कश्मीर में हो रहे तेज विकास और जी20 की बैठक की तैयारियों को देखकर पाकिस्तान का भेजा फ्राई तो हो ही रहा है साथ ही कश्मीर को दशकों तक लूटने वाले परिवारवादी दलों को भी यह सब नहीं भा रहा है। वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कुछ ऐसे तत्व हैं जो बैठक से पहले माहौल बिगाड़ने के प्रयास में लगे हुए हैं लेकिन भारत ऐसे लोगों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इसी कड़ी में भारत ने अल्पसंख्यक मामलों के संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत फर्नांड डी वारेनेस की जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मद्देनजर वहां जी20 की बैठक आयोजित करने पर आपत्ति जताए जाने को ‘‘आधारहीन और अवांछित’’ करार देते हुए उसे सिरे से खारिज कर दिया है। भारत ने इस मुद्दे को गैर जिम्मेदाराना तरीके से राजनीतिक रंग देने के लिए भी वेरेनस को आड़े हाथ लिया है। जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन ने जोर दिया कि जी20 के अध्यक्ष के रूप में अपने देश के किसी भी हिस्से में बैठकों की मेजबानी करना भारत का अधिकार है। हम आपको बता दें कि अपने बयान में फर्नांड डी वारेनेस ने आरोप लगाया था कि मानवाधिकारों का व्यापक उल्लंघन जारी रहने के बीच भारत द्वारा जम्मू-कश्मीर में जी20 की बैठक आयोजित करने को समर्थन देना कश्मीरी मुसलमानों और अल्पसंख्यकों के लोकतांत्रिक एवं अन्य अधिकारों से वंचित करने के दमनकारी कदम को मान्यता देना होगा।
दूत फर्नांड डी वी द्वारा जारी आधारहीन और अवांछित बयान को सिरे से खारिज करता है। जी20 के अध्यक्ष के रूप में अपने देश के किसी भी हिस्से में बैठकों की मेजबानी करना भारत का अधिकार है।’’ भारतीय मिशन ने कहा, हम क्षुब्ध हैं कि फर्नांड डी वी ने इस मुद्दे को राजनीतिक रंग देने के लिए गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम किया, दुर्भावनापूर्ण ढंग से सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए विशेष दूत के पद का दुरूपयोग किया और विशेष दूत के पद संबंधी आचार संहिता का खुला उल्लंघन किया।
LG मनोज सिन्हा का पलटवार
वहीं दूसरी ओर, घरेलू मोर्चे पर महबूबा मुफ्ती और फारुक अब्दुल्ला के बयानों पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला करते हुए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा है कि इन लोगों ने अपने कार्यकाल में तो कुछ किया नहीं लेकिन अब जब कश्मीर में काम हो रहा है तो इन लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। साथ ही जम्मू-कश्मीर में जी20 बैठक की तैयारियों का जिक्र करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि यह बैठक प्रशासन की ओर से नहीं बल्कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की ओर से आयोजित की जा रही है। मनोज सिन्हा ने अनंतनाग में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, इस आयोजन से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि कश्मीरी हस्तशिल्प को भी बढ़ावा मिलेगा। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना होगा।
सुरक्षा स्थिति की समीक्षा
उधर, जी-20 बैठक की तैयारियों के बारे में बात करें तो आपको बता दें कि इस समय पूरे कश्मीर को दुल्हन की तरह सजाया गया है और जगह-जगह स्थानीय कलाकार अभ्यास कर रहे हैं ताकि अतिथियों का भव्य और संगीतमय स्वागत किया जा सके। इस बीच, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे जम्मू-कश्मीर सहित 270 किलोमीटर लंबे जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की है।
बैठक से पहले या इसके दौरान आतंकवादियों की किसी तरह के हमले की साजिश के बारे में खुफिया जानकारी के बाद जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। सीमाओं पर घुसपैठ रोधी ढांचा तैनात किया गया है, वहीं रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और अन्य महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों में सुरक्षा मजबूत की गयी है। इसके अलावा राजमार्गों, महत्वपूर्ण शहरों और कस्बों में किसी भी तरह की आतंकी हमले की कोशिश को विफल करने के लिए और अधिक जांच चौकियां स्थापित की गयी हैं। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर सेना, सीमा सुरक्षा बल, पुलिस और सीआरपीएफ के साथ ही ग्राम रक्षा समितियों की बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गयी है।
कश्मीर पर्यटन क्षेत्र को बड़ी उम्मीदें
वहीं दूसरी ओर, कश्मीर घाटी में पर्यटन क्षेत्र से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि श्रीनगर में जी20 कार्यकारी समूह की आगामी बैठक यूरोपीय संघ के देशों और अमेरिका द्वारा जम्मू-कश्मीर के संबंध में जारी यात्रा परामर्श हटाने का मार्ग प्रशस्त करेगी जिससे पर्यटन क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिल सकता है। हम आपको बता दें कि इस समय बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक कश्मीर की यात्रा कर रहे हैं और उन्होंने कश्मीर को बिल्कुल सुरक्षित पाया है। इनमें उन देशों के पर्यटक भी शामिल हैं जिन्होंने नकारात्मक यात्रा परामर्श जारी कर रखे हैं। इस बारे में जम्मू-कश्मीर सरकार के पर्यटन सचिव सैयद आबिद राशिद ने कहा, पर्यटन क्षेत्र से जुड़े होने के तौर पर, मैं जी20 कार्यक्रम का स्वागत करता हूं। दुनियाभर में विभिन्न देशों की ओर से परामर्श जारी हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण रूप से 1990 के दशक से हैं। कश्मीर में हालात में काफी बदलाव आया है। अब यह काफी शांतिपूर्ण है और कुछ उदाहरण हैं जब यूरोपीय देश इन यात्रा परामर्श को हटाने पर चर्चा कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि नकारात्मक यात्रा परामर्श जारी रखने वाले कुछ देशों के प्रतिनिधि जी20 बैठक के लिए कश्मीर में मौजूद रहेंगे। राशिद ने कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि इन चीजों पर चर्चा की जाएगी और मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य तथा कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को ध्यान में रखते हुए, मुझे उम्मीद है कि वे इन परामर्श को हटाने पर विचार करेंगे। विभिन्न देशों से पर्यटकों के आने से जम्मू कश्मीर में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।’’