Rajasthan: सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा आज से, 5 दिन तक करेंगे राजस्‍थान का मंथन, चरम पर कांग्रेस का कलह

Rajasthan: सचिन पायलट की जन संघर्ष यात्रा आज से, 5 दिन तक करेंगे राजस्‍थान का मंथन, चरम पर कांग्रेस का कलह

जयपुर: राजस्‍थान के पूर्व उपमुख्‍यमंत्री और कांग्रेस के दिग्‍गज नेता सचिन पायलट गुरुवार से भ्रष्‍टाचार के खिलाफ जन संघर्ष यात्रा पर निकल रहे हैं. वह लगातार 5 दिनों तक राजस्‍थान का भ्रमण करेंगे और जनता के बीच अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश करेंगे. सचिन पायलट ने भ्रष्‍टाचार के नाम पर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बता दें कि राजस्‍थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस बीच राजस्‍थान कांग्रेस में दो फाड़ हो गया है. इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान फिलहाल वेट एंड वॉच की मुद्रा में है.

सचिन पायलट की जन संघर्ष पदयात्रा पर कांग्रेस पार्टी में घमासान शुरू हो गया है. पायलट खेमा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ यात्रा बता रहा है तो गहलोत कैंप ने इसे अनुशासनहीनता करार दिया है. पहले वसुंधरा सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच न कराने का आरोप लगाते हुए पायलट धरने पर बैठे थे. वह अब अजमेर से जन संघर्ष पदयात्रा पर निकल रहे हैं. गुरुवार सुबह को सचिन पायलट जयपुर से ट्रेन से रवाना होंगे. ट्रेन में युवाओं से संवाद करते हुए वह अजमेर पहुंचेंगे. अशोक उद्यान के पास आयोजित जनसभा को संबोधित करने के बाद वह जयपुर के लिए पैदल रवाना हो जाएंगे.

सुलह की कोशिश विफल

पायलट समर्थक सीएम गहलोत पर हमलावर हैं. पायलट के घर पर नेता जन संघर्ष पदयात्रा की तैयारियां करते दिखाई दिए. राहुल गांधी से लेकर प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी तक ने कई बार दोनों गुटों के बीच सुलह कराने की कई बार कोशिश की मगर स्थिति बदली नहीं. जिस दिन आलाकमान ने गहलोत को सूबे का मुख्यमंत्री और पायलट को डिप्टी सीएम बनाना तय किया था, उस दिन राहुल गांधी ने दोनों के साथ फोटो खिंचवाते हुए ट्वीट किया था- यूनाइटेड कलर ऑफ राजस्थान. हालांकि, कुछ ही महीनों के बाद पार्टी में यूनिटी तो दिखी नहीं अलबत्‍ता सवा चार साल से पार्टी डिवाइड जरूर है. पायलट की बगावत के बावजूद गहलोत सरकार बचा ले गये थे. दूसरी तरफ, पायलट पार्टी आलाकमान से सवा चार साल तक नेतृत्व परिवर्तन की मांग करते करते थक गए.

अपनी ताकत की थाह

पायलट को जब लगा कि गहलोत के मुकाबले आलाकमान अब उनकी कहीं नहीं सुन रहा है, तो उन्होंने सड़क पर उतरने का फैसला किया. सूबे की सियासत में खुद को जिंदा रखने और अपनी ताकत की थाह लेने के लिए पायलट ने पदयात्रा का रास्ता चुना है. तपती गर्मी और लू के थपेड़ों से ज्यादा पायलट को सियासी तपिश का सामना करना पड़ेगा. अब तक उनके साथ खड़े लोग उनके प्रति कितने वफादार रहेंगे और कितने गहलोत खेमे में चले जाएंगे, यह तो यात्रा के दौरान ही पता चलेगा. फिलहाल गहलोत खेमे ने यात्रा पर पलटवार करते हुए इसे पार्टी के खिलाफ अनुशासनहीनता करार दिया है.


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yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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