नई दिल्ली: टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने उतरी लखनऊ सुपर जायंट्स का फैसला पूरी तरह गलत साबित हुआ. गुजरात टाइंटस के ओपनर शुभमन गिल और रिद्धिमान साहा ने लखनऊ के गेंदबाजों का धागा खोल दिया. गुजरात ने तय ओवरों में 2 विकेट खोकर 227 रन बनाए. बड़े लक्ष्य का पीछा करने उतरी लखनऊ को काइल मायर्स और क्विंटन डिकॉक ने तूफानी शुरुआत दी. लेकिन पहला विकेट गिरते ही टीम लय खो बैठी. पूर्व विस्फोटक ओपनर वीरेंद्र सहवाग ने लखनऊ के बैटिंग ऑर्डर को लेकर टीम मैनेजमेंट की आलोचना की है.
दरअसल, नवें ओवर में काइल मायर्स के आउट होने के बाद दीपक हुडा क्रीज पर आए. इसके बाद लखनऊ की रन गति धीमी हो गई और टीम पर दबाव बढ़ता चला गया. हुडा टूर्नामेंट में फॉर्म में भी नजर नहीं आ रहे है. उन्होंने शुरुआती 9 मैचों में महज 53 रन बनाए थे. वहीं, निकोलस पूरन और आयुष बदोनी लीग में कई अच्छी पारियां खेल चुके हैं, लेकिन लखनऊ के मैनेजमेंट ने दीपक हुडा पर भरोसा जताया.
‘उसी वक्त तय हो गई थी हार’
वीरेंद्र सहवाग ने कहा, लखनऊ ने दस ओवर के बाद एक विकेट खोकर 102 रन बनाए थे. इस स्कोर के बाद उन्हें इतने बड़े अंतर से मैच नहीं हारना चाहिए था. मेरा मानना है कि पहला विकेट गिरने के बाद फॉर्म में चल रहे बल्लेबाज को आना चाहिए था. ये निकोलस पूरन, मार्कस स्टोइनिस, खुद कप्तान क्रुणाल पंड्या या आयुष बदोनी हो सकते थे, जिन्होंने चेन्नई के खिलाफ पिछले मैच में तेजी से रन बनाए थे. लेकिन आया कौन… दीपक हुडा.
वीरेंद्र सहवाग ने मैच के बाद एक शो में कहा, लखनऊ उसी क्षण मैच हार गई थी. ये बड़ी चूक थी. अगर निकोलस पूरन उस वक्त क्रीज पर गए होते तो शायद वो 20 गेंदों में 50 रन बनाकर खेल को पलट सकते थे. सहवाग ने आगे कहा, अगर पांच ओवर में 100 रन चाहिए तो आप जीत नहीं पाएंगे. आयुष बदोनी ने 11 गेंदों में 21 रन बनाए. अगर वो समय पर आ जाते तो स्कोरिंग की रफ्तार बढ़ा सकते थे. वो निर्णय किसका था? कप्तान, कोच या मैनेजमेंट…? दीपक हुडा को तीन नंबर पर किसने भेजा. यह पोजीशन एक इन फॉर्म बैटर की थी. बता दें कि लखनऊ सुपर जायंट्स के मेंटर गौतम गंभीर हैं. रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ मैच में उनकी विराट कोहली से काफी ज्यादा कहासुनी हो गई थी.