Anil Dujana Encounter: अपनी स्थापना की 25वीं वर्षगांठ के मौके पर यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (UP POLICE STF) ने अनिल दुजाना को निपटा दिया. वहीं अनिल दुजाना जरायम की दुनिया में 2000 के दशक में जिसके नाम का, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में डंका बोला करता था. अनिल दुजाना जैसे ही जमानत पर जेल से बाहर आया, उसके चंद दिन बाद ही उसका 4 मई 2023 को मेरठ जिले की हद में यूपी एसटीएफ से सामना होना, उसकी जिंदगी का अंतिम पन्ना साबित हुआ. या कह सकते हैं उसके ताबूत में यूपी एसटीएफ ने अपनी 25वीं वर्षगांठ पर अंतिम कील ठोक दी.
अनिल दुजाना से खतरनाक मोस्ट वॉन्टेड माफिया का सफाया इस कदर की खामोशी के बाद, अब यूपी के जेलों में बंद और जेलों से बाहर इधर उधर भटक रहे, बाकी बचे 60 मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की नींद उड़ी हुई है. यह सोचकर कि जब अनिल दुजाना सा खूंखार बदमाश इस कदर की खामोशी से निपटाया जा सकता है तो, आइंदा अब न मालूम किसका नंबर आ जाए? सूबे के मोस्ट वॉन्टेड की हाल ही में यूपी पुलिस द्वारा बनाई गई उस ब्लैक लिस्ट के भीतर से, जिसमें से नाम कटवाने वाला (निपटा दिया जाने वाला) अनिल दुजाना पहला बदमाश रहा है.
यूपी और देश की पहली स्पेशल टास्क फोर्स के पहले आईजी रहे पूर्व आईपीएस डॉ. विक्रम सिंह ने कहा, “24 फरवरी 2023 को यूपी के प्रयागराज में जिस तरह से बमबाज गुड्डू मुस्लिम और अतीक अहमद का बदमाश शूटर बेटा असद अहमद खान, उछल-उछलकर जैसे, उमेश पाल और उनके सुरक्षा कर्मियों को दौड़ा-दौड़ाकर गोलियों से भून रहे थे. मैंने तभी अंदाजा लगा लिया कि अब, यूपी के मौजूदा चीफ मिनिस्टर योगी आदित्यनाथ जरूर अपनी पुलिस और एसटीएफ के पेच कसेंगें. आज देख लीजिए वही सब हो रहा है, जो मैंने तब सोचा था.
पुलिस को हर वक्त निशाने पर लेते रहना भी गलत
यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीजीपी और 1974 बैच के पूर्व आईपीएस विक्रम सिंह ने आगे कहा, उमेश पाल ट्रिपल मर्डर के बाद भरी विधानसभा में योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह चुनौती देकर माफियाओं को मिट्टी में मिलवाना शुरु किया है. यह काफी पहले अगर शुरु हो गया होता, तो शायद आज कुकुरमुक्ते की मानिंद जो माफिया डॉन यूपी के गांव-शहर-कस्बों और जेलों में मौजूद हैं. इनकी संख्या इतनी बड़ी न होती. मगर जब पुलिस और सरकार अच्छा काम कर रही है तो फिर ऐसे में, हर वक्त उन्हें निशाने पर लेते रहना भी गलत होगा.
माफियाओं में पुलिस का डर
उमेश पाल ट्रिपल मर्डर के बाद अपनी असली फॉर्म में यूपी पुलिस और उसकी एसटीएफ आई हुई है. तभी तो 61 मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं की बनी नई लिस्ट में से, यूपी एसटीएफ ने अपनी 25वीं वर्षगांठ के मौके पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का मोस्ट वॉन्टेड माफिया, अनिल दुजाना जैसे ही जेल से निकल कर जमानत पर बाहर निकला, उसे घेर लिया. मुझे उम्मीद है कि अनिल दुजाना का हाल देखकर जेल के बाहर और जेलों के अंदर हाथ-पांव सिकोड़ कर बैठे माफिया-गुंडे, सांसें रोककर अपनी जिंदगी की खैर खुद से ही मांग रहे होंगे.
1998 बैच के पूर्व आईपीएस, प्रयागराज के पूर्व (तब इलाहाबाद) पुलिस महानिरीक्षक और यूपी पुलिस के रिटायर्ड आईजी इंटेलीजेंस आर के चतुर्वेदी बोले, “एसटीएफ और अनिल दुजाना के बीच की मुठभेड़ सूबे में मौजूद अपराधियों के लिए किसी नसीहत से कम नहीं होगी. अनिल दुजाना का निपटना यूपी की जेलों में बंद और बाहर मौजूद गुंडों के लिए एक खतरनाक अलार्म है.
यूपी पुलिस का सिक्का चल गया…
अलार्म इस बात का कि अगर अब भी उन्होंने बदमाशी बंद नहीं की तो, फिर पुलिस के सामने जो भी आएगा. जिस भाषा में सामने वाला बात करेगा. यूपी पुलिस का सामने वाले की भाषा में ही जवाब दिया जाएगा. सुना है मीडिया खबरों से ही कि, अनिल दुजाना को मेरठ में 4 मई 2023 को यूपी एसटीएफ ने काफी देर तक सरेंडर कराने की कोशिश कीं. मगर वो सरेंडर के अलावा सबकुछ करने को राजी था. नतीजा यह है कि यूपी पुलिस का सिक्का चल गया और अनिल दुजाना निपट चुका है.
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी पुलिस से हाल ही में मोस्ट वॉन्टेड 61 माफियाओं की जो लिस्ट बनाई है क्या, अनिल दुजाना की मौत से समझा जाए कि, अब उस लिस्ट से नाम ‘काटने’ की शुरुआत हो चुकी है? पूछने पर यूपी पुलिस के रिटायर्ड दबंग डिप्टी एसपी सुरेंद्र सिंह लौर (Deputy SP UP Police Surendra Singh Laur) कहा, “इसमें अब कौन सा शक बाकी बचा है. जब हाल ही में बनी 61 मोस्ट वॉन्टेड माफियाओं में शुमार अनिल दुजाना निपटाया जा चुका है.
पुलिस का मकसद किसी को मार-डालने का नहीं होता
पुलिस का मकसद घर बैठे किसी को मार-डालने का नहीं होता है. यह मैं साफ कर दूं. जनता का ही दबाव पुलिस के ऊपर इस बात को लेकर होता है कि, समाज में शांति रहे. तो ऐसे में जब पुलिस शांति के लिए कदम बढ़ाती है तो, अनिल दुजाना जैसे बदमाशों को यह बर्दाश्त नहीं होता. नतीजा अनिल दुजाना को निपटा दिए जाने के रूप में सामने है. और अगर कोई बदमाश पकड़ा या मारा जा रहा है.
पुलिस के सामने वो झुकने को राजी नहीं है. आम आदमी को जीने नहीं देंगे यह बदमाश. तो फिर उनसे (बदमाशों से) उन्हीं की भाषा में जवाब देने की जिम्मेदारी भी तो पुलिस की ही है. हां, इतना जरूर है कि अनिल दुजाना के ठिकाने लगने की घटना ने बाकी बदमाशों की अगर नींद उड़ा दी है. तो इस सफलता ने यूपी पुलिस को प्रोत्साहित भी किया होगा.