एच डी देवगौड़ा भारत के 11वें प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी सेवाएं दी थी। अपने राजनीतिक अनुभव और निचचे तबके में उनकी पकड़ काफी अच्छी थी। देवगौड़ा हर समुदाय, जाति, समाज के लोगों की बातों को बड़ी ध्यान से सुनते थे। जिस कारण उनको माटी का पुत्र भी कहा जाता था। बता दें कि आज ही के दिन यानी की 18 मई को उनका जन्म हुआ था। एच डी देवगौड़ा ने महज 20 साल की उम्र से राजनीति में सक्रिय हो गए थे। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
कर्नाटक के हरदन हल्ली ग्राम हासन के ताकुमा में 18 मई 1933 को देवगौड़ा का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम डोड्डे गौड़ा व माता का नाम देवम्मा था। देवगौड़ा वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखते थे। उस दौरान वोक्कालिगा को पिछड़ी जाति कहा जाता था। अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। वहीं महज 20 साल की उम्र में देवगौड़ा ने सक्रिय राजनीति में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
राजनैतिक सफर
राजनीति में सक्रिय होते ही उन्होंने साल 1953 में कांग्रेस पार्टी ज्वॉइन कर ली। साल 1962 तक वह कांग्रेस के लिए काम करते रहे। इसके बाद वह कर्नाटक चुनाव में अकेले खड़े हुए और जीत भी हासिल की। बता दें कि होलेनारसिपुर के चुनाव क्षेत्र में वह लगातार तीन बार विधानसभा सदस्य के लिए निर्वाचित हुए। 1972-76 तक देवगौड़ा ने विपक्ष के लीडर बन ख्याति अर्जित की। उसी दौरान देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने 1975 में इमरजेंसी का ऐलान किया। तब देवगौड़ा ने इसका विरोध किया। जिसके कारण उनको 18 महीने जेल में बिताने पड़े थे।
जेल में रहने के दौरान भी देवगौड़ा कभी राजनीति से दूर नहीं हुए। इस दौरान वह जेल में बंद अन्य नेताओं व राजनीतिक किताबों से राजनैतिक दांव-पेंच सीखने लगे। इस दौरान उनके व्यक्तित्व में भी काफी निखार आया था। वहीं साल 1991 में देवगौड़ा हासन लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद के रूप में चुने गए। साल 1994 में देवगौड़ा ही कर्नाटक में जनता दल की जीत के सूत्रधार बने थे। जनता दल के नेता चुने जाने के बाद साल 1994 में वह कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री बनें।
प्रधानमंत्री पद
सला 1996 में देवगौड़ा मुख्यमंत्री के पद से सीधे प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच गए। बता दें कि साल 1996 में जब अटलजी की सरकार के अल्पमत होने के कारण उनको पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा। जिसके बाद कांग्रेस के समर्थन से संयुक्त मोर्चे का गठन किया गया। देवेगौड़ा को संयुक्त मोर्चे का नेता घोषित किया गया। जिसके बाद वह प्रधानमंत्री बन गए। लेकिन कांग्रेस की नीतियों के अनुरूप न चलने के कारण 1997 को देवगौड़ा को पीएम पद से हटना पड़ा।
राजनीति में योगदान
देश की नीची जाति के हक के लिए एचडी देवगौड़ा ने बहुत से काम किया। कर्नाटक की स्थिति को सुधारने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। जब वह राज्य के सीएम थे, तब उन्होंने अल्पसंख्यक, बैकवर्ड क्लास, एसटी, एससी और औरतों को आरक्षण दिलवाने में बहुत मेहनत की। उन्होंने हुबली में ईदगाह मैदान की समस्या को हल किया।