भगवे के पुर्नउत्थान की, बलिदान से मिले स्वराज की, ये शौर्य गाथा है शिवाजी महाराज की। छत्रपति शिवाजी महाराज जो एक योद्धा, सैन्य रणनीतिकार और एक कुशल शासक थे। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी सभी धर्मों का सम्मान करते थे। वो एक वीर योद्धा होने के साथ-साथ मराठा राजा भी थे। शिवाजी महाराज ने अपने जीवन काल में मुगलों से कई जंग लड़ी थी। शिवाजी की गोरिल्ला युद्ध कला दुश्मनों पर हमेशा भारी पड़ती थी। उनकी वीरता, नेतृत्व और रणनीति की वजह से ही उन्हें छत्रपति की उपाधि से नवाजा गया था। शिवाजी महाराज ने 17वीं शताब्दी में दक्कन के राज्यों को एक मराठा राज्य बनाया था। छत्रपति शिवाजी महाराज की 350वीं राज्याभिषेक वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार की भव्य योजना का आरंभ हो चुका है। मराठा योद्धा राजा को 6 जून 1674 को रायगढ़ किले में सिंहासनारूढ़ किया गया था, जहां से उन्होंने हिंदवी-स्वराज स्व-शासन की नींव रखी थी। टाइम्स ऑफ इंडिया (टीओआई) के अनुसार, 17वीं शताब्दी के योद्धा राजा के लाखों अनुयायी हर साल शिवराज्याभिषेक मनाने के लिए रायगढ़ किले में इकट्ठा होते हैं। ऐसे में इस रिपोर्ट के जरिए जानते हैं कि इस साल राज्याभिषेक कैसे मनाया जा रहा है और रायगढ़ का किला क्यों महत्वपूर्ण है?
क्या है शिवाजी महाराज का महापलायन
बताया जाता है कि शिवाजी महाराज को 1666 में आगरा में औरंगजेब के दरबार में ले जाया गया था। उस समय मुगलों के दरबार में केवल बादशाह बैठा करता था। बाकी सभी दरबारी खड़े रहते थे। शिवाजी महाराज कई दिनों तक औरंगजेब की कैद में रहे थे। लेकिन उन्होंने महसूस किया कि मराठा सम्राज्य को बचाने के लिए वहां से निकलने की जरूरत है। बताया जाता है कि जब वो कैद में थे तो वहां कुछ टोकरियों में सामान आता था। एक दिन शिवाजी महाराज ने योजना बनाई और फिर अपने बेटे संभाजी के साथ इन टोकरियों में छिप गए। शिवाजी महाराज मुगलों की नाक के नीचे से चकमा देकर फरार हो गए थे।
रायगढ़ में जश्न
छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ का जश्न महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में शुक्रवार सुबह आयोजित कार्यक्रम के साथ शुरू हो गया, जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी भाग लिया। मुख्यमंत्री शिंदे ने इस मौके पर कहा कि उनकी सरकार मराठा योद्धा के आदर्शों का पालन कर रही है और किसानों एवं महिलाओं के कल्याण के लिए काम कर रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि राज्याभिषेक दिवस राज्य के लिए एक प्रेरणा है और उनकी सरकार ने हर जिले में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला किया। उत्तर प्रदेश के आगरा में छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना पर भी विचार किया जा रहा है। आगरा मराठा इतिहास में महत्व रखता है क्योंकि मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा कैद किए जाने के बाद शिवाजी सफलतापूर्वक शहर से निकने में कामयाब गए थे। फडणवीस ने कहा कि दिल्ली में छत्रपति शिवाजी महाराज का राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाना चाहिए और राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से इस मामले पर बात करेगी। उन्होंने घोषणा की कि मुंबई में तटीय सड़क का नाम छत्रपति संभाजी महाराज के नाम पर रखा जाएगा। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का एक वीडियो संदेश दिखाया गया, जिसमें उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को प्रेरणा का स्रोत बताया और कहा कि उनके द्वारा किए गए कार्य, उनकी नीतियां और उनके द्वारा स्थापित शासन प्रणाली आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि उनके प्रशासन का मूल सिद्धांत लोगों का कल्याण था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने इस अवसर पर नागपुर में शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। 26 मई को महाराष्ट्र के राज्यपाल रमेश बैस ने मुंबई से रायगढ़ किले तक सहस्त्र जलकलश (हजार जल कलश) ले जाने वाले एक विशेष रथ को हरी झंडी दिखाई थी। महान योद्धा-राजा के राज्याभिषेक की वर्षगांठ पर उपयोग करने के लिए देश भर की नदियों से पानी एकत्र किया गया। मराठा साम्राज्य के दौरान इस्तेमाल किए गए 500 हथियारों की एक प्रदर्शनी भी आयोजित किया जा रहा है। महाराष्ट्र पुरातत्व विभाग के निदेशक डॉ तेजस गर्ग ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह गेटवे ऑफ इंडिया के अंदर आयोजित किया जा रहा है। किसी को कभी भी अंदर के हिस्से में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई, जो हमेशा बंद रहता था। लेकिन इस बार लोग प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए अंदर जा सकते हैं।
रायगढ़ का किला क्यों महत्वपूर्ण है?
रायगढ़ जिले में महाड से लगभग 25 किमी दूर स्थित, रायगढ़ एक पहाड़ी किला है जिसे पहले रायरी के नाम से जाना जाता था। रिपोर्टों के अनुसार, आदिलशाही सल्तनत के अधीन आने वाले जावली के 1656 में शिवाजी महाराज ने चंद्रराव मोरे से किले पर कब्जा कर लिया था। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, किले ने न केवल शिवाजी को आदिलशाही वंश के वर्चस्व को चुनौती देने में मदद की, बल्कि कोंकण की ओर अपनी शक्ति के विस्तार के लिए रास्ते भी खोल दिए। शिवाजी ने 1662 में किले का नाम बदलकर रायगढ़ कर दिया। दो साल बाद, किला सरकार की मराठा योद्धा की सीट बन गया। उनका राज्याभिषेक यहां 1674 में हुआ जब उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसी किले में शिवाजी का निधन 1680 में हुआ था।
मालवा में जश्न
फ्री प्रेस जर्नल (एफपीजे) की रिपोर्ट के अनुसार, इंदौर के मालवा प्रांत में भी राज्याभिषेक की वर्षगांठ मनाई जा रहा ही। हिंदवी स्वराज्य उत्सव समिति ने प्रभातफेरी, एक वाहन रैली और मराठा योद्धा के जीवन पर एक प्रदर्शनी सहित कई कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में कई चर्चा और सेमिनार भी आयोजित किए जा रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की याद में फिल्म स्क्रीनिंग, नाटक और संगीत आधारित कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे।