Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी के 8 साल में निपट चुके खूंखार शूटर्स की खूनी फेहरिस्त

Mukhtar Ansari: मुख्तार अंसारी के 8 साल में निपट चुके खूंखार शूटर्स की खूनी फेहरिस्त

लखनऊ की कोर्ट में उत्तर प्रदेश के खूंखार गैंगस्टर संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा का बुधवार यानी 7 जून 2023 को दिन-दहाड़े कत्ल कर दिया गया. हालत मगर खराब है, बीते कल के माफिया डॉन और आज के बेबस-लाचार उम्रकैद के सजायाफ्ता मुजरिम मुख्तार अंसारी की. इसलिए क्योंकि उसकी कानून जिस तरह से दुर्गति कर रहा है, वो तो जमाने को मालूम है.

उसकी तबाही में बाकी की बची रही-सही कसर पूरी हो रही है उसके उन “खूंखार नवरत्नों” के सफाए से, जिन पर कभी मुख्तार अंसारी को नाज हुआ करता था. आइए जानते हैं कि आखिर बीते 8 साल में वे कौन-कौन से शूटर गैंगस्टर निपटाए जा चुके हैं जिन्हें मुख्तार अंसारी अपना ‘राइटहैंड’ कहता था, और जो निपट चुके गैंगस्टर मुख्तार को अपना ‘माई-बाप’ कहते नहीं थकते थे.

संजीव जीवा पर आंख मूंदकर विश्वास करता था मुख्तार अंसारी

सबसे पहले तो बात उसी संजीव जीवा की, जिसके ऊपर मुख्तार अंसारी आंख मूंदकर विश्वास किया करता था. उसे एक नौसिखिए से भाड़े के शूटर ने बुधवार को, लखनऊ की भरी अदालत में गोलियों से भूनकर निपटा दिया. संजीव जीवा मुख्तार का वही राइटहैंड था जिसने नवबंर 2005 में साल बीजेपी के दबंग नेता, कृष्णानंद राय को सरेआम घेरकर, उनके काफिले पर एके-47 से गोलियों की बौछाकर करके उन्हें मार डाला था. उस कांड ने भले ही तब बीजेपी को तगड़ा झटका दिया था. मगर मुख्तार की माफियागिरी को इसी संजीव जीवा ने रातों रात चार चांद लगा दिए थे.

कृष्णानंद राय हत्याकांड की सफलता ने तो मानों संजीव जीवा और मुख्तार अंसारी के बीच बाप-बेटा का रिश्ता ही बनवा डाला हो. अब जब मुख्तार खुद जेल में उम्रकैद का सजायाफ्ता मुजरिम बना पड़ा सिसक रहा हो. जब उसे संजीव जीवा के जीवट वाले अपने शूटर की बहुत जरूरत थी. तभी संजीव जीवा को इस दुर्दांत मौत मार डाले जाने की घटना ने मुख्तार अंसारी के दिल-ओ-जेहन पर क्या गुजरवाई होगी? यह जमाने में मुख्तार अंसारी से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है.

पुष्प राज की गोली मारकर हुई थी हत्या

अब जिक्र पुष्प राज के अंत का. वो थी 5 मार्च साल 2016 यानी अब से करी 8 साल पहले. जब मुख्तार अंसारी के मुंहलगे गैंगस्टर शूटर मुन्ना बजरंगी के साले पुष्पराज को उसके एक साथी के संग, विकास नगर में कत्ल कर डाला गया. मुख्तार के लिए वो झटका भी असहनीय था. क्योंकि पुष्पराज का नाम मुख्तार की नजर में गजब के अचूक निशानेबाज-शूटर के रूप में दर्ज था. पुष्पराज के कत्ल ने न केवल मुख्तार अंसारी को तब कुछ वक्त के लिए वैसाखियों पर ला दिया था. अपितु साले पुष्पराज के कत्ल ने गैंगस्टर शूटर बहनोई मुन्ना बजरंगी को भी तब पसीना ला दिया था. कह सकते हैं कि साले पुष्पराज के कत्ल वाले दिन से ही मुन्ना बजरंगी को भी. अपने सिर पर खुद की अकाल मौत तांडव करती हुई नजर आने लगी थी.

उस घटना के दो ढाई साल बाद ही वही हो लिया जिसकी आशंका साले पुष्पराज के कत्ल के वक्त से ही मुन्ना बजरंगी करने लगा था. मतलब, 9 जुलाई साल 2018 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बागपत जेल के भीतर मुन्ना बजरंगी को भी सुनी राठी ने गोलियों से भूनकर मार डाला. ढाई साल के भीतर मुख्तार अंसारी को पुष्पराज के कत्ल के बाद मुन्ना बजरंगी का जेल के अंदर कत्ल, दूसरा ना-काबिल-ए-बर्दाश्त झटका था. क्योंकि मुख्तार के पास उन दिनों मुन्ना बजरंगी ही एक अदद वो शूटर था, जो काम का और विश्वास का था.

हनुमान पांडे मारा गया था

जेल की सलाखों में बंद पड़ा मुख्तार अंसारी अभी पुष्पराज और मुन्ना बजरंगी के कत्ल से आंखों में छलक आए आंसू पोंछकर शांत भी नहीं हुआ था कि, पता चला 9 अगस्त 2020 को उसके खास शूटर-गुर्गा हनुमान पांडे को यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर में साफ कर दिया. मतलब, एक के बाद एक मुख्तार अंसारी के काम के ‘लड़के’ (शूटर) निपटाए जाते रहे. और बेबसी के आलम में जेल में बंद बीते कल का माफिया डॉन मुख्तार अंसारी लाख चाहकर भी बदले में किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सका.

चंद महीने बाद ही 6 जनवरी 2021 को लखनऊ में पुलिस चौकी के मुहाने पर, शूटर्स ने मुख्तार अंसारी की आंख नाक कान समझे जाने वाले, अजीत सिंह को गोलियों से भून डाला गया. कहते हैं कि अजीत सिंह मुख्तार अंसारी की अघोषित “बैंक या कहिए फाइनेंसर-फंडर” हुआ करता था. जो मुख्तार के लिए हर लम्हा सिर्फ और सिर्फ ‘फंड’ जुटाने के वास्ते ही किसी का भी कत्ल, अपहरण करने की तलाश में भटकता रहता था. अजीत सिंह के निपटने के पांच महीने के भीतर ही मई 2021 में मुख्तार अंसारी को एक और झटका मिला. जब उसके मुंहलगे खास शूटर मेराज को चित्रकूट जेल के भीतर गोलियों से भूनकर निपटा दिया गया.

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