मंगलवार यानी 9 मई के दिन हमने एक वीडियो देखा। काले यूनिफार्म, शील्ड और डंडों से लैस सुरक्षाकर्मी एक मुल्क की राजधानी में हाई कोर्ट की खिड़की तोड़कर घुसते हैं और एक शख्स को कॉलर पकड़कर घसीटते हुए ले जाते हैं। ये शख्स कुछ साल पहले तक इसी मुल्क का प्रधानमंत्री हुआ करता था और मुल्क ऐसा कि पहले प्रधानमंत्री की गोली मारकर हत्याकर दी गई। एक पूर्व प्रधानमंत्री को फांसी पर चढ़ा दिया गया और एक और पूर्व पीएम को बीच रैली में गोलियों से भून दिया गया। ये मुल्क हमारा पड़ोसी पाकिस्तान है। जहां हालात लगातार बिगड़े हुए नजर आए। स्थानीय पुलिस कहती है कि सब टीक है लेकिन जो वीडियो और तस्वीरें आईं उससे साफ है कि देश अराजकता और हिंसक विरोध प्रदर्शन से जल रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री के क्रोधित समर्थकों के रावलपिंडी शहर में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय पर धावा बोलने और लाहौर में सेना के एक शीर्ष जनरल के आवास में तोड़फोड़ करने के अवास्तविक दृश्यों ने कई लोगों को झकझोर कर रख दिया। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि पूरे देश में धारा 144 लागू करना पड़ गया था। पेशावर, रावलपिंडी, कराची, खैबर पख्तूनवा शहरों के नाम बदल गए लेकिन हिंसा की तस्वीर नहीं बदली।
इसके साथ ही इस बात की भी चर्चा तेज हो गई कि हिंसा की आग में जल रहे पाकिस्तान में जल्द ही मार्शल लॉ लग सकता है। आप सोच रहे होंगे की ये मार्शल लॉ क्या होता है। तो आज का एमआरआई हमने इसी पर तैयार किया है। जिसमें आपको बताएंगे कि आखिर ये होता क्या है, किन परिस्थितियों में इसे लगाया जाता है और मार्शल लॉ व नेशनल इमरजेंसी में क्या अंतर होता है?
क्या होता है मार्शल लॉ
किसी भी देश में सरकार द्वारा घोषित एक ऐसी न्याय व्यवस्था है जिसमें सैन्य बलों को एक क्षेत्र, शासन और नियंत्रण करने का अधिकार दिया जाता है। ये कानून विशेष परिस्थितियों में देश की न्याय व्यवस्था को सेना अपने हाथ में ले लेती है। साधारण भाषा में समझे तो देश में सेना का शासन लग जाता है।
मार्शल लॉ लागू होने पर देश में क्या बदलाव होते हैं
मार्शल लॉ लागू होने पर देश का पूरा कंट्रोल पूरी तरह से सेना के हाथ में आ जाता है। ऐसा भी होता है कि मार्शल लॉ पूरे देश में लागू हो या फिर इसे देश के किसी खास हिस्से में भी लागू किया जा सकता है। नागरिकों के अधिकार इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। इसके अलावा राजनीतिक दलों की सभाओं को रोक दिया जाता है। बड़े स्तर पर नेताओं की गिरफ्तारी की आशंका भी रहती है। इसके अलावा सिविल लॉ पर रोक लग जाती है, कोर्ट बंद हो जाते हैं। नागरिकों के अधिकार छिन जाते हैं। मार्शल लॉ में सेना कभी भी किसी को भी जेल में डाल सकती है। सेना की कोर्ट में जज किसी को भी नोटिस देकर बुला सकता है। जो लोग इसका विरोध करते हैं उन्हें आर्मी कोर्ट में पेश किया जाता है और उन पर केस भी चलाया जाता है।
कब लागू किया जा सकता है
ये इस बात पर निर्भर होता है कि देश में किस स्तर पर इमरजेंसी की स्थिति है और सरकार उससे निपट पाने में कितनी असफल साबित हो रही है। मतलब, हालात देखते हुए मार्शल लॉ लागू किया जाता है। इसके अलावा भी कई स्थितियों में मार्शल लॉ लागू किया जाता है। जैसे युद्ध के हालात में, किसी युद्ध में जीते गए क्षेत्र में देश में राज कर रही सरकार के तख्तापलट होने पर या बड़े स्तर पर प्राकृतिक आपदा आने पर। ये कुछ ऐसे हालात हैं जब सेना देश को कंट्रोल करती है।
मार्शल लॉ और आपातकाल में क्या अंतर है?
भारत में मार्शल लॉ कभी नहीं लगा है और इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान नेशनल इमरजेंसी या राष्ट्रीय आपातकाल लगाया गया था। भारत के संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार राष्ट्रपति युद्ध, बारही आक्रमण और आंतरिक अशांति के आधार पर संपूर्ण भारत में एक साथ राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है। 1975 में इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के आधार पर पूरे भारत में आपातकाल लागू कर दिया था। लेकिन 1978 में संविधान के 44वनें संशोधन के तहत आर्टिकल 352 में आंतरिक अशांकि के स्थान पर शस्त्र विद्रोह शब्द को स्थापित किया गया। भारत के संविधान में माशर्ल लॉ के विशिष्ट प्रावधान नहीं है। भारत में अगर कानून की व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही हो या भंग हो रही हो तो उस वक्त मार्शल लॉ लगाया जा सकता है। लेकिन अगर बाहर से अटैक हो रहा हो, युद्ध, बाहरी आक्रामकता या सशस्त्र विद्रोह हो तब आपातकाल लगाया जा सकता है।
पाकिस्तान में कब-कब लगा मार्शल लॉ
पाकिस्तान का इतिहास रहा है कि वहां की सेना और राजनीतिक मोहरों के बीच आंख-मिचौली का खेल चलता रहता है। यही वजह है कि जब भी सेना को कोई सरकार पसंद नहीं आती तो वो उसे हटाकर पूरा कंट्रोल सीधे अपने हाथ में ले लेती है। यही वजह है कि पाकिस्तान में अब तक तीन बार सैन्य तख्तापलट हो चुका है। मुल्क को दशकों तक सैन्य शासनों के छतरी तले रहना पड़ा है। पाकिस्तान में सैन्य शासन की शुरुआत नए देश बनने के 11 साल बाद से ही शुरू हो गई थी। राष्ट्रपति सिंकदर मिर्जा ने 1958 में मार्शल लॉ लगाया था। उस समय हो रही राजनीतिक उथल-पुथल और अशांति के जवाब में ये कदम उठाया गया था। पाकिस्तान में मार्शल लॉ दो साल तक चला और 1960 में इसे हटा लिया गया। दूसरी बार साल 1969 में पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू हुआ था। फिर 5 जुलाई 1977 में जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू किया। जिया उल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो की पार्टी के लोगों को गिरफ्तार कर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था। 12 अक्टूबर 1999 को तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार भंग कर दी गई थी। तब सेना ने मोर्चा संभाला। जनरल परवेज मुशरर्फ ने सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। पाकिस्तान के बारे में तो हमने आपको बता दिया। अब आइए जानते हैं कि मार्शल लॉ किन-किन देशों में लागू हो चुका है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, ईरान, अमेरिका जैसों देशों में भी मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है।