लोकसभा चुनाव के लिए अखिलेश यादव का फोकस इस बार बेसिक पर है. पिछले चुनावों से सबक लेते हुए वह इस बार प्रचार से पहले अपना बूथ मजबूत करने में जुटे हैं. इसके साथ ही उन्होंने पार्टी नेताओं की एक स्पेशल टीम बनाई है. इस टीम को वोटर लिस्ट सही करने के काम में लगाया गया है. अखिलेश यादव की इस टीम में करीब 500 नेता शामिल हैं. इनकी पहली मीटिंग मंगलवार 13 जून को हुई.
यूपी के अलग-अलग जिलों से करीब ढाई सौ नेताओं के बुलाया गया और उन्हें ट्रेनिंग दी गई. ट्रेनिंग देने वालों में चार रिटायर हो चुके अफसर भी शामिल थे. इनमें से दो पहले मुख्य चुनाव अधिकारी ऑफिस में काम कर चुके हैं. वोटर लिस्ट का काम बखूबी जानते हैं. पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अखिलेश यादव ने इस बात की शिकायत की थी कि वोट लिस्ट में गड़बड़ी के कारण वे कई सीटें हार गए.
चुनाव का काम जानने वाले एक्सपर्ट्स दे रहे ट्रेनिंग
अखिलेश यादव का आरोप था कि उनके समर्थकों के नाम वोटर लिस्ट से काट दिए गए थे. इसीलिए इस बार लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले अपनी भरोसेमंद टीम को इसी काम में लगाया है. लखनऊ में समाजवादी पार्टी ऑफिस में ये बैठक हुई. चुनाव का काम जानने वाले एक्सपर्ट्स ने समाजवादी पार्टी के नेताओं को बताया कि वोटर लिस्ट ठीक कराने का काम कैसे करना है. इसके लिए मीटिंग में आए सभी नेताओं को एक किट भी दी गई.
मीटिंग में आए पार्टी नेताओं को बताया गया कि फर्जी वोटरों का नाम कैसे लिस्ट से हटवाना है, जिले के अफसरों से क्या और कैसे शिकायत करनी है. समाजवादी पार्टी पिछले विधानसभा चुनाव में कई सीटें पांच हजार से भी कम वोटों के अंतर से हार गई थी. पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव ने भी कुछ जरूरी टिप्स दिए.
सिक्रेट मीटिंग में अखिलेश और शिवपाल भी हुए शामिल
समाजवादी पार्टी ने इस मीटिंग को गोपनीय रखा. इसीलिए न तो कोई फोटो जारी की गई और न ही कोई प्रेस रिलीज. लोकसभा चुनावों की तैयारी के लिए समाजवादी पार्टी पहले ही ट्रेनिंग कैंप शुरू कर चुकी है. ऐसे पहले दो कैंप सीतापुर और लखीमपुर में आयोजित किए जा चुके हैं. अखिलेश यादव खुद इन दोनों बैठकों में शामिल हुए. ट्रेनिंग कैंप में
समाजवादी पार्टी के बूथ अध्यक्षों और सेक्टर प्रभारियों को बुलाया जाता है. 10 बूथ पर एक सेक्टर प्रभारी होता है. ट्रेंनिंग कैपों में बताया जाता है कि कैसे बूथ को मजबूत करना है, बूथ के वोटरों से कैसे और कब संपर्क करना है.
संगठन को मजबूत करने पर समाजवादी पार्टी का जोर
सेक्टर प्रभारी को बूथ अध्यक्षों के काम की निगरानी की जिम्मेदारी दी गई है. 2012 के यूपी चुनाव में मिली हार के बाद से ही लगातार कहा जाता रहा है कि समाजवादी पार्टी का संगठन कमजोर हो गया है. इसीलिए अब पूरा जोर संगठन को मजबूत करने में लगाया जा रहा है. कुल मिलाकर तैयारी इस तरह से है कि पार्टी के हर समर्थक का नाम वोटर लिस्ट में हो. हर हाल में बूथ पर जाकर वे अपना वोट करें.
बिना वोट के प्रचार का क्या मतलब. शिवपाल यादव की पार्टी में वापसी के बाद उन्हें भी इस काम में जोड़ा गया है. पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल यादव भी इन ट्रेनिंग कैंप में शामिल होते हैं. यूपी में सरकार बनने के बाद से पिछले आठ सालों में बीजेपी ने अपने संगठन का बहुत विस्तार कर लिया है. अब समाजवादी पार्टी भी उसी राह पर है.