प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 जून को अमेरिका की यात्रा पर जाने वाले हैं। पीएम मोदी की इस यात्रा को यादगार बनाने की ऐसी कोशिशे की जा रही है जिसे आने वाले पांच दशकों तक याद रखा जा सके। इसके लिए दोनों देशों के विदेश एवं रक्षा मंत्रालय की टीमें प्लानिंग को अंतिम रूप देने में जुटी है। पीएम मोदी 21 जून से 24 जून तक अमेरिका के दौरे पर रहेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन्हें स्टेट डिनर के लिए आमंत्रित किया है। इस दौरान पीएम मोदी न्यूयॉर्क में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में हिस्सा ले सकते हैं और संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित कर सकते हैं। ये दूसरा मौका होगा जब मोदी अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। दूसरी बार ऐसा करने वाले वो भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे। ऐसा करके वो इतिहास बनाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत की सामरिक दृष्टि से कुछ ऐसे फैसले लिए जाएंगे जिससे उनकी ये अमेरिका यात्रा ऐतिहासिक बन जाएगी।
क्या है ये मेगा डिफेंस डील
इसमें सबसे अहम है रक्षा क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की। रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी की यात्रा के दौरान 350 फाइटर जेट इंजनों के भारत में निर्माण का बड़ा राजनीतिक सौदा परवान चढ़ने वाला है। अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रानिक और हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स के बीच समझौते पर हस्ताक्षर 22-23 जून को होने की संभावना है। इस डील के बाद दोनों कंपनियां घरेलू स्तर पर फाइटर जेट इंजन की मैन्युफैक्चरिंग करेंगे। शुरुआत में दोनों कंपनी प्लेन के इंजन बनाएंगे। जबकि भविष्य में भारतीय नौसेना के जहाजों के इंजन भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। इस डील को लेकर जो बातचीत हो रही है उसकी सबसे खास बात ये है कि भारत अमेरिका के साथ जेट इंजन बनाने की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने पर जोर दे रहा है। इस डील के बाद भारत स्वदेशी फाइटर इंजन बनाने में सक्षम हो जाएगा। वहीं आने वाले समय में इससे देश में पानी के जहाजों के इंजन भी तैयार किए जा सकेंगे।
रक्षा क्षेत्र का ये सबसे बड़ा समझौता
नई डील के बाद तेजस को हाईपावर का इंजन मिल जाएगा। मार्क 2 और स्वदेशी फाइटर प्लेन एमका में जीई 414 इंजन लगेगा। बताया जा रहा है कि जीई और एचएएल के बीच रक्षा क्षेत्र का ये सबसे बड़ा समझौता होगा। ये रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत किया जाएगा। करीब एक दशक के लंबे इंतजार के बाद भारत और अमेरिका के बीच सैन्य विमानों के इंजन को लेकर ये बड़ा रक्षा सौदा होने जा रहा हैय़ शुरुआती साझेदारी केवल सैन्य विमानों के इंजन के लिए होगी। माना जा रहा है कि अमेरिका के रक्षा मंत्री लार्ड आस्टिन और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच इस सौदे को लेकर बुनियादी बातचीत हो गई है और इस पर सहमति भी बन गई है।
अमेरिका के लिए भी ये डील क्यों जरूरी
जिस अमेरिका ने 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारत को जीपीएस नेविगेशन देने से मना कर दिया था। वो आज अपने हथियारों की टेक्नोलाजी देने को तैयार बैठा है। अमेरिका अब ऐसी स्थिति में आ गया है कि वो कुछ भी करने को तैयार है, लेकिन ये डील साइन कर हो जाए। अमेरिका को इस डील की कितनी जरूरत है वो आप इस बात से समझ सकते हैं कि कुछ दिन पहले अमेरिका के रक्षा मंत्री भारत आए और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर इस डील के बारे में बात करके गए। वो इस उम्मीद से भारत आए थे कि जब पीएम मोदी 22 जून को अमेरिका आए तो ये डील साइन करके जाएंगे। इसके अलावा 13 जून को अमेरिका के एनएसए जैस सुलेविन भारत दौरे पर पहुंचे। वो भी इस डील के बारे में बात होगी। इस डील को अमेरिका की इकोनॉमी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण बताया जा रहा है।
सात साल में दूसरी बार पीएम मोदी कांग्रेस को करेंगे संबोधित
राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा उसी दिन राजकीय रात्रि भोज की मेजबानी की जाएगी, जिस दिन वे उस दिन की शुरुआत में व्हाइट हाउस में औपचारिक स्वागत के साथ कांग्रेस को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी के 23 जून को वापस भारत लौटने की उम्मीद है। पीएम मोदी सात साल की अवधि के भीतर कांग्रेस को दो बार संबोधित करने वाले पहले भारतीय पीएम होंगे। पीएम मोदी ने इससे पहले जून 2016 में अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था। बहुत कम वैश्विक नेताओं ने अमेरिकी कांग्रेस को दो बार संबोधित किया है। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले महान नेता नेल्सन मंडेला और इस्राइल के पूर्व पीएम यित्झाक राबिन भी दो बार अमेरिकी संसद को संबोधित कर चुके हैं।
ऐतिहासिक दौरा
अमेरिका में लोग पीएम मोदी से मिलने के लिए बेकरार हैं और कतार लगाए हुए हैं। अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक पूरा अमेरिका प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए तैयार है। व्हाइट हाउस ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा दोनों देशों के बीच गहरी और करीबी साझेदारी की फिर से पुष्टि करने का एक अवसर होगा। इस बीच इंडोपैसेफिक क्षेत्र के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष अधिकारी कैंप्बेल ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि पीएम मोदी की यात्रा भारत के साथ अमेरिका के संबंधों को दुनिया में सबसे बेहतर साबित करेगी। भारत वैश्विक स्तर पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
स्टेट विजिट क्या होते हैं?
राजकीय यात्राएं राज्य/सरकार के प्रमुख के नेतृत्व में विदेशी देशों की यात्राएं होती हैं, जो उनकी संप्रभु क्षमता में कार्य करती हैं। इसलिए उन्हें आधिकारिक तौर पर राजनेता का नाम की यात्रा के बजाय स्टेट विजिट के रूप में वर्णित किया जाता है। अमेरिका की राजकीय यात्राएँ केवल संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर होती हैं, जो राज्य के प्रमुख के रूप में उनकी क्षमता में कार्य करते हैं। राज्य के दौरे आम तौर पर कुछ दिनों के होते हैं और इसमें कई विस्तृत समारोह शामिल होते हैं, जो राज्य के आने वाले प्रमुख के कार्यक्रम के अधीन होते हैं। अमेरिका में,इन समारोहों में शामिल हैं, एक फ्लाइट लाइन समारोह जहां आने वाले राष्ट्राध्यक्ष का लैंडिंग के बाद टरमैक में 21 तोपों की सलामी से स्वागत किया जाता है। व्हाइट हाउस आगमन समारोह में व्हाइट हाउस में रात्रिभोज, राजनयिक उपहारों का आदान-प्रदान, और फ्लैग स्ट्रीटलाइनिंग में रहने की सुविधा प्रदान की जाती है। नरेंद्र मोदी की यात्रा में 22 जून को राजकीय रात्रिभोज शामिल होगा।
क्या किसी विदेशी नेता की हर यात्रा राजकीय यात्रा होती है?
जवाब है, नहीं। राजकीय यात्राएं महान औपचारिक महत्व वाली विदेश यात्राओं की सर्वोच्च श्रेणी हैं और इन्हें मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की उच्चतम अभिव्यक्ति माना जाता है। हालांकि, ये अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं, मुख्य रूप से अपनी प्रतिष्ठा और प्रतीकात्मक स्थिति बनाए रखने के लिए। उदाहरण के लिए, अमेरिका की कूटनीतिक नीति के अनुसार, राष्ट्रपति हर चार साल में एक बार किसी भी देश के एक से अधिक नेताओं की मेजबानी नहीं कर सकता है। कम महत्वपूर्ण यात्राओं को (अमेरिकी कूटनीतिक नीति के अनुसार परिमाण के अवरोही क्रम में) आधिकारिक यात्राओं, आधिकारिक कामकाजी यात्राओं, कामकाजी यात्राओं, अतिथि-सरकारी यात्राओं और निजी यात्राओं के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इनमें से प्रत्येक यात्रा के लिए अलग-अलग प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है। इन यात्राओं और एक राजकीय यात्रा के बीच प्रमुख अंतर यह है कि राज्य के दौरे केवल राज्य के प्रमुख के साथ संप्रभु क्षमता में किए जाते हैं (संसदीय लोकतंत्रों के मामले में सरकार के प्रमुख उनके राज्य के प्रमुखों की औपचारिक प्रकृति के कारण) दौरे करने की अनुमति देते हैं। अन्य यात्राएँ कई अन्य महत्वपूर्ण नेताओं द्वारा की जा सकती हैं जिनमें क्राउन प्रिंस, उप-राष्ट्रपति, राज्य के औपचारिक प्रमुख आदि शामिल हैं। पिछले 75 साल में केवल दो भारतीय नेताओं को आधिकारिक राजकीय यात्रा का सम्मान दिया गया है। इससे पहले जून 1963 में राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन और नवंबर 2009 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राजकीय यात्रा के साथ सम्मानित किया गया था।