हरियाणा में भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के गठबंधन के बीच उभरे मतभेदों के चलते मनोहर लाल खट्टर सरकार पर खतरा मंडराने लगा है। इसको देखते हुए भाजपा ने निर्दलीयों के समर्थन से अपनी सरकार बचाने की कवायद भी शुरू कर दी है। पिछले दिनों राज्य के भाजपा प्रभारी बिप्लब देव निर्दलीय विधायकों से मुलाकात कर चुके हैं और शनिवार को उन्होंने चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री खट्टर से मुलाकात की।
दुष्यंत चौटाला की प्रतिक्रिया
इस बीच, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कड़ा बयान देते हुए कहा है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा और उनकी पार्टी जजपा के बीच गठबंधन राज्य में स्थिर सरकार बनाने के लिए हुआ था, किसी बाध्यता के कारण नहीं। जजपा नेता चौटाला ने कहा कि अक्टूबर 2019 के चुनाव के बाद वरिष्ठ भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में गठबंधन को अंतिम रूप दिया गया था। दोनों पक्षों के नेताओं की बयानबाजी के बाद क्या दोनों सहयोगी दलों के बीच मतभेद उभरे हैं, इस पर चौटाला ने कहा, ‘‘दोनों दलों ने राज्य में एक स्थिर सरकार बनाये रखने के तरीकों पर चर्चा की थी और उसके बाद ही आपसी सहमति से गठबंधन बना था। यह ना तो मेरी और ना ही भाजपा की बाध्यता थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राज्य को स्थिर सरकार चाहिए और हमने वह दी है। आज हरियाणा तरक्की कर रहा है। मुझे नहीं लगता कि किसी ने किसी के साथ पक्षपात किया है।’’ चौटाला ने कहा कि वह गठबंधन की शुरुआत से सुन रहे हैं कि यह तीन महीने भी नहीं चलेगा, वहीं कुछ अन्य लोग कह रहे हैं कि यह एक साल में टूट जाएगा। उप मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जिस दिन कोई तल्खी होगी, मुझे लगता है कि आपको (मीडिया को) पूछने का मौका भी नहीं मिलेगा।’’ जब उनसे पूछा गया कि क्या भाजपा और जजपा अगले साल चुनाव मिलकर लड़ेंगे तो उन्होंने जवाब दिया, ‘‘दोनों दलों के नेता यह तय करेंगे और मुझे लगता है कि दोनों दल साथ चलना चाहते हैं।
हरियाणा विधानसभा की दलीय स्थिति
हम आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा ने 90 सदस्यीय सदन में 40 सीट जीती थीं और जजपा ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। पिछले साल हुए आदमपुर विधानसभा उपचुनाव में जीत के बाद भाजपा के सदस्यों की संख्या एक और बढ़ गयी। मौजूदा सदन में भाजपा के 41 विधायक हैं, कांग्रेस के 30 और जजपा के 10 विधायक हैं। सात निर्दलीय विधायकों में से छह ने भाजपा का समर्थन किया है। इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के विधानसभा में एक-एक सदस्य हैं। एचएलपी भी मनोहर लाल खट्टर सरकार का समर्थन कर रही है।
बिप्लब देव का एक्शन
खट्टर सरकार का समर्थन कर रहे हरियाणा के चार निर्दलीय विधायकों ने गुरुवार को दिल्ली में राज्य के भाजपा प्रभारी बिप्लब कुमार देब से मुलाकात की थी। इसके अलावा शुक्रवार को एचएलपी अध्यक्ष और विधायक गोपाल कांडा ने भी दिल्ली में बिप्लब देब से मुलाकात की थी। निर्दलीय विधायकों से मुलाकात के बाद बिप्लब देब ने एक बयान में कहा कि बैठक में हरियाणा के विधायक धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्वास जताया। भाजपा नेता ने कहा कि उनकी पार्टी डबल इंजन सरकार के तहत राज्य की प्रगति के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
विवाद क्यों खड़ा हुआ?
हम आपको यह भी बता दें कि भाजपा और जजपा के बीच खटास तब सामने आई जब दोनों दलों के नेताओं ने हाल ही में यह कहते हुए एक-दूसरे पर कटाक्ष किया कि जेजेपी ने भाजपा को समर्थन देकर कोई एहसान नहीं किया, क्योंकि क्षेत्रीय दल भी सरकार में शामिल हो गए हैं। दोनों दल इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हैं कि क्या वे 2024 के विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ेंगे। फिलहाल तो भाजपा और जजपा हरियाणा की दस लोकसभा सीटों पर अकेले लड़ने की तैयारी में जुट गये हैं।
इस बीच, हरियाणा के निर्दलीय विधायक और राज्य सरकार में मंत्री रंजीत सिंह चौटाला ने कहा है कि हम सभी निर्दलीय विधायक सरकार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि भाजपा और जजपा का गठबंधन बना रहेगा और यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।