सेवाओं को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। आज उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से सास झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान हेमंत सोरेन ने केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल को समर्थन का आश्वासन दिया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देश की ताकत पर ये बड़ा प्रहार है।
हेमंत सोरेन ने क्या कहा
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केजरीवाल से मुलाकात के बाद कहा कि देश की ताकत पर ये बड़ा प्रहार है। उन्होंने कहा कि संघीय ढ़ाचे की बात केंद्र सरकार करती है परन्तु कार्य बिल्कुल उसके विपरीत होता है। सोरेन ने कहा कि आज स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा कि जो केंद्र सरकार की सहयोगी सरकारें(राज्य सरकार) नहीं हैं उन सभी सरकारों की एक समान स्थिति है जो चिंता का विषय है।
अरविंद केजरीवाल का बयान
केजरीवाल ने कहा कि हम देश भर में जा रहे हैं और हमें सभी पार्टियों से अच्छा सहयोग मिला है। मैं हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने हमें इस अध्यादेश के खिलाफ सभी समर्थन का आश्वासन दिया है। मैं अन्य सभी पार्टियों से भी इस अध्यादेश का विरोध करने की अपील करता हूं। उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश संसद के मानसून सत्र के दौरान पेश किया जाएगा। बीजेपी के पास लोकसभा में बहुमत है लेकिन राज्यसभा में नहीं। इसलिए अगर सभी गैर-बीजेपी पार्टियां एक हो जाएं तो इस अध्यादेश को हराया जा सकता है। यह केवल दिल्ली के बारे में नहीं है बल्कि देश के संघीय सिद्धांतों के बारे में है।
क्या है मामला
अरविंद केजरीवाल केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे नेताओं से मिल चुके है। केंद्र ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के उद्देश्य से हाल ही में एक अध्यादेश जारी किया था। यह अध्यादेश उच्चतम न्यायालय द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित मामलों को छोड़कर अन्य मामलों का नियंत्रण सौंपने के बाद लाया गया था।