चीन और तुर्की अगले सप्ताह श्रीनगर में होने वाली पर्यटन कार्य समूह की बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे. इनके अलावा कुछ देश और भी हैं जिनकी भागादीर न के बराबर होगी. श्रीनगर में होने वाली इस बैठक का पाकिस्तान शुरू से ही विरोध करते आ रहा है. अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद कश्मीर में आयोजित होने वाले सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में से एक माना जा रहा है.
माना जा रहा है कि पाकिस्तान की वजह से इन दोनों देशों ने बैठक से किनारा किया है. बैठक में इंडोनेशिया के शामिल होने पर भी अभी तक संशय बना हुआ है. श्रीनगर में यह बैठक 22-24 मई के बीच होगी. बैठक डल झील के किनारे स्थित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशनल सेंटर में होगी. बैठक को देखते हुए पूरे कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम कर दिए गए हैं.
भारत जी-20 बैठकों को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों को पहले ही खारिज कर चुका है. पाकिस्तान का कहना है भारत श्रीनगर में इस बैठक का आयोजन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.
पाकिस्तान की आपत्तियों पर भारत दे चुका है करारा जवाब
भारत ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा था कि ऐसा नहीं है कि यह बैठक केवल श्रीनगर में ही आयोजित की जा रही है. शिखर सम्मेलन से पहले देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस तरह के आयोजन किए जा रहे हैं. पड़ोसी मुल्क चीन ने मार्च में अरुणाचल प्रदेश में हुई जी-20 की बैठक से किनारा कर लिया था.
इससे परिचित लोगों की मानें तो बैठक में चीन के शामिल नहीं होने के पीछे उसके पाकिस्तान के साथ करीबी संबंध को जिम्मेदार बताया है. वहीं, तुर्की ने पिछले साल कश्मीर के हालात से निपटने के लिए भारत की आलोचना की थी. रिपोर्ट के मुताबिक, इन दो देशों के अलावा जी20 के कुछ और सदस्य देश हैं जिनकी भागीदारी खानापूर्ति जैसी हो सकती है.
सऊदी अरब और मैक्सिको के प्रतिनिधियों को लेकर भी संशय
बैठक में सऊदी अरब और मैक्सिको के प्रतिनिधियों को लेकर भी अभी तक स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. माना जा रहा है कि नई दिल्ली में इनके राजनयिक इस बैठक में शामिल हो सकते हैं. जी20 बैठकों के लिए मेजबान देश ही यह तय करते हैं कि इसकी बैठकें कहां होंगी. ऐसे में जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है इसलिए सरकार के पास श्रीनगर में कार्यक्रम आयोजित करने का अधिकार है.