नई दिल्ली: टाटा ग्रुप ने विस्ट्रॉन कॉर्प की एक फैक्ट्री को एक्वायर कर लिया है. विस्ट्रॉन कॉर्प ताइवान की मैनुफैक्चरिंग कंपनी है, जो भारत में iPhone का निर्माण करती थी. रिसर्च फर्म ट्रेंड फोर्स की मानें तो अब टाटा ग्रुप भारत में iPhone का निर्माण करेगा. टाटा ऐपल की चौथी कॉन्ट्रैक्ट मैनुफैक्चरर होगी. टाटा के अलावा फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप, पेगाट्रॉन कॉर्प और लक्सशेयर प्रिसिशन इंडिस्ट्री कॉर्पोरेशन iPhone का निर्माण करते हैं. ये तीनों ही ताईवान की कंपनियां हैं.
ट्रेंडफोर्स ने अपने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया है कि टाटा को iPhone15 और iPhone प्लस मॉडल्स का ऑर्डर भी मिल गया है. जो कि इस साल के अंत में रिलीज़ होने वाले हैं. इसका मतलब ये है कि भारत उन देशों में से एक हो सकता है जहां पर नए iPhone सीरीज़ के फोन सबसे पहले लॉन्च किए जाएंगे.ऐसा माना जा रहा है कि टाटा को ग्लोबल ऑर्डर के करीब पांच प्रतिशत ऑर्डर्स शुरुआत में दिए जाएंगे. ट्रेंडफोर्स के मुताबिक, ऐपल का पैटर्न रहा है कि वो नए मैनुफैक्चरर्स को शुरुआत में छोटे ऑर्डर देता है.
पर टाटा की झोली में ऐपल आया कैसे?
टाटा ऐपल के फोन्स मैनुफैक्चर करने का प्लान कर रही है, इससे जुड़ी शुरुआती खबर आई थी अक्टूबर, 2020 में. खबर में लिखा था कि टाटा एक ऐसे प्लांट में 5,000 करोड़ इनवेस्ट कर रही है जो ऐपल के कम्पोनेंट्स मैनुफैक्चर करेगा. उस रिपोर्ट में कहा गया कि तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने टाटा ग्रुप की नई कंपनी टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को होसूर में एक इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स में 500 एकड़ की ज़मीन अलॉट की है. टाटा तब से ही ऐपल का मैनुफैक्चरिंग कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने की कोशिश में थी.
इसके बाद नवंबर, 2022 में खबर आई कि टाटा ग्रुप और विस्ट्रॉन ग्रुप के बीच बातचीत चल रही है. इस साल जनवरी में खबर आई कि टाटा और विस्ट्रॉन के बीच बातचीत लगभग तय हो गई है. इस महीने की शुरुआत में विस्ट्रॉन ग्रुप ने भारत में अपने ऑपरेशंस बंद करने का ऐलान किया.
पर ये कहानी बस इतनी नहीं है कि टाटा ग्रुप ने विस्ट्रॉन के प्लांट को खरीदने का सोचा और खरीद लिया. इसके पीछे कहानी है विस्ट्रॉन इंडिया की खराब प्रैक्टिसेस की. ताइवान की कंपनी विस्ट्रॉन कॉर्प ने भारत में ऑपरेशंस के लिए 2006 में इंडियन सब ब्रांड विस्ट्रॉन इंडिया शुरू किया. इसका हेडक्वार्टर बेंगलुरु में बनाया. दिसंबर, 2020 में विस्ट्रॉन इंडिया के नरसापुर स्थित iPhone प्रोडक्शन प्लांट के मजदूरों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था. मजदूरों का कहना था कि उनसे कई घंटों तक काम कराया जाता है और उन्हें समय पर उनकी मजदूरी नहीं दी जाती है. ये प्रदर्शन हिंसक हो गया था और कर्मचारियों ने कंपनी की गाड़ियों और मशीनों को नुकसान पहुंचाया था.
इस घटना के बाद कर्नाटक सरकार ने विस्ट्रॉन इंडिया की लेबर प्रैक्टिसेस पर जांच बैठाई थी. सरकार ने पाया था कि कंपनी ने कई नियमों का उल्लंघन किया है जैसे समय पर सैलरी नहीं देना, कर्मचारियों को उचित वर्किंग कंडिशन नहीं दे पाना. इसके बाद कर्नाटक सरकार ने विस्ट्रॉन को राज्य के प्रोड्यूसर्स लिस्ट से हटा दिया. ऐपल ने भी इस घटना के बाद विस्ट्रॉन पर जांच बैठाई थी. फरवरी, 2021 में ऐपल ने कहा था कि विस्ट्रॉन भारत में प्रोडक्शन दोबारा शुरू कर सकती है, लेकिन उसके खिलाफ जांच चलती रहेगी. इससे पहले 2019 में कर्नाटक स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कंपनी पर पर्यावरण कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की जांच में सामने आया था कि कंपनी अनट्रीटेट वेस्ट को ज़मीन में डम्प कर रही है, इससे ग्राउंड वॉटर प्रदूषित हो रहा है.
टाटा को iPhone एसेम्बली मिलने के क्या मायने हैं?
ब्लूमबर्ग ने इस साल जनवरी में रिपोर्ट किया था कि इस एक्विसिशन में प्लांट के सभी आठ iPhone एसेंबली लाइंस और करीब 10 हजार लोगों का वर्कफोर्स भी शामिल है. जो फैक्ट्री टाटा ने एक्वायर की है, वो इंडिया के IT हब बेंगलुरु से करीब 50 किलोमीटर दूर है और 22 लाख स्क्वायर फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है.
ऐपल लंबे समय से अपने मैनुफैक्चरिंग सप्लाई चेन को चीन से शिफ्ट करने की कोशिश में है. ट्रेंडफोर्स के मुताबिक, ऐपल अपने सप्लाई सोर्सेस को डायवर्सिफाई करने पर फोकस कर रही है. ऐसे में भारत ऐपल के लिए एक बेहतर होस्ट साबित हो सकता है. बीते दिनों ऐपल ने मुंबई और दिल्ली में अपने पहले दो ऐपल स्टोर्स लॉन्च किए. इसे भी ऐपल के भारत के मार्केट और इसके पोटेंशियल की तरफ ऐपल के झुकाव के तौर पर देखा जा सकता है.