जलवायु परिवर्तन की वजह से दुनियाभर के तापमान में बढ़ोतरी देखने को मिली है. भारत समेत एशिआई देश भी इससे अछूता नहीं हैं. वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन (WWA) ग्रुप में शामिल वैज्ञानिकों के एक एनालिसिस के अनुसार, भारत, बांग्लादेश, लाओस और थाइलैंड में अप्रैल में दर्ज उमस भरी गर्मी (Humid Heatwave) की संभावना कम से कम 30 गुना बढ़ गई थी.
वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 17 से 20 अप्रैल के बीच 4 जिनों की अवधि के दौरान दक्षिण एशिया की बड़ी आबादी ने 41 डिग्री सेल्सियस से अधिक का तापमान महसूस किया था. कुछ क्षेत्रों में खासकर लाओस में यह तापमान 54 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था जो कि बहुत घातक साबित हो सकती है.
वर्ल्ड वेदर एट्रिव्यूशन की ओर से बुधवार का जारी यह रिपोर्ट विश्व मौसम विज्ञान संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट से काफी हदतक मेल खाती है. जिसमें अगले कुछ सालों में तापमान बढ़न को लेकर चेतावनी दी गई है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस बात की 66 फीसदी संभावना है कि 2023 और 2027 के बीच वार्षिक औसत वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक रह सकता है.
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान में पिछले साल मार्च और अप्रैल में भीषण गर्मी महसूस की गई थी. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक इन दोनों देशों में गर्मी और लू की वजह से करीब 90 लोगों की मौत भी हुई थी. उत्तरी पाकिस्तान में ग्लेशियल झील में विस्फोट के बाद बाढ़ आ गई थी. भारत के जंगलों में आग लग ई थी. तापमान की वजह से फसलों को भी नुकसान पहुंचा था और आम जनता को बिजली कटौती का भी सामना करना पड़ा था.
ब्ल्यूडब्ल्यूए के वैज्ञानिकों ने कहा था कि जलवायु संकट की वजह से इस तरह की घटना की संभावना 30 गुना तक तक अधिक कर दिया है. उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले साल भयंकर गर्मी देखने को मिली थीं, खासतौर से कोस्टल इलाकों में उमस भरी गर्मी ज्यादा देखने को मिली है.