बीते बुधवार यानी 7 जून 2023 को यूपी की लखनऊ जेल में बंद और वहीं की कोर्ट में गोलियों से भून डाले गए, गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा हत्याकांड में, अब यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस ने दावा किया है कि, जीवा हत्याकांड का लिंक तो नेपाल से है. नेपाल में मगर अब तक जांच एजेंसी (यूपी पुलिस एसआईटी) को न तो कोई वो बदमाश अशरफ मिला है, जिसने जीवा के कत्ल की सुपारी दी. न ही लखनऊ की उसी जेल में जहां जीवा बंद था, पुलिस को अशरफ का कोई वो भाई ही मिला है, जीवा द्वारा जिसकी दाढ़ी नोच लिए जाने के चलते, संजीव जीवा को सुपारी देकर ठिकाने लगवा डालने की खबरें उड़ाई जा रही हैं.
यह तमाम दावे टीवी9 से विशेष बातचीत में 1998 बैच के पूर्व आईपीएस अधिकारी और यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस आर के चतुर्वेदी ने किए. श्री चतुर्वेदी ने इस सनसनीखेज खुलासे के दौरान बातचीत को जारी रखते हुए आगे कहा, “दरअसल मीडिया के पास सही जानकारी आ ही नहीं पा रही है. इधर-उधर से मीडिया को जो अधकचरी-सूचनाएं यहां वहां से मिल जा रही हैं, उन्हीं को बड़ी खबर बना दिया जा रहा है. जबकि संजीव जीवा जैसे खतरनाक गैंगस्टर को निपटाए जाने की खबरों को बेहद संवेदनशीलता और परखने के बाद ही पाठक-दर्शक तक पहुंचाया जाना चाहिए.
जीवा मर्डर का लिंक नेपाल से तो है मगर…
अभी तक जहां तक मेरे लंबे पुलिस अनुभव से जो कुछ ठोस जानकारी निकल कर बाहर आ पा रही है. उसके मुताबिक इसमें शक नहीं कि, जीवा हत्याकांड का लिंक नेपाल (काठमांडो) से है.” टीवी9 के एक सवाल के जवाब में यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस बोले, “जो कुछ मुझे मालूम चला है उसके मुताबिक, जीवा मर्डर केस की जांच कर रही एसआईटी टीम को, लखनऊ जेल में बंद वो विचाराधीन कैदी अब तक नहीं मिला है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो नेपाल का मूल निवासी है.
जीवा ने जब जेल में उसकी दाढ़ी नोच ली थी तो, इससे बौखलाए और नेपाल में रहने वाले इस विचाराधीन कैदी के अशरफ नाम के भाई ने जीवा हत्याकांड का षडयंत्र रच डाला. मेरी पास मौजूद जानकारी के मुताबिक जीव हत्याकांड में नेपाल में कोई भी अशरफ नहीं है. न ही नेपाल के बाशिंदे किसी अशरफ नाम के बदमाश का भाई जीवा वाली लखनऊ जेल में बंद मिला है.”
मुकदमे या चार्जशीट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा
अगर ऐसा है तो फिर अब जीवा हत्याकांड की जांच में जुटी यूपी पुलिस की एसआईटी मुकदमे की चार्जशीट कोर्ट में किस तरह से दाखिल करेगी? पूछने पर पूर्व आईपीएस अधिकारी आरके चतुर्वेदी ने कहा, “मुकदमे या चार्जशीट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जांच में जुटी पुलिस ने पक्का इतना तो निकाल ही लिया होगा कि, वो हत्यारोपी को कोर्ट से सजा मुकर्रर करा सके. मैं बात सिर्फ इस मामले में नेपाल से लिंक की कर रहा हूं. नेपाल से लिंक यह है कि संजीव जीवा का कातिल विजय यादव कुछ वक्त काठमांडू में किसी होटल में नौकरी करता रहा है.
इस बात के कुछ सबूत भी विजय यादव ने जांच कर रही यूपी पुलिस एसआईटी को दिए हैं. जो आइंदा साबित कर देंगे कि, संजीव जीवा के हत्यारोपी विजय यादव का लिंक नेपाल से था.” अगर जब संजीव जीवा हत्याकांड का लिंक नेपाल से मिल ही जाएगा पुलिस को, तब फिर क्या परेशानी है? पूछने पर उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस व प्रयागराज के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक आर के चतुर्वेदी ने कहा, “मुश्किल पुलिस को कुछ नहीं है.
नेपाल, अशरफ, जेल में अशरफ के भाई की उलझी गुत्थी
मीडिया सोचे कि जिस हत्याकांड के तार जोड़ने में जुटी पुलिस की टीमें ही नेपाल में, किसी अशरफ को और लखनऊ जेल में जीवा के साथ बंद उसी नेपाली अशरफ के, किसी भाई को सात दिन बाद तक नहीं तलाश पाई है. तो मीडिया अब कहां से उस अशरफ को नेपाल से तलाशकर लाएगी और, उसके भाई को लखनऊ जेल से? जो कभी लखनऊ जेल में जीवा के साथ बंद ही नहीं रहा. यह तो बे-सिर पैर की मनमर्जी खबरें छापने-दिखाने वाला मीडिया खुद से पूछे और सबको बताए. मेरे पास तो यही जानकारी है कि, जीवा हत्याकांड में विजय यादव की तो पूरी भूमिका है. मगर अभी तक नेपाल में कोई अशरफ, या फिर लखनऊ जेल में संजीव जीवा के साथ इसी अशरफ का कोई भाई बंद नहीं मिला है.”
मुलजिम को सजा के लिए सबूत-गवाह पूरे
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खूंखार और मोस्ट वॉन्टेड माफिया गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ संजीव जीवा हत्याकांड में, अंदर की और भी कुछ अहम बातों का जिक्र करते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व आईजी इंटेलीजेंस कहते हैं, “जिस तरह के एवीडेंसिस संजीव जीवा हत्याकांड में पुलिस एसआईटी ने जुटा लिए हैं. मुझे उससे पूरी उम्मीद है कि इन्हीं सबूतों-गवाहों के आधार पर हत्यारोपी को पुलिस कोर्ट से सजा करा लेगी. हां, चूंकि विजय यादव ने नेपाल में कुछ वक्त नौकरी की है. दूसरे, संजीव जीवा की हत्या के लिए मिली सुपारी की 20 रकम लेन-देन की बात जो, नेपाल से जुड़कर आ रही है.
वो कोर्ट में पुलिस को साबित करने में कानूनी तरीके से थोड़ी अड़चन भरा हो सकता है. क्योंकि जैसे ही यह बात साबित होने लगेगी कि, संजीव जीवा के कातिल ने 20 लाख रुपए नेपाल में जाकर लिए थे. वैसे ही पुलिस को यह बात कानूनन साबित भी करनी होगी मय गवाह और सबूत. अगर पुलिस ने 20 लाख सुपारी और उसके नेपाल में लेनदेन की बात पड़ताल में शामिल नहीं की. तो सीधे सीधे यह मुकदमा हत्या का चलेगा. और आरोपी को पूरी पूरी संभावना है कि सजा भी होगी.”