छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के अवसर पर आज पूरे महाराष्ट्र में उत्सव-सा माहौल है। साथ ही देश में भी अपार हर्ष देखा जा रहा है और जय शिवाजी के नारों की गूँज सुनाई पड़ रही है। छत्रपति के राज्याभिषेक उत्सव की असली छटा महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में आज सुबह आयोजित कार्यक्रम में दिखी जिसमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भाग लिया। हम आपको बता दें कि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, मराठा योद्धा शिवाजी महाराज का रायगढ़ किले में छह जून, 1674 को राज्याभिषेक हुआ था, जहां उन्होंने ‘हिंदवी स्वराज’ की नींव रखी थी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल राज्याभिषेक की वर्षगांठ दो जून को है।
शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की वर्षगाँठ
शिंदे और फडणवीस ने रायगढ़ किले में शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की वर्षगांठ के मौके पर की जाने वाली विभिन्न रस्मों में हिस्सा लिया। इस दौरान राज्य के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने 17वीं सदी के मराठा योद्धा की प्रतिमा का जलाभिषेक किया। इसके लिए जल पूरे महाराष्ट्र की नदियों से एकत्र किया गया था। राज्य पुलिस के एक बैंड ने महाराष्ट्र का राज्य गीत ‘‘जय जय महाराष्ट्र माझा, गर्जा महाराष्ट्र माझा’’ बजाकर मराठा साम्राज्य के संस्थापक को श्रद्धांजलि दी। शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा की गई। इस अवसर पर शिवाजी महाराज के वंशज भी उपस्थित थे। राज्य सरकार ने राज्याभिषेक की वर्षगांठ मनाने के लिए किले में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया है, जो पूरे सप्ताह चलेंगे। शिंदे और फडणवीस ने ‘शिवराज्याभिषेक’ की 350वीं वर्षगांठ पर राज्य के लोगों को बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने दी बधाई
उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन को प्रेरणा व ऊर्जा का स्रोत करार देते हुए कहा है कि उनके कार्य, शासन प्रणाली और नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ के मौके पर आयोजित एक समारोह को वीडियो संदेश के माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व अद्भुत था। उन्होंने स्वराज की भी स्थापना की और सुराज को भी कायम किया। वह अपने शौर्य के लिए भी जाने जाते हैं और अपने सुशासन के लिए भी। उन्होंने राष्ट्र निर्माण का एक व्यापक दृष्टिकोण भी सामने रखा। उन्होंने शासन का लोक कल्याणकारी चरित्र लोगों के सामने रखा।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक दिवस नई चेतना, नई ऊर्जा लेकर आया है।
शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व
देखा जाये तो हिन्दवी स्वराज्य के 350वें वर्ष में जब हम उसका अध्ययन करेंगे तो एक बात स्पष्ट तौर पर दिखायी देगी कि छत्रपति शिवाजी महाराज मात्र एक व्यक्ति या राजा नहीं, वे एक विचार और एक युगप्रवर्तन के शिल्पकार थे। इसलिए जब ईस्वी सन् 1680 में शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज्य की राजधानी दुर्गदुर्गेश्वर ‘रायगढ़’ की गोद में अंतिम सांस ली, तो उनका विचार उनके साथ समाप्त नहीं हुआ। उनके देवलोकगमन के बाद हिन्दवी साम्राज्य का अधिक विस्तार हुआ और वह समय भी आया जब मुगलिया सल्तनत धूलि में मिल गई तथा भारतवर्ष में हिन्दवी स्वराज्य का परम पवित्र भगवा ध्वज गर्व से लहराने लगा।
इतिहास में उल्लेख मिलता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के निधन के समय मुगल साम्राज्य उत्तर में काबुल प्रांत से लेकर दक्षिण में तिरुचिरापल्ली तक, पश्चिम में गुजरात तक और पूर्व में असम के बहुत बाहरी इलाके तक, भारत के एक बड़े हिस्से पर फैला हुआ था। ऐसा कह सकते हैं कि मुगल बादशाह की हुकूमत देश के हर हिस्से में चलती थी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने कई वर्षों तक मुगल बादशाह औरंगजेब से संघर्ष किया था। मुगल सेना को धूल चटाते हुए सन 1674 में पश्चिम भारत में उन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी थी। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि हिन्दवी स्वराज्य पर हमला करने के लिए मुगलों ने ही अंग्रेजों को आमंत्रित किया था।
शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व को देखें तो राष्ट्र कल्याण और लोक कल्याण उनकी शासन व्यवस्था के मूल तत्व रहे हैं। उनके कार्य, शासन प्रणाली और नीतियां आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं और उन्होंने भारत के सामर्थ्य को पहचान कर जिस तरह से नौसेना का विस्तार किया, वह आज भी हमें प्रेरणा देता है। उन्होंने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखा और आज एक भारत-श्रेष्ठ भारत की दृष्टि में शिवाजी महाराज के विचारों का प्रतिबिंब देखा जा सकता है। सैंकड़ों वर्षों की गुलामी ने देशवासियों से उनका आत्मविश्वास छीन लिया था, ऐसे समय में लोगों में आत्मविश्वास जगाना एक कठिन कार्य था। उस दौर में छत्रपति शिवाजी महाराज ने ना केवल आक्रमणकारियों का मुकाबला किया बल्कि जन मानस में यह विश्वास भी कायम किया कि स्वयं का राज संभव है।