भोपाल। साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर प्रदेश में पार्टी के दो नेताओं के बयानों की पृष्ठभूमि में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने मंगलवार को कहा कि ‘चेहरा वही होगा जिसे जनता स्वीकार करेगी।’ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 के विधानसभा चुनावों से उलट प्रदेश के लोग अब कमलनाथ को पहचानते हैं। इस संबंध में कांग्रेस के दो नेताओं के बयान को लेकर मंदसौर में पूछे गए सवाल पर कमलनाथ ने कहा, ‘‘पार्टी में सब लोगों ने (नेताओं ने) जो बयान दिए हैं वो आपने भी सुने, मैंने भी सुने। इसमें कौन सी बेचैनी है? अंत में चेहरा वही होगा जिसे जनता स्वीकार करेगी।’’
कमलनाथ ने कहा कि मई 2018 में जब वह कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष बने थे तब राज्य के ज्यादातर लोग उनके बारे में ज्यादा नहीं जानते थे। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन अब स्थिति बदल गई है। मध्य प्रदेश के सभी वर्ग के लोग अब कमलनाथ को जानते हैं।’’ इससे पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता गोविंद सिंह और कमलनाथ के करीबी माने जाने वाले विधायक सज्जन सिंह वर्मा के बीच 29 मई को दिल्ली में मध्य प्रदेश चुनाव की तैयारियों की बैठक से लौटने के बाद वाकयुद्ध छिड़ गया था। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने भाग लिया था। बैठक में शामिल होने के बाद सिंह ने कहा था,‘‘कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है। पहले से मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा करना कांग्रेस की परंपरा नहीं है। जनता विधायकों का चुनाव करेगी, जो आगे मुख्यमंत्री चुनेंगे।’’ वर्मा ने पलटवार करते हुए कहा था, “गोविंद सिंह जी कभी-कभी भूल जाते हैं कि क्या विधायकों ने उन्हें विपक्ष का नेता चुना है? नहीं, वह विधायकों द्वारा नहीं चुने गए थे। वह वरिष्ठ हैं इसलिए हम विपक्ष के नेता के रूप में उनकी नियुक्ति पर सहमत हुए।”
वर्मा ने कहा कि मध्य प्रदेश के लोग और पार्टी के नेता कमलनाथ को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सिंह को वैसा ही व्यवहार करना चाहिए जैसे व्यवहार की अपेक्षा वह दूसरों से करते हैं। वर्मा ने कहा, ‘‘सभी उपस्थित (दिल्ली की बैठक में) 22 सदस्यों ने कमलनाथ को अपना नेता स्वीकार किया। यह ऑन रिकार्ड है। सभी नेताओं ने स्वीकार किया कि 2023 का चुनाव कमलनाथ के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।’’ बाद में सिंह ने एक वीडियो बयान जारी कर दावा किया कि मीडिया द्वारा उनकी टिप्पणी की गलत व्याख्या की गई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह सच है कि सभी वरिष्ठ नेताओं ने कमलनाथ के नेतृत्व में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। मैंने कई बार कहा है कि वह हमारी पार्टी के नेता हैं।’’ हालांकि सिंह ने कहा कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री का चयन विधायक दल द्वारा किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के जिला अध्यक्षों को भी मैदान में उतारा जाएगा कमलनाथ ने कहा कि इस संबंध में फैसला पार्टी करेगी। मध्य प्रदेश के 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस के खाते में कितनी सीटें आएंगी, इस संबंध में सवाल करने पर कमलनाथ ने कहा, ‘‘वह शिवराज सिंह चौहान नहीं है जो इस तरह के दावे करते हैं।’’
चुनावी तैयारियों पर 29 मई की बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए राहुल गांधी ने विश्वास जताया था कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में 150 सीटें जीतेगी। कमलनाथ ने कहा, ‘‘कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में भी जीत हासिल की थी लेकिन भाजपा ने सौदेबाजी करके सरकार बनाई। मैं भी ऐसा कर सकता था लेकिन मैं नहीं चाहता कि मध्य प्रदेश ऐसी राजनीति के लिए पहचाना जाए।’’ पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी जबकि भाजपा को 109 सीटें मिली थीं। कांग्रेस ने कमलनाथ के नेतृत्व में एक गठबंधन सरकार बनाई लेकिन मार्च 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार कई विधायकों के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस सरकार गिर गई। जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री के रूप में वापसी का मार्ग प्रशस्त हुआ।