विपक्षी एकता के प्रयासों में जुटे बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की पुल ढहने की घटना ने अच्छी-खासी किरकिरी करा दी। भ्रष्टाचार के मामले में विपक्षी दलों को निशाना बनाने से भाजपा नहीं चूकती। भाजपा पूर्व में भी विपक्षी एकता के प्रयासों पर ऐसे प्रहार करती रही है। विपक्षी एकता के प्रयासों को भ्रष्टाचारियों को बचाने का गठजोड़ बताती रही है। दरअसल, भागलपुर के सुल्तानगंज स्थित अगुवानी घाट गंगा नदी पर 1710 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे निर्माणाधीन फोरलेन पुल का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 23 फरवरी 2014 को शिलान्यास किया था, मगर अब यह पुल ढह गया। पुल की लंबाई 3.160 किलोमीटर थी। इसका निर्माण 80 प्रतिशत पूरा हो चुका था।
इससे पहले भी यह पुल 27 अप्रैल 2022 को तेज आंधी और बारिश के चलते ढह गया था। इस पुल का कम से कम 100 फीट हिस्सा गिर गया था। बिहार में घटिया निर्माण के कारण पुलों के ध्वस्त होने की यह कोई पहली घटना नहीं है। बीते एक साल में राज्य में 7 बार पुल गिरने की घटनाएं हो चुकीं हैं, लेकिन नीतीश सरकार फिर भी नहीं जागी। विपक्षी एकता के सपने के बूते केंद्र में सत्ता पाने के प्रयास में जुटे नीतिश कुमार बिहार को नहीं संभाल पा रहे हैं। बिहार भ्रष्टाचार और अराजकता के लिए ही नहीं बल्कि अजीबोगरीब घटनाओं के लिए भी सुर्खियों में रहा है। यह बिहार में ही संभव है कि पुल जैसा मजबूत ढांचा महज आंधी से ढह जाए। इसके अलावा भी बिहार में भ्रष्टाचार और अराजकता की ऐसी हास्यादपद घटनाएं हुई हैं। इनसे नीतिश सरकार के तौर-तरीकों पर सवालिया निशान लगते रहे हैं।
किसी भी राज्य में भारी-भरकम रेल के इंजन की चोरी की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मगर बिहार में चोर ट्रेन के इंजन को चोरी कर ले गये। बरौनी (बेगूसराय जिला) के गरहारा यार्ड में मरम्मत के लिए लाए गए ट्रेन के डीजल इंजन को एक गिरोह ने चुरा लिया। चोर एक सुरंग माध्यम से आते थे और इंजन के पुर्जों को चुरा लेते थे। इंजन के पुर्जों को बोरियों में भरकर ले जाते थे। इंजन का सिर्फ ऊपरी ढांचा ही रह गया। बिहार है तो ऐसी वारदातें संभव है कि तर्ज पर पंडौल से लोहट चीनी मिल की तरफ गई रेल लाइन से दो किलोमीटर पटरी चोरी हो गई है। चीनी मिल के बंद होने के बाद से ही इस ओर रेल सेवाएं बाधित थीं। चोरों ने इसी का फायदा उठाया और वो रेल लाइन से दो किलोमीटर पटरी चोरी कर ले गए।
बिहार के बांका जिले से एक लोहे का पुल गायब हो गया। चोरों ने इस पुल का दो तिहाई हिस्सा गैस कटर से काटकर चुरा लिया। लाखों रुपये की लागत से पटनिया धर्मशाला से जोड़ने के लिए इस पुल का निर्माण किया गया था। पुल की लंबाई 80 फीट और चौड़ाई 15 फीट है। भागलपुर के सुल्तानगंज से देवघर में बैद्यनाथ धाम जाने वाले तीर्थयात्रियों (कांवरियों) की सुविधा के लिए इस पुल को बनाया गया था। इससे पहले भी बिहार के रोहतास जिले में लोहे के पुल की चोरी हुई थी। यहां चोरों ने 60 फीट लंबे और 500 टन वजनी लोहे के पुल को गायब कर दिया था। बिहार में अपराधियों को इससे फर्क नहीं पड़ता है कि चोरी का माल कितना भारी और कहां पर स्थित है। भले ही वह स्थान राजधानी पटना ही क्यों न हो। चोरों की हिमाकत है कि मुजफ्फरपुर से मोबाइल का टावर चोरी कर ले गए। इससे पहले राजधानी पटना में भी चोरों ने मोबाइल टावर चोरी कर लिया था।
बिहार दशकों से भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ को लेकर सुर्खियों में रहा है। बिहार हाईकोर्ट ने लालू यादव के शासन को जंगल राज बताया था। इसकी झलक नीतिश सरकार में बाकी है। बाहुबली आनंद सिंह की जेल से रिहाई के मुद्दे पर नीतिश सरकार की छवि प्रभावित हुई है। बिहार सरकार ने जेल कानूनों में संशोधन करके जिला कलक्टर की हत्या के आरोप में सजा काट रहे आनंद सिंह को रिहा करने का मार्ग प्रशस्त किया। राजनीति में भ्रष्टाचार और अपराध का बिहार का पुराना इतिहास रहा है। बिहार की गुलाटी मारती गठबंधन वाली राजनीति में नीतीश ने कई बार गुलाटी खाई है। वर्ष 2017 जुलाई में कलह की वजह को नीतीश ने भ्रष्टाचार के खिलाफ असहिष्णुता बताया था। उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को वजह बताते हुए मुख्यमंत्री नीतिश ने राजद के साथ गठबंधन तोड़ते हुए कहा था कि उन्हें घुटन महसूस होती है। छह साल बाद उन्होंने राजद से फिर हाथ मिला लिया। तेजस्वी डिप्टी सीएम बने और तेज प्रताप यादव को मंत्री बनाया गया।
नीतिश कुमार विपक्षी एकता के प्रयासों के जरिए भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ बिहार में लालू के शासन में हुए भारी भ्रष्टाचार और अराजकता की छाप अभी तक बनी हुई है। लालू यादव की पार्टी से सत्ता के लिए किए गए गठबंधन के बाद प्रदेश की छवि बदलने के प्रयासों को झटका लगा है। उस पर भ्रष्टाचार और आपराधिक घटनाएं कोढ़ में खाज साबित हो रही हैं। भाजपा नीतिश सहित अन्य विपक्षी दलों पर सार्वजनिक तौर पर भ्रष्टाचार और कानून-व्यवस्था को मुद्दा बनाती रही है। निश्चित तौर पर आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए यह बड़ा मुद्दा होगा। नीतिश सहित विपक्षी दल भाजपा पर ईडी और सीबीआई की द्वेषपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाते रहे हैं किन्तु जब तक इन दलों के दामन पर लगे दाग नहीं हटेंगे तब न सिर्फ एकता के प्रयासों को झटका लगेगा बल्कि भाजपा को भी इनके खिलाफ बोलने का मौका मिलता रहेगा।