बनारस और उसके आस-पास के जनपदों से बच्चा चोरी करने वाले गिरोह के 5 सदस्यों को वाराणसी पुलिस ने झारखंड के कोडरमा जिले से गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से प्रयागराज और मिर्जापुर से किडनैप हुए 2 बच्चों को भी बरामद किया गया है। इससे पहले गिरोह के 10 गुर्गे पुलिस दबोच चुकी है, अब तक कुल 15 जेल भेजे गए।
गिरोह में नर्स भी शामिल, वहीं अगवा बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट बनवाती थी
वाराणसी पुलिस को पिछले दिनों गिरफ्तार हुए बच्चा चोर गिरोह से पूछताछ में यूपी समेत बिहार, झारखंड और राजस्थान में नेटवर्क की जानकारी मिली। इसमें पता चला कि बच्चा चोर गिरोह, जिन बच्चों को 2 से 5 लाख रुपए में बेचा उसमें सबसे ज्यादा झारखंड और राजस्थान में बेचे गए। जानकारी के आधार पर वाराणसी की पुलिस टीम ने झारखंड के कोडरमा में दबिश दी। जहां से बच्चों को अगवा कर बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के पांच और सदस्यों को दबोच लिया, इनमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं। गिरफ्तार अनुराधा देवी एक अस्पताल में नर्स थी। वही अगवा बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र व आधार कार्ड बनवाती थी। इसके अलावा कोडरमा के चंदवारा थाना के महुंगाई का जगवीर बरनवाल, तिलैया डैम थाना के गांधी स्कूल रोड की गुड़िया देवी व मझगांव का संतोष साव, जयनगर थाना के पोंगडंडा की संगीता देवी और हजारीबाग जिले के कटमकम सांडी थाना के लुपुंग की अनुराधा देवी को पुलिस वाराणसी लेकर आई।
आरोपियों से दो बच्चे बरामद
पुलिस ने 2 बच्चे भी बरामद किए हैं। इसमें प्रयागराज के दारागंज क्षेत्र से अगवा तीन वर्ष का बच्चा और मिर्जापुर के विंध्याचल क्षेत्र से अगवा चार साल की बच्ची बरामद की गई है। कार सवार बदमाशों ने गत 14 मई की रात रवींद्रपुरी स्थित रामचंद्र शुक्ल चौराहा से माता-पिता के पास सो रहे चार साल के बच्चे को अगवा कर लिया लिया था। पूछताछ में पता चला है कि बच्चा चुराने के काम में अहम भूमिका वाराणसी के शिवदासपुर क्षेत्र की शिखा देवी व उसके पति संजय मोदनवाल, संतोष कुमार गुप्ता व उसके बेटे शिवम गुप्ता और विनय मिश्रा की रहती है।
फुटपाथ पर सोने वाले टारगेट
पूछताछ में सामने आया कि इनके टारगेट पर फुटपाथ पर सोने वाले परिवार होते थे। सोती हुई महिलाओं के पास से बच्चा उठा ले जाते थे। वजह है कि ये लोग जल्दी थाने में शिकायत नहीं करते हैं। अगर, करते भी हैं तो इनकी सुनवाई थाने में होती नहीं। यही नहीं, ये लोग मेला या व्यस्त बाजार से भी बच्चे चोरी करते थे। किसी को शक न हो, इसलिए गिरोह में महिलाएं भी शामिल हैं।
बिहार, झारखंड पहुंचे बच्चों के बारे में गिरोह को नहीं पता
वाराणसी और आसपास के जनपदों से अब तक 50 से ज्यादा बच्चों का अपहरण कर बाहर बेचा गया है। बच्चों को वाराणसी में रेलवे स्टेशन फुटपाथ समेत जिले में कई स्थानों से चोरी किया। आसपास के जनपदों में मुगलसराय, चंदौली, मिर्जापुर इलाहाबाद आजमगढ़ से भी बच्चों को चोरी किया गया। बिहार, झारखंड और राजस्थान के एजेंट को बच्चा देने के बाद इन लोगों को 2 से 5 लाख रुपए तक मिल जाते थे। उन्होंने बताया कि हमें नहीं पता कि इसके बाद बच्चों का क्या किया जाता था। ऐसा माना जा रहा है कि ये गिरोह निसंतान दंपतियों को बच्चा बेचते थे। पुलिस ने बिहार और झारखंड पुलिस से बच्चों का रिकॉर्ड साझा किया है।
बच्चा दिखता कैसा है...इससे तय होती थी कीमत
आरोपियों ने बताया कि अमीर लोगों के बच्चों को हम नहीं पकड़ते थे, क्योंकि तब पकड़े जाने की संभावना रहती है। इसलिए सड़क किनारे सोने वाले, गरीब लोगों के बच्चों को टारगेट पर रखते थे। जिससे मामला तूल नहीं पकड़ता था। यही नहीं, बच्चे की सुंदरता से ही उसकी कीमत तय करती है। हालांकि दो लाख से लेकर पांच लाख तक में बच्चा बेच देते हैं।