Manipur: हालात सामान्य, जातीय हिंसा ने ली 60 की जान, लूटी गयीं 1041 बंदूकों में से सिर्फ 214 ही मिलीं

Manipur: हालात सामान्य, जातीय हिंसा ने ली 60 की जान, लूटी गयीं 1041 बंदूकों में से सिर्फ 214 ही मिलीं

मणिपुर में फिलहाल स्थिति शांतिपूर्ण है और हिंसा प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों की गश्त जारी है और ड्रोन कैमरा से भी चप्पे चप्पे पर निगरानी रखी जा रही है। मणिपुर में हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित जगहों पर तो ले जाया ही गया है साथ ही विभिन्न राज्यों के जो छात्र मणिपुर में पढ़ाई कर रहे थे उन्हें भी सुरक्षित तरीके से उनके राज्य पहुँचाया गया है। दूसरी ओर, इस घटना को लेकर जारी तमाम राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा है कि पिछले कुछ दिन में पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा में 60 लोगों की मौत हो गयी और 231 लोग घायल हो गए।

मुख्यमंत्री ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने मृतकों के परिवार को पांच-पांच लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को दो-दो लाख रुपये तथा मामूली रूप से घायल लोगों को 25,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘ये बहुत-बहुत दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हैं। मैं लोगों से जल्द से जल्द शांति का माहौल बनाने की अपील करता हूं।’’ मुख्यमंत्री ने बताया कि हिंसा के दौरान मंदिरों तथा गिरजाघरों समेत 1,700 इमारत और मकान जला दिये गये। उन्होंने कहा कि उन लोगों को दो-दो लाख रुपये दिए जाएंगे जिनके मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद राहत शिविरों में फंसे 20,000 से अधिक लोगों को आज सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया। 10,000 और लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरक्षाबल के कर्मियों से 1,041 बंदूक लूटी गयी जिनमें से 214 बरामद कर ली गयी है। उन्होंने बंदूक लूटने वाले लोगों से उन्हें नजदीकी पुलिस थाने में लौटाने के लिए कहा है और ऐसा नहीं करने पर ‘‘व्यापक तलाश अभियान’’ शुरू किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने चुराचांदपुर, उखरुल, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और कांगपोकपी जिलों के फंसे लोगों को वापस लाने के लिए कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस अधीक्षकों को संवेदनशील इलाकों की पहचान करने तथा मालिकों की अनुपस्थिति में भूमि और संपत्ति की चौबीसों घंटे सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। उन्हें लूट या ऐसे जमीन और संपत्ति पर कब्जा जमाने की कोशिश करने वाले लोगों के खिलाफ कानून के अनुसार तत्काल कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है।’’ 

राज्य सरकार के सलाहकार का बयान

इस बीच, मुख्यमंत्री के सुरक्षा सलाहकर कुलदीप सिंह ने कहा कि मणिपुर में स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि दंगे में शामिल बदमाशों के खिलाफ 218 प्राथमिकी दर्ज की गयी है। हम आपको बता दें कि मणिपुर में बहुसंख्यक मेइती समुदाय द्वारा उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में ‘ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर’ (एटीएसयूएम) की ओर से बुधवार को आयोजित ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबंग क्षेत्र में हिंसा भड़क गई थी, जो रातोंरात पूरे राज्य में फैल गई थी।

पीएपीपी का दावा

इस बीच, मणिपुर में मेइती समुदाय के लिए काम करने वाले संगठन ‘पीपुल्स एलायंस फॉर पीस एंड प्रोग्रेस’ (पीएपीपी) ने दावा किया है कि राज्य के हिंसा प्रभावित चुराचांदपुर जिले में इस समुदाय के 5,000 लोग बेघर हुए हैं। संगठन ने एक बयान में कहा है कि चुराचांदपुर में सामुदायिक बस्ती क्षेत्र में मेइती समुदाय के सभी घरों को आतंकवादियों के समर्थन वाले सशस्त्र लोगों ने जला दिया है। बयान में कहा गया है, मेइती लोग चुराचांदपुर जिला मुख्यालय के डीसी कार्यालय में शरण ले रहे हैं, जहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गये हैं। अब तक किसी भी शरणार्थी को वहां से निकाला नहीं जा सका है। संगठन ने यह भी दावा किया कि मोरेह कस्बे में, मेइती समुदाय का प्रत्येक घर जला दिया गया है और इस समुदाय के कुछ लोग म्यांमा में शरण ले रहे हैं और बाकी खुडेंगथाबी में असम राइफल्स के शिविर में शरण लिए हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट सख्त

हम आपको यह भी बता दें कि मणिपुर में जानमाल का भारी नुकसान होने पर चिंता जताते हुए उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र और पूर्वोत्तर के इस राज्य को वहां जातीय हिंसा से प्रभावित हुए लोगों को राहत सहायता मुहैया करने तथा उनके पुनर्वास के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था। साथ ही, न्यायालय ने उपासना स्थलों की सुरक्षा करने का भी निर्देश दिया, जिनमें से कई को हिंसा के दौरान निशाना बनाया गया है। शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘हम लोगों के जान गंवाने, संपत्ति को नुकसान पहुंचने को लेकर बहुत चिंतित हैं...।’’ बहरहाल, जहां तक मणिपुर के वर्तमान हालात की बात है तो आइये देखते हैं स्थानीय लोगों का क्या कहना है फिर आपको दिखाएंगे कि हिंसा के चलते विस्थापित हुए लोग उस भयावह रात को कैसे याद कर रहे हैं।

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