मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसन नदवी के इंतकाल के बाद अध्यक्ष पद की जगह खाली हो चुकी थी। शनिवार को अध्यक्ष पद के साथ ही दो उपाध्यक्ष और सचिव पद के लिए भी चुनाव इंदौर में किया जाना है। मध्यप्रदेश के इंदौर में 3 जून और 4 जून मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड का दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
अध्यक्ष पद की रेस में 3 बड़े नाम
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष पद के 3 बड़े नाम शामिल हैं जिनमें पहला नाम मौजूदा महासचिव मौलाना का दिल सैफुल्लाह रहमानी, दूसरा उपाध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और मौलाना फजलुर्रहीम मुजद्दीदी शामिल है। लेकिन इन तीनों ही नामों में मौलाना खालिद सैफुल्लाह का पलड़ा सबसे ज्यादा भारी है।
सचिव पद के लिए भी आज हो सकता है चुनाव
मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी का निधन 13 अप्रैल को हो गया था जिसके बाद अध्यक्ष की पद खाली थी वही 17 मई को ला बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी के निधन के बाद यह पद भी खाली हो गया है यह माना जा रहा है कि आज जब एक अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा उसी दरमियां सचिव पद का भी चयन किया जाएगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के 251 सदस्य होंगे शामिल
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के कुल 251 सदस्य हैं। जिसमें इसके 102 संस्थापक सदस्य, 149 आम सदस्य और 30 महिला सदस्य शामिल है। इन सदस्यों के चयन के लिए हर 3 साल बाद चुनाव कराए जाते हैं वही बोर्ड में एक अध्यक्ष पांच उपाध्यक्ष एक महासचिव चार सचिव एक कोषाध्यक्ष और 39 सदस्य मिलकर इस पर्सनल ला बोर्ड को चलाते हैं।
महिला सदस्यों की नाराज़गी आ सकती है सामने
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए सबसे प्रबल दावेदार मौलाना खालिद सैफुल्लाह का नाम है जिसको लेकर महिला सदस्यों में काफी नाराजगी भी देखने को मिल रही है महिला सदस्यों का यह कहना है कि मौलाना रहमानी के अध्यक्ष बनने से वह नाख़ुश है क्योंकि मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी महिलाओं के मुद्दे पर सख्त रवैया अपनाते हैं और खुलकर काम नहीं करते हैं।
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर भी हो सकता है फ़ैसला
इंदौर में बुलाए गए इस दो दिवसीय सम्मेलन में जहां एक तरफ अध्यक्ष उपाध्यक्ष और सचिव पद के लिए चुनाव होने हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई मुद्दों पर चर्चाएं भी होंगे उन्हीं मुद्दों में एक मुद्दा यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट का भी है इस मुद्दे को लेकर भी आज बोर्ड की बैठक में चर्चा की जाएगी।
यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की विविधता में बाधा
समान नागरिक संहिता को लेकर ला बोर्ड का मानना है कि यदि इस विभिन्न सामाजिक समूहों समुदायों जातियों और सभी वर्गों से संबंधित है और हमारा देश विविधता में एकता और सच्चा बहुलता वादी का उदाहरण है लेकिन बहुलवाद को अनदेखा करते हुए जो भी कानून पारित होंगे उनका देश की एकता विविधता और अखंडता पर सीधा असर पड़ेगा।