आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली दिल्ली सरकार ने 1989 बैच के आईएएस अधिकारी पीके गुप्ता को दिल्ली का नया मुख्य सचिव नियुक्त करने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मांगी है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र की सहमति के लिए एलजी वीके सक्सेना को पीके गुप्ता की नियुक्ति का प्रस्ताव भेजा है। वर्तमान मुख्य सचिव नरेश कुमार को 2022 में उनके पद पर नियुक्त किया गया था और वह इस साल के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। पीके गुप्ता के पास दिल्ली सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग में अतिरिक्त मुख्य सचिव का पदभार है।
दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव नरेश कुमार के साथ अक्सर तल्खी भरे रिश्ते रहे हैं। सरकार कई मौकों पर मुख्य सचिव पर लोगों के काम रोकने का आरोप भी लगा चुकी है। इससे पहले राज्य सरकार ने आशीष मोरे को सेवा सचिव के पद से भी हटा दिया है और नौकरशाह के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने सेवा मंत्री सौरभ भारद्वाज के निर्देशों का पालन नहीं करने के लिए अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी धमकी दी है। दिल्ली के सिविल सेवा बोर्ड (सीएसबी) ने बुधवार को एके सिंह की सेवा सचिव के रूप में नियुक्ति के लिए फाइल को भी मंजूरी दे दी और सिंह की नियुक्ति की फाइल उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना को उनकी मंजूरी के लिए भेज दी गई है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट कहा था कि लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकार के पास अपने प्रशासन का नियंत्रण होना चाहिए। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि लोक व्यवस्था, पुलिस और भूमि जैसे विषयों को छोड़कर अन्य सेवाओं पर दिल्ली सरकार के पास विधायी तथा प्रशासकीय नियंत्रण है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप में, प्रशासन की वास्तविक शक्ति संविधान की सीमाओं के अधीन राज्य की निर्वाचित शाखा में होनी चाहिए। पीठ ने कहा, संवैधानिक रूप से स्थापित और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार के पास अपने प्रशासन का नियंत्रण होना चाहिए। प्रशासन में कई लोक अधिकारी शामिल होते हैं, जो किसी विशेष सरकार की सेवाओं में पदस्थापित होते हैं, भले ही वह सरकार उनकी भर्ती में शामिल थी या नहीं।