नई दिल्ली: शिवसेना के 16 बागी विधायकों के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आज फैसला आएगा. जून 2022 में एकनाथ शिंदे और उनके गुट के विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी, जिसके बाद उद्धव ठाकरे को 29 जून, 2022 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और उनके नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी. इसके अगले दिन शिवसेना के बागी गुट ने भाजपा के समर्थन से नई सरकार बनाई और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने थे. पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया था.
उद्धव ठाकरे गुट ने विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल के पास सभी 16 बागी विधायकों को अयोग्य करार देने की याचिका दायर की थी, जिस पर उन्होंने उद्धव गुट के समर्थन में फैसला भी लिया था. हालांकि, एकनाथ शिंदे समेत 16 बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में विधानसभा उपाध्यक्ष के फैसले के खिलाफ याचिका दायर कर अपनी अयोग्यता पर रोक लगाने की मांग की. एकनाथ शिंदे गुट का कहना था कि उपाध्यक्ष के खिलाफ पहले ही कुछ विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया है, ऐसे में वे विधायकों के निलंबन पर फैसला नहीं ले सकते. करीब 9 महीने तक चली लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
उद्धव ठाकरे गुट ने शीर्ष अदालत में क्या कहा?
ठाकरे गुट के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के शेड्यूल 10 का हवाला देते हुए दलील रखी, अगर किसी विधायकों के समूह के दो तिहाई से ज्यादा सदस्य बगावत करते हैं, तो उन्हें किसी ना किसी दल में विलीन होना होगा. लेकिन शिंदे और उनके गुट ने ऐसा नहीं किया. इसलिए उन्हें अयोग्य घोषित किया जाए. वहीं, विधानसभा उपाध्यक्ष के खिलाफ शिंदे गुट के विधायकों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को भी ठाकरे गुट ने गलत बताया.
सुप्रीम कोर्ट में एकनाथ शिंदे गुट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान शिंदे गुट के वकीलों ने कहा कि उनके विधायकों ने पार्टी में कोई बगावत नहीं की. वे आज भी शिवसेना में हैं और पहले भी शिवसेना में ही थे. लिहाजा जिस संविधान के 10वें शेड्यूल का हवाला देखकर उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग की जा रही है, वह तथ्यहीन है. एकनाथ शिंदे शिवसेना पार्टी के विधानसभा में ग्रुप लीडर हैं. बहुमत उनके पास है, ऐसे में विधायकों का कोरम पूरा किए बगैर ही उद्धव ठाकरे गुट ने उन्हें गैरकानूनी तरीके से अयोग्य ठहराने की कोशिश की.
उद्धव ठाकरे गुट ने जिन 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग की थी, उनमें स्वयं एकनाथ शिंदे, भरतशेट गोगावले, संदिपानराव भुमरे, अब्दुल सत्तार, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, अनिल बाबर, बालाजी किणीकर, तानाजी सावंत, प्रकाश सुर्वे, महेश शिंदे, लता सोनवणे, चिमणराव पाटिल, रमेश बोरनारे, संजय रायमूलकर और बालाजी कल्याणकर शामिल हैं. अब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा सरकार का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर निर्भर करेगा. अगर फैसला एकनाथ शिंदे गुट के खिलाफ आता है, तो महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक संकट देखने को मिलेगा.