बुधवार शाम 6 बजे शिफ्ट बदल गई थी। करीब 100 लोग फोम फैक्ट्री में काम करते थे, तभी तेज धमाका हुआ। 2 सेकेंड में फैक्ट्री की 30 फीट ऊंची टीनशेड ढह गई। फोम के ढेर लग गए। अंदर मौजूद कर्मचारी फोम के नीचे दब गए। फिर अचानक धमाका हुआ। लगा कि सिलेंडर या बॉयलर फट गया। इसके बाद भीषण आग लग गई। सिर्फ बचाओ-बचाओ की चीख ही सुनाई दे रही थी। सब कुछ देखकर भी कोई कुछ नहीं कर सका। देखते ही देखते 4 कर्मचारी जिंदा जल गए। ये कहना है बरेली अग्निकांड के प्रत्यक्षदर्शियों का।
यह फैक्ट्री मुख्य हाईवे से 200 मीटर की दूरी पर है। यहां सिर्फ फैक्ट्री का मलबा ही मलबा नजर आ रहा था। लोगों भीड़ लगी थी। पुलिस और फायर विभाग के कर्मचारी और 1 फायर टैंकर के साथ नजर आए। फैक्ट्री के मुख्य गेट में जैसे ही चले तो पीछे-पीछे गार्ड भी चलने लगा। खैर फोटो और वीडियो बनाने पर गार्ड को लगा कि मीडिया से हैं। इसके बाद गार्ड ने कई कर्मचारियों से कहा कि हमें नौकरी भी करनी है, कोई कुछ बोलना नहीं।
ऐसी खौफनाक आग पहले कभी नहीं देखी
कर्मचारियों ने बताया कि हम कैमरे के सामने कुछ भी नहीं बता सकते। हमारे लिए फैक्ट्री ही रोजी-रोटी है। जो हुआ वह तो बुरा है, लेकिन हमें आगे नौकरी भी करनी है। हमारे चार साथी जिंदा जल गए। आग की लपटें 10 किमी दूर दिखाई दे रही थीं। ऐसी खौफनाक आग पहले कभी नहीं देखी।
6 बजे के पहले धमाका होता तो 50 मौतें हो सकती थीं
एक कर्मचारी ने बताया कि फैक्ट्री में 250 कर्मचारी काम करते हैं, बुधवार शाम के समय भी 100 कर्मचारी मौजूद रहे होंगे। अगर ये धमाका 6 बजे के पहले हुआ होता, तो 50 से ज्यादा लोगों की जान जा सकती थी। जिस स्थान पर प्लास्टिक के दाने से फोम बनाई जाती है। यहां बड़ी बड़ी मशीनें थीं, उनमें सिलेंडर लगे थो। अचानक धमाका हुआ और लगा कि सिलेंडर या बॉयलर फट गया। इसके बाद आग लग गई। आधी से ज्यादा फैक्ट्री की 30 फीट ऊंची टीनशेड मलबे में दिखाई दी।
तेज धमाके से रास्ते में उड़कर गिरी टीनशेड
राजेंद्र नाम के कर्मचारी ने बताया कि जिस मशीन से प्लास्टिक दाने से फोम बनाई जा रही थी, उसी का सिलेंडर फट गया। इतना भीषण धमाका था कि कर्मचारियों को भागने तक का समय नहीं मिला। पहले लगा कि जान चली गई। फैक्ट्री के बीच में फोम के ढेर लगे थे, वहां रास्ते तक उड़कर टीनशेड गिर गई। जिसके बाद फोम में आग लग गई। जो मेन गेट और दूसरी तरफ थे वह तो भाग निकले, जिधर आग लगी वह फोम में घिर गए। फोम धमाके में उड़ा और कर्मचारियों के ऊपर गिर गया। जिसमें कई लोग दब गए। इस हादसे में अखिलेश, अनूप, राकेश और अरविंद जिंदा जल गए। दस से ज्यादा कर्मचारी झुलस गए।
बचाओ-बचाओ की आवाज, सब इधर-उधर भागने लगे
प्रदीप नाम के युवक ने बताया कि मैं 3 माह पहले ही यहां नौकरी करने आया। दस हजार रुपए महीना मिलते हैं। ब्लास्ट के साथ जैसे ही आग लगी तो कर्मचारी घिर गए। अंदर फैक्ट्री बहुत बड़ी है। ऊपर टीनशेड थी, बचाव का कोई रास्ता नहीं था। बीच के हिस्से में फोम हटाने लगे, जिससे दूसरे स्टाक तक आग न फैल सके। कुछ देर में आग बुझाने की गाड़ी आ गई थी। जिधर आग थी, वहां से बचाओ-बचाओ की आवाज आ रहीं थी, लेकिन आग में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। बाहर भी सब इधर-उधर भाग रहे थे। फोम के स्टाक भी आग लगते ही गिरने लगे। लगा की कई लोग इसमें घिरे हैं, जो जिंदा जल गए।
कर्मचारियों की फिक्र नहीं, माल की चिंता थी
कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि मालिक अशोक गोयल भी यहीं थे। जब आग बुझाई जा रही थी तो वह थे। कई बार गुस्से में कहा कि फोम को हटा दो, नहीं तो यहां तक भी आग पहुंच जाएगी। कर्मचारी और लोग जिंदा जल रहे थे, उन्हें कोई परवाह नहीं थी। सिर्फ अपने माल की चिंता था। कई बार कहा कि करोड़ों रुपए का स्टाक है, इससे बचा लो।
हर 2 साल में लगती है आग, यह लापरवाही
इस भीषण आग की घटना में 34 साल के राकेश निवासी सरकड़ा की भी जिंदा जल गए। राकेश के भतीजे सर्वेश ने बताया कि राकेश पिछले 7 साल से यहां नौकरी करता था। गांव के कई लोग यहां नौकरी के लिए आते थे। एक दिन राकेश ने कहा था कि इस फैक्ट्री में हर दो साल में आग लगती है, मशीन बहुत पुरानी हैं। कहने के बाद भी नहीं बदला गया। कभी भी कुछ भी हो सकता है। मालिक की लापरवाही से 4 लोगों की जान गई है। यदि मशीनें सही होतीं और आग बुझाने के उपकरण होते तो चार लोग जिंदा नहीं जलते।
एक अन्य कर्मचारी ने बताया कि फैक्ट्री में गार्डर पर बड़े आकार में टीनशेड बनाई गई थी। आधी से ज्यादा फैक्ट्री में आग फैल चुकी थी। बीच के हिस्से को खाली कर लिया था, जो कर्मचारी घिर गए। यहां एक तो आग लगी, ऊपर से फैक्ट्री की छत गिरने लगी। वह टीनशीड में दब गए। जिसमें रात में ही जेसीबी और गैस कटर की मदद ली गई। इसके बाद लोगों के शव निकाले जा सके। चार लोग जो जले हैं, उनमें दो तो कंकाल बन गए, जिन्हें पहचाना भी आसान नहीं था। फैक्ट्री में फोम के ढेर गिर गए, इससे कर्मचारी मेनगेट तक नहीं निकल सके।
धमाके से ही फट गई थी फैक्ट्री की छत
कर्मचारी पवन ने बताया कि यह गलत बताया जा रहा है कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी है। अब यह कहा जा रहा कि कोई कर्मचारी बीडी पी रहा होगा, फोम ने आग पकड़ ली। मशीनों में जो सिलेंडर लगे होते हैं। जब मशीन पूरी स्पीड में चलती हैं, तो वह गर्मियों में हीट हो जाती हैं। ऐसे में मशीनों के सिलेंडर फटे या फिर बॉयलर फटा।
पहला ही धमाका इतना बड़ा था कि फैक्ट्री की टीनशेड की छत फट गई। अभी कुछ पता नहीं चल रहा है। चारों तरफ लोहे का मलबा ही मलबा जमीन पर पड़ा है, लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं बचा। यदि यह आग आधा घंटे पहले लगती तो बहुत कर्मचारी चपेट में आ जाते।