पर एजेंसी अपनी जांच जारी रख सकती है. यह फैसला तब आया है जब तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया. इस कदम पर विपक्षी नेताओं ने भाजपा की तीखी आलोचना करते हुए सत्तारूढ़ पार्टी पर प्रतिद्वंद्वी नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है.