New Delhi: भारत से मक्का तक इस शख्स ने की पैदल यात्रा

New Delhi: भारत से मक्का तक इस शख्स ने की पैदल यात्रा

केरल के मल्लपुरम जिले के वेलंचेरी के रहने वाले शिहाब छोटूर, अब ये शख्स सिर्फ एक आम इंसान नहीं बल्कि अडिग इरादे की मिसाल बन चुका है। शिहाब छोटूर ने मल्लपुरम से मुसलमानों के पवित्र शहर मक्का और मदीना के लिए हज यात्रा की शुरुआत की थी। मगर ये कोई आम यात्रा नहीं थी, बल्कि ये यात्रा बेहद खास है क्योंकि शिबाह ने पैदल ही इस यात्रा को पूरा किया है जिसके बाद लगातार वो चर्चा का विषय बने हुए है।

शिहाब की ये यात्रा एक वर्ष पहले यानी 2 जून 2022 को केरल से शुरू हुई थी, जो पूरे 370 दिनों तक पैदल यात्रा करने और 8600 किलोमीटर चलने के बाद पूरी हुई है। उन्होंने अपने जुनून और इच्छाशक्ति के बल पर हजारों किलोमीटर की यात्रा को पूरा किया है और मक्का पहुंचे है। इस दौरान उन्होंने भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक, कुवैत और सऊदी अरब जैसे देशों से यात्रा की है। मक्का जाने से पहले वो 21 दिनों तक मदीना में भी रहे। शिहाब ने मई महीने के दूसरे सप्ताह में ही कुवैत से सऊदी अरब की सीमा पार की थी। इसके बाद वो मदीना पहुंचे थे।

गौरतलब है कि मदीना और मक्का के बीच 440 किलोमीटर की दूरी है जिसे पार करने में उन्हें पूरे नौ दिनों का समय लगा है। बता दें कि अब वो कुछ दिन मक्का में रुकेंगे। यहां उनकी मां भी आ रही है, जिनके साथ हज यात्रा को वो पूरा करेंगे। बता दें कि शिहाब यूट्यूब चैनल भी चलाते है। इस यूट्यूब चैनल पर उन्होंने अपने 370 दिनों की पूरी जर्नी अपने दर्शकों के साथ साझा भी की है। 

पाकिस्तान में आई थी मुश्किल

इस पूरी जर्नी में कई तरह के उतार चढ़ाव देखने के बाद शिहाब अंत में सफलता के साथ मक्का पहुंचने में सफल हुए है। इस दौरान उन्होंने कई तरह से उतार चढ़ाव देखे थे। उन्होंने अपने चैनल पर बताया था कि बीते वर्ष वाघा बॉर्डर पर पहुंचने से पहले वो कई राज्यों से होकर निकले। इस दौरान जब पाकिस्तान में उन्होंने प्रवेश करने के लिए इजाजत मांगी तो इसके लिए उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान में काफी अड़चने उन्हें अपनी यात्रा के दौरान देखने को मिली थी। उन्हें ट्रांजिट वीजा पाने के लिए वाघा के एक स्कूल में महीनों तक इंतजार करना पड़ा था। हालांकि वर्ष 2023 में उन्हें ट्रांजिट वीजा पाने में सफलता मिली और उन्होंने पाकिस्तान में एंट्री लेने के बाद अपनी आगे की यात्रा पूरी की। चार महीने के बाद उन्हें अपनी मंजिल मिल गई।

Leave a Reply

Required fields are marked *