पायलट और गहलोत खेमों में वार-पलटवार रुकने का नाम नहीं ले रहा। सचिन की जनसंघर्ष यात्रा को लेकर अब मुख्यमंत्री के सलाहकार और सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने निशाना साधा है। उन्होंने पायलट के चुनावी साल में पेपर लीक और बीजेपी राज के करप्शन का मुद्दा उठाने पर सवाल खड़े किए हैं।
लोढ़ा ने पायलट पर हमला बोलते हुए कहा कि वह चुनावी साल में नाखून कटवाकर शहीद होना चाह रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि जनसंघर्ष यात्रा और पायलट के आंदोलन का कोई भी सियासी असर नहीं होने वाला है। उसे कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है और न लेगा। पायलट के पास जो यह समूह दिख रहा है, वो सब प्रायोजित समूह है। यही घोड़े और यही मैदान है, सब का हिसाब सामने आ जाएगा।
बीजेपी सरकार के जिन घोटालों का जिक्र कर रहे, उसे मैंने उठाया
लोढ़ा ने कहा- पायलट बीजेपी की सरकार के जिन घोटालों का जिक्र कर रहे हैं, पूरे 5 साल उन मुद्दों को मैंने उठाया है। तब कभी पायलट या उनकी टीम का एक भी आदमी हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। विधानसभा में गृह विभाग या शिक्षा की बहस पर मैंने प्रभावी तरीके से बार-बार पेपरलीक का मुद्दा उठाया, लेकिन कभी भी पायलट ने इस पर साथ नहीं दिया। अब नाखून कटवा कर आप शहीद बनना चाह रहे हैं। यह राजस्थान है। राजस्थान की जनता सब समझती है। चुनावी साल में आपको बेरोजगारों की याद क्यों आ रही है? पिछली सरकार के घोटालों की याद क्यों आ रही है?
हंसी का पात्र न बनें, पार्टी की मर्यादा-अनुशासन में रहकर काम करें
उन्होंने कहा- इसे लोग भली-भांति समझ रहे हैं। पायलट अपने आप को हंसी का पात्र नहीं बनाएं और जिस पार्टी में हैं, उस पार्टी के अनुशासन और मर्यादा में रहकर काम करें। पायलट बार-बार जरूर कहते हैं कि हम खड़े हुए, पार्टी को खड़ा किया। आप खड़े नहीं हुए हैं, जनता ने खड़ा किया तो खड़े हो गए हैं।
पायलट मुख्यमंत्री कार्यालय में चैंबर नहीं मिलने पर भी रुठ गए थे
संयम लोढ़ा ने कहा- जब उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया तो वह छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाते थे। विधानसभा में पीतल का गेट है, जहां से केवल सीएम, स्पीकर और सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की गाड़ियां ही आ सकती हैं। पायलट तब रुठ गए जब उनकी गाड़ी पीतल के गेट पर नहीं आ सकी। फिर जब सचिवालय की बात आई तो जिद जिद पकड़ कर के बैठ गए कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में ही उनका चैंबर होगा। वह हो नहीं सकता था तो दूसरी जगह दिया तब भी वह रुठ रहे।
सरकारी बंगले का सुख भोग रहे, विधानसभा में सीट तक के लिए दिल्ली से फोन करवाया
लोढ़ा ने कहा- उपमुख्यमंत्री पद से हट गए तो जो सरकारी बंगला आपको(पायलट) मिला हुआ है, वो एक महीने में खाली करना होता है। पायलट ने ऊपर से टेलीफोन करवाकर सामान्य प्रशासन विभाग से उस बंगले को निकलवा कर विधानसभा के पूल में डलवा दिया और आज तक सरकारी बंगले का सुख भोग रहे हैं। इस तरह से पायलट जब उपमुख्यमंत्री पद से हट गए तो विधानसभा में उनकी सीट मेरी बगल में आवंटित की गई थी, तब भी उन्हें यह नागवार गुजरा और उन्होंने दिल्ली से फोन करवा कर सीनियरिटी नहीं होने के बावजूद भी पहली पंक्ति में सीट ली।