प्राचीन भारत का इतिहास गवाही दे रहा है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वैश्विक स्तर पर लगभग 25 प्रतिशत का योगदान था एवं विदेशी व्यापार में भी भारत विश्व में प्रथम स्थान पर था। परंतु, अरब आक्रांताओं एवं ब्रिटेन के शासन काल में भारत की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती चली गई एवं राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करते समय तक यह रसातल तक पहुंच चुकी थी। वर्ष 1947 के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था ने पुनः सम्भलना शुरू किया एवं वर्ष 2014 के बाद से तो भारत ने आर्थिक विकास के मामले में तेज रफ्तार पकड़ ली है।
भारत में प्राचीन काल में अधिकतर व्यापार समुद्रीय मार्ग के माध्यम से होता रहा है। 1000 वर्ष पूर्व भी भारत का समुद्री मार्ग विकसित अवस्था में था एवं यह दक्षिणी अफ्रीका एवं यूरोप के देशों के साथ जुड़ा हुआ था। साथ ही, लगभग 500 वर्ष पूर्व भारत में जी.टी. रोड का निर्माण हो चुका था, अतः देश में समुद्री एवं सड़क मार्ग का विकास शताब्दियों पूर्व होता रहा है। परंतु, हाल ही के समय में भारत ने आधारभूत संरचना का विकास करने की जो रफ्तार पकड़ी है वह पूर्व के वर्षों में दिखाई नहीं देती हैं। वर्ष 2013-14 तक भारत में लगभग 75,000 किलोमीटर का सड़क मार्ग विकसित हो पाया था जो आज बढ़कर 150,000 किलोमीटर से अधिक हो गया है। भारत में प्रतिदिन लगभग 25 किलोमीटर से अधिक की सड़कें बनाई जा रही है। सड़कों की गुणवत्ता पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है, आवश्यकता पड़ने पर कुछ सड़क राजमार्ग पर तो हवाई जहाज को भी उतारा जा सकता है।
इसी प्रकार, हवाई मार्ग को विकसित करने का कार्य हालांकि राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के पूर्व ही प्रारम्भ हो चुका था। एयर इंडिया कम्पनी के विमान, कोलकत्ता, मुंबई, दिल्ली के साथ ही इंदौर एवं ग्वालियर जैसे शहरों की ओर भी उड़ान भरते थे। परंतु, वर्ष 2014 के पूर्व के लगभग 50-60 वर्षों में देश में आधारभूत संरचना का विकास करने पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितना पिछले 9 वर्षों के दौरान दिया गया है। इसी कारण से अब भारतीय नागरिकों की आकांक्षाएं भी बढ़ती जा रही हैं एवं कई छोटे-छोटे नगरों के नागरिक भी हवाई जहाज से यात्रा करने को लालायित हैं। हाल ही के वर्षों में नागरिक विमानन का तो एक तरह से लोकतांत्रीयकरण हो गया है क्योंकि पूर्व के खंडकाल में केवल अमीर वर्ग के नागरिक ही हवाई जहाज से यात्रा के बारे में सोच सकते थे परंतु अब तो मध्यमवर्गीय एवं गरीब वर्ग के नागरिक भी हवाई जहाज से यात्रा करने की स्थिति में आ चुके हैं।
वर्ष 2013-14 में 6 करोड़ नागरिकों ने हवाई यात्रा की थी जब कि हाल ही में समाप्त वर्ष में 14.40 करोड़ नागरिकों ने हवाई यात्रा की है। वर्तमान में रेलवे के प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी ए.सी. क्लास से यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 18.50 करोड़ यात्री प्रतिवर्ष है। नागरिक विमानन क्षेत्र प्रतिवर्ष 10.3 प्रतिशत की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है जबकि रेल्वे की विकास दर 5.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष है। इस प्रकार अगले 5 या 6 वर्षों में हवाई यात्रा करने वाले नागरिकों की संख्या रेलवे के प्रथम एवं द्वितीय ए.सी. श्रेणी के यात्रियों की संख्या से अधिक हो जाने की पूरी सम्भावना दिखाई देती है। वर्ष 2013-14 में देश में 400 हवाई जहाज थे जिनके संख्या आज बढ़कर 700 हवाई जहाज तक पहुंच गई है। राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त करने के उपरांत वर्ष 2013-14 तक देश में 74 एयरपोर्ट विकसित किए जा सके थे जबकि पिछले 9 वर्षों के दौरान देश में 74 नए एयरपोर्ट विकसित किए जाकर आज 148 एयरपोर्ट देश में कार्यरत हैं। साथ ही, आगे आने वाले 5 वर्षों के दौरान देश में कुल एयरपोर्ट की संख्या को 200 तक ले जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
आज देश के नागरिक न्यूनतम सरकारी नियंत्रण के साथ उच्च स्तर का प्रशासन चाहते हैं। जिसे कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा प्रदान करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है। विमानन क्षेत्र में कार्य कर रही कम्पनियों को इसी संदर्भ में पूर्ण स्वतंत्रता प्रदान की गई है। चाहे वह ग्राहकों से किराया वसूल करने की प्रक्रिया के सम्बंध में हो अथवा विभिन नगरों के बीच विमान की सुविधा उपलब्ध कराने का क्षेत्र हो, सरकार का कोई भी दख़ल इन कम्पनियों के निर्णयों पर नहीं रहता है। आज निजी क्षेत्र की भारतीय विमान कम्पनियां केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य कर रही हैं। अभी हाल ही में सम्पन्न किए गए आपरेशन गंगा के अंतर्गत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वहां से सफलतापूर्वक निकालकर भारत में वापस लाने में देश के रक्षा विभाग को निजी क्षेत्र की विमानन कम्पनियों ने भी सहयोग किया था। इसी प्रकार एक बार पुनः आपरेशन कावेरी के अंतर्गत सूडान में फंसे भारतीय नागरिकों को सफलतापूर्वक भारत में लाया गया है।
अभी हाल ही में टाटा समूह की एयर इंडिया कम्पनी द्वारा 250 विमान एयरबस कम्पनी से एवं 220 विमान बोइंग कम्पनी से खरीदे जा रहे हैं। यह पूरे विश्व में ही आज तक का सबसे बड़ा विमान ख़रीदी सौदा माना जा रहा है। आज भारत में 14.4 करोड़ नागरिक देश के विभिन भागों की हवाई यात्रा करते हैं एवं 6 करोड़ नागरिक विश्व के अन्य देशों की हवाई यात्रा करते हैं। इस प्रकार, कुल मिलाकर 20.4 करोड़ नागरिक प्रतिवर्ष हवाई यात्रा कर रहे हैं। अगले 5 वर्षों के दौरान इस संख्या को 40 करोड़ यात्रियों तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जब देश में हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में तेज गति से वृद्धि होने लगे तो नए विमानों की आवश्यकता तो महसूस होनी ही हैं। नए विमान खरीदने के साथ ही भारत में ही हवाई जहाज के इंजन निर्माण करने के उद्देश्य से विनिर्माण इकाई की स्थापना भी की जा रही है, जो अगले 3 से 4 वर्षों के बीच विनिर्माण का कार्य प्रारम्भ कर देगी। इसी प्रकार, एयर बस ने भी टाटा समूह के साथ बड़ोदा में 20,000 करोड़ रुपए की लागत से एक अन्य विनिर्माण इकाई स्थापित करने के सम्बंध में एक करार पत्र पर हॉल ही में हस्ताक्षर किए हैं।
केंद्र में मोदी सरकार द्वारा भारत के मध्यम एवं गरीब वर्ग के नागरिकों को हवाई जहाज से यात्रा करने की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से प्रारम्भ की गई उड़ान योजना को बहुत सफलता मिली है। उड़ान योजना के अंतर्गत भारत में 1.17 करोड़ मध्यम एवं गरीब वर्ग के नागरिकों ने 1.20 लाख हवाई फेरों के माध्यम से हवाई यात्रा की है। अब छोटे-छोटे शहरों को भी विमान सुविधाएं प्राप्त बड़े नगरों एवं महानगरों के साथ जोड़ दिया गया है। अब तो देश में कई छोटे शहरों से भी विमान सेवाओं की मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उड़ान यात्रा को सफल बनाने के उद्देश्य से पिछले 6 वर्षों के दौरान 473 नए हवाई मार्ग बनाए गए हैं जो पूर्व में शायद व्यवहार्य ही नहीं थे। 73 नए एयरपोर्ट बनाए गए हैं। इनमें से कुछ नए एयरपोर्ट प्रतिवर्ष 2 से 5 लाख के बीच हवाई यात्रा करने वाले नागरिकों को सुविधाएं प्रदान करने में सफल हो रहे हैं। उड़ान योजना के अंतर्गत कुल 11 एयरलाइन कम्पनियां अपने विमानों का संचालन कर रही हैं, इनमें 3 नई विमान कम्पनियां भी शामिल हैं। अब आगे योजना है कि हवाई मार्गों की कुल संख्या को 1000 के स्तर तक पहुंचाया जाये। जबकि आज 473 हवाई मार्गों पर सफलतापूर्वक हवाई जहाजों को चलाया जा रहा है एवं इनमें से कुछ मार्ग तो व्यवहार्य भी बन चुके हैं।
भारत में हवाई यात्रा करने वाले नागरिकों की संख्या, देश की कुल जनसंख्या का, मात्र 3 से 4 प्रतिशत के बीच ही है। इसे बहुत आगे तक बढ़ाया जा सकता है। पूरे विश्व में स्थानीय बाजार की दृष्टि से भारतीय विमानन क्षेत्र तीसरे स्थान पर है एवं अंतरराष्ट्रीय बाजार की दृष्टि से 7वें स्थान पर है। दोनों बाजारों को मिलाकर भारतीय विमानन क्षेत्र का स्थान पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आ जाता है। आज देश में विभिन देशों की ओर उड़ान भरने वाले भारतीय नागरिक खाड़ी के देशों के रास्ते से अपनी लम्बी दूरी की यात्रा सम्पन्न करते हैं। परंतु, अब भारत में ही मुंबई एवं दिल्ली में एयरपोर्ट का विस्तार किया जा रहा है ताकि भारत से सीधे ही लंबी दूरी की अंतरराष्ट्रीय यात्रा सम्पन्न की जा सके। भारत शीघ्र ही ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनने जा रहा है। दिल्ली एयरपोर्ट शीघ्र ही प्रतिवर्ष 10.90 करोड़ हवाई यात्रियों को हवाई सुविधा उपलब्ध कराने की ओर अग्रसर है एवं इस प्रकार दिल्ली एयरपोर्ट पूरे विश्व में तीसरा सबसे बड़ा व्यस्त एयरपोर्ट बन जाएगा।