यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में सबसे अहम रोल इस समय ड्रोन निभा रहे हैं। दरअसल अमेरिका और नाटो कई युद्धों में ड्रोन का सफल उपयोग कर चुके हैं और अब वह यूक्रेन को पूरा सहयोग और समर्थन दे रहे हैं। इसीलिए यूक्रेन को ऐसे-ऐसे ड्रोन दिये जा रहे हैं जिससे रूस की नींद उड़ गयी है। हालांकि पलटवार में रूस भी ड्रोनों का भरपूर उपयोग कर रहा है। रूस खुद के बनाये ड्रोनों का इस्तेमाल तो कर ही रहा है साथ ही वह चीन और ईरान से भी ड्रोन मंगवा कर यूक्रेन पर हमले कर रहा है। बताया जा रहा है कि इसमें ईरानी ड्रोन सबसे ज्यादा सफल साबित हो रहे हैं कि क्योंकि यह पश्चिम से चुराई गयी टेक्नॉलॉजी का उपयोग करके बनाये गये हैं। यूक्रेन से जो खबरें आ रही हैं वह दर्शा रही हैं कि ड्रोन जनता के लिए मिसाइल से बड़ा खतरा बनकर उभरे हैं। ऐसी भी रिपोर्टें हैं कि रूस और यूक्रेन के सुरक्षा बलों का अधिकांश समय इसी बात को पता लगाने में निकल रहा है कि सामने दिख रहा ड्रोन आया कहां से है? रूस को तो ड्रोन दिखते ही आश्चर्य इस बात पर भी होता है कि सभी सुरक्षा तंत्रों को भेदकर ड्रोन यहाँ तक कैसे पहुँच गया है? ड्रोन की तेज गति के कारण खासतौर पर रात के समय उसके चलने के स्थान का पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा है। हालांकि ड्रोन ऑपरेटर के सटीक स्थान का पता लगाने के लिए नए ड्रोन डिटेक्शन प्लेटफॉर्म के साथ पारंपरिक रडार डिटेक्शन भी आ गया है, लेकिन हालात मुश्किलों से भरे बने हुए हैं।
इसी सप्ताह जिस तरह पहले रूस की राजधानी मॉस्को पर ड्रोन बरसे उसके जवाब में यूक्रेन की राजधानी कीव में भी ड्रोन बरसाये गये। देखा जाये तो ड्रोनों के उपयोग संबंधी कोई अंतरराष्ट्रीय नियम नहीं होने का फायदा रूस और यूक्रेन दोनों ही उठा रहे हैं। हालिया ड्रोन हमलों को देखें तो 30 मई 2023 की सुबह मॉस्को पर कम से कम आठ ड्रोन हमले हुए, जिसमें कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं और नागरिक घायल हुए। जवाब में रूस ने यूक्रेन के आवासीय भवनों को निशाना बनाया, जिसमें कई नागरिकों की मौत हुई। इन ड्रोन हमलों के बारे में यूक्रेन ने कहा है कि वह मास्को पर हमलों के लिए सीधे जिम्मेदार नहीं है तो दूसरी ओर रूस की सरकार ने ड्रोन हमलों को आतंकवादी हमला करार दिया है। देखा जाये तो इस समय स्थिति यह है कि यूक्रेन में ड्रोन हमले दिनचर्या का हिस्सा बन गए हैं। दिन भर ड्रोन आकाश में डोलते रहते हैं, लोगों के बीच बेचैनी पैदा करते हैं और फिर भारी नुकसान पहुंचाते हैं।
वैसे जब ड्रोन तकनीक सामने आई तो माना गया कि इसका उपयोग संघर्षों के दौरान तो किया ही जायेगा साथ ही ड्रोन का उपयोग सामान पहुंचाने, मौसम का पता लगाने और ड्रोन के शौकीनों का मनोरंजन करने के लिए किया जायेगा। लेकिन इस तकनीक का उपयोग होने की बजाय इसका दुरुपयोग ज्यादा होने लगा है। तस्कर ड्रोनों के जरिये हथियार और ड्रग्स इधर से उधर पहुँचाते हैं तो युद्ध के मैदान में यह एक दूसरे की जासूसी करने और बम गिराने में किया जा रहा है। सैन्य ड्रोनों का उपयोग इस समय दुनिया भर की सेनाओं द्वारा किया जा रहा है।
ड्रोन तकनीक सिर्फ सैन्य बलों की ही पहली पसंद नहीं है बल्कि आतंकवादियों को भी यह खूब भाती है क्योंकि यह अपेक्षाकृत कम लागत वाला हथियार है जोकि दुश्मन को बड़ी क्षति पहुँचाने की ताकत रखता है। यही कारण है कि वैश्विक स्तर पर ड्रोन की बिक्री में भी इजाफा हुआ है। 2021 से 2022 तक के आंकड़े दर्शाते हैं कि वैश्विक स्तर पर ड्रोन की बिक्री में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई। छोटे से लेकर बड़े देशों में ड्रोन खरीदने की होड़ है क्योंकि बिना किसी अन्य देश या अंतरराष्ट्रीय प्राधिकरण को जवाब दिए, हर देश यह तय करने के लिए स्वतंत्र है कि ड्रोन कब और कहां उड़ेंगे।
यह भी एक रोचक तथ्य है कि हर देश ड्रोन का अपनी रुचि के हिसाब से उपयोग कर रहा है। जैसे- दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों पर गश्त करने के लिए चीन विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय जल में गुप्त निगरानी के लिए परिष्कृत ड्रोन का उपयोग कर रहा है। चीन के विस्तारित ड्रोन कार्यक्रम ने अमेरिका जैसे अन्य देशों को भी प्रौद्योगिकी में अधिक निवेश करने के लिए मजबूर किया है। इसके अलावा, तुर्की की सेना के पास एक अत्यधिक परिष्कृत ड्रोन, बेरकतार टीबी2 है, जो लेजर-निर्देशित बम ले जाने में सक्षम है और इतना छोटा है कि इसे एक फ्लैटबेड ट्रक में फिट किया जा सकता है। वहीं, संयुक्त अरब अमीरात यमन और लीबिया में तैनात करने के लिए चीन और तुर्की से ड्रोन आयात करता है ताकि युद्ध होने की स्थिति में हर तरफ नजर रखी जा सके। इसके अलावा, दक्षिण कोरिया एक विशेष ड्रोन इकाई शुरू करने पर विचार कर रहा है, क्योंकि वह हाल ही में उत्तर कोरियाई ड्रोन घुसपैठ का जवाब देने में विफल रहा है। हम आपको बता दें कि जब उत्तर कोरिया ने दिसंबर 2022 में अपने दक्षिणी पड़ोसी की ओर पांच ड्रोन तैनात किए, तो दक्षिण कोरिया को चेतावनी देने के लिए अपने लड़ाकू विमानों को उतारना पड़ा था। जहां तक अमेरिका की ओर से ड्रोन के उपयोग की बात है तो यूक्रेन को तो उसने भरपूर मात्रा में अत्याधुनिक ड्रोन दिये ही हैं साथ ही अमेरिका इराक, अफगानिस्तान, सीरिया और अन्य संघर्ष क्षेत्रों में विदेशी अभियानों में शामिल होने के कारण ड्रोन युद्ध का जनक और विस्तारक भी है।
बहरहाल, ड्रोन के फायदे और नुकसान के बारे में आपने खूब पढ़ा होगा लेकिन वर्तमान में इससे नुकसान की ही ज्यादा खबरें आ रही हैं। देखा जाये तो ड्रोन के उपयोग के लिए आकाश के राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय नियमों को बनाने के लिए बात तो सभी करते हैं लेकिन पहल कोई नहीं करता। इसके अलावा, अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए सरकारें ड्रोन डेटा भी जारी नहीं करना चाहती हैं। दुनिया को आने वाले दशक के लिए ड्रोन के उपयोग पर नए और सुसंगत नियमों की आवश्यकता है लेकिन जब कोई इसके लिए पहल ही नहीं कर रहा तो इस बात का फायदा आतंकवादी भी उठा रहे हैं।