UP: निकाय चुनाव में 52% मतदान; गोरखपुर में बढ़ी वोटिंग, लखनऊ में 1.37% कम पड़ा वोट

UP: निकाय चुनाव में 52% मतदान; गोरखपुर में बढ़ी वोटिंग, लखनऊ में 1.37% कम पड़ा वोट

उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के फर्स्ट फेज का मतदान हो गया है। इस बार करीब 52% वोटिंग हुई है। शाम 6 बजे तक नगर निगम चुनाव में लखनऊ में 38.62%, वाराणसी में 40.58%, प्रयागराज में 33.61%, गोरखपुर में 42.43% और आगरा में 40.32% वोटिंग हुई है। लखनऊ में 2017 में 39.99% वोटिंग हुई थी। इस बार 1.37% वोट कम पड़ा है। वहीं गोरखपुर में 3.2% वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है।

37 जिलों के 10 नगर निगम, 104 नगर पालिका और 276 नगर पंचायतों में वोट डाले गए। पोलिंग पार्टियां मतदान स्थलों से रवाना होने लगी है। आयोग ने बताया कि चंदौली के नगर पंचायत चकिया में दोबारा मतदान कराया जाएगा। फिलहाल पहले चरण के 10 महापौर की सीट पर बीजेपी का ही कब्जा चला आ रहा है। लेकिन इस बार लखनऊ में 1.37% कम मतदान हुआ।

फिलहाल वाराणसी, प्रयागराज, सहारनपुर और मथुरा-वृंदावन की सीट पर चुनाव मतदान का प्रतिशत बीजेपी को टक्कर देने की संभावना है। फिलहाल साल 2017 में पहले चरण चुनाव के सभी सीट पर कब्जा है। अब दूसरे चरण का मतदान 11 मई को होना है।

नतीजे तय करेंगे सियासी दलों का चुनावी सफर, बीजेपी के बाद बसपा, सपा और कांग्रेस का दांव

यूपी निकाय चुनाव के पहले चरण में 37 जिलों में मतदान कम होने के साथ -साथ दलों की धड़कने तेज हो गई है। पहले चरण के मतदान ने सियासी दलों की धड़कनों की गति देने का काम किया है। अभी दूसरे चरण में वोटरों को रिझाने और नीतियों को बेसब्री से इंतजार है। चुनाव के नतीजे इन दलों को न केवल लोकसभा चुनाव का रास्ता दिखाएंगे बल्कि आगे की चुनौती रणनीति बनाने में खासी मददगार होने वाले हैं। यही वजह है कि इस बार के निकाय चुनाव में कई मायनों में अलग है। प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा के साथ-साथ सपा और बसपा तीनों ही पार्टियां निकाय चुनाव को लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देख रही हैं।

निकाय चुनाव के पहले चरण में गुरुवार को हुए मतदान के प्रतिशत ने जिलों के प्रभारी मंत्रियों की बेचैनी बढ़ा दी है। पहले चरण में 10 महापौर के लिए हुए मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत उत्साहजनक नहीं रहा। चुनाव में भाजपा का पलड़़ा भारी है। चुनाव विश्लेषक मान रहे हैं कि भाजपा दो तिहाई सीटों पर जीतने जा रही है‚ लेकिन मतदान प्रतिशत ज्यादा न होने से जीत के मतों का अंतर कम होगा। इससे जिन जिलों के प्रभारी मंत्रियों को महापौर प्रत्याशियों को जिताने की जिम्मेदारी दी गयी है‚ वह बेचैन हैं। 2017 में महापौर की सभी 10 सीटें भाजपा ने जीती थीं।

मतदान कम होने से प्रभारी मंत्रियों की बेचैनी बढ़ी

चुनाव के पहले चरण में राज्य के 10 नगर निगमों लखनऊ‚ वाराणसी‚ प्रयागराज‚ गोरखपुर‚ मुरादाबाद‚ फिरोजाबाद‚ आगरा‚ सहारनपुर‚ मथुरा वृंदावन और झांसी में मतदान हुआ। मतदान 2017 से कम हुआ है। मसलन लखनऊ में 2017 में 36.62 मतदान हुआ था‚ जबकि गुरुवार को 36.97 फीसदी मतदान हुआ। मसलन राजधानी लखनऊ में ही पिछले चुनाव की तुलना में 1.65 फीसदी कम मतदान हुआ। यही हाल प्रदेश के अन्य नगर निगमों में भी रहा। यह स्थिति तब रही जब कुछ नगर निगमों में नये क्षेत्र में जोड़़ दिये गये हैं। इस मतदान प्रतिशत के घटने से प्रभारी मंत्रियों की बेचैनी का कारण और कुछ नहीं‚ बल्कि भाजपा के जीतने वाले महापौरों के मतों का अंतर कम होने को लेकर है। हालांकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी का दावा है कि भाजपा महापौर की सभी सीट जीत रही है।

जीत तय मान रहे प्रभारी मंत्री लेकिन स्वीकार कर रहे कि जीत के मतों का अंतर कम होगा

भाजपा ने वाराणसी नगर निगम की सभी सीटों पर जीत के लिए आयुष मंत्री दयाशंकर मिश्र दयालु‚ स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल और श्रम एवं कल्याण मंत्री अनिल राजभर को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके अलावा वाराणसी के प्रभारी मंत्री जयवीर सिंह भी सभी सीटों पर जीत के लिए पूरी ताकत लगाये हुए हैं। जीत में कहीं कोई संदेह न रहे इसके लिए सीएम योगी के अलावा दोनों डिप्टी सीएम केशव मौर्या व ब्रजेश पाठक तथा संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह भी लगातार जनसभा एवं जनसम्पर्क कर जीत सुनिश्चित कराने में जुटे रहे। ऐसे ही गोरखपुर नगर निगम में जीत पक्की करने के लिए योगी आदित्यनाथ अकेले ही पर्याप्त माने जा रहे थे‚ लेकिन पार्टी की तरफ से प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना को भी जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।

प्रयागराज में बीते दिनों हुए उमेश पाल और फिर अतीक-अशरफ की हत्या के बाद हो रहे निकाय चुनाव में सभी की निगाहें लगी हुई हैं। प्रयागराज की सीटों को जिताने की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम केशव मौर्या के अलावा भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को दी गयी है। इसी तरह मुरादाबाद नगर निगम पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह चौधरी का गृह जनपद होने के नाते सभी की निगाहें लगी हैं। इसी तरह सहारनपुर नगर निगम को जिताने की जिम्मेदारी मंत्री बृजेश सिंह व जसवंत सैनी‚ मथुरा-वृंदावन की जिम्मेदारी गन्ना मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण‚ झांसी की जिम्मेदारी मंत्री बेबी रानी मौर्य और आगरा की जिम्मेदारी मंत्री ए.के.शर्मा को सौंपी गयी है।

इनमें से अधिकांश निगमों में बीते चुनाव में भाजपा ने जीत का परचम लहराया था। इस नगर निकाय चुनाव में भी भाजपा ने जबरदस्त चुनाव प्रचार करके मतदाताओं को झकझोर कर रख दिया है। वैसे तो प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी दावा कर रहे हैं कि वह सभी 10 सीटें जीतने जा रहे हैं। उन्हें जीत में कहीं से कोई संदेह नहीं है।

पहली बार बसपा सिंबल पर, सपा ने एक भी यादव मेयर प्रत्याशी नहीं उतारा

चुनाव में इन दलों की तरफ से नए प्रयोग किए गए भाजपा ने जहां पहली बार बड़ी संख्या में मुसलमानों को मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने मुस्लिमों को रिझाने की जोरदार कोशिश की है। सपा ने अपने परंपरागत वोटर यादव की जगह अन्य पिछड़ा वर्ग पर दांव लगाने के साथ-साथ बसपा के परंपरागत दलित वोटरों में भी सेंधमारी की कोशिश की है। सभी की नजरें फिलहाल मुस्लिम और दलित मतों की झुकाव पर है। जो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इन दलों का रास्ता दिखाने का काम करेंगे।

बीजेपी ने मुस्लिम उम्मीदवार उतारकर नया संदेश दिया

खास बात यह है कि बसपा पहली बार अपने सिंबल पर निकाय चुनाव लड़ रही है बसपा प्रमुख मायावती ने जहां मेयर के कुल 17 में से 11 सीटों पर मुसलमानों को उतार कर अपनी सोशल इंजीनियरिंग का नया प्रयोग किया है वहीं सपा ने एक भी सीट पर यादव बिरादरी से किसी को भी नहीं उतारा है सपा के यादव बिरादरी को टिकट न देने और बसपा का मुसलमानों पर जोर होने से सभी की नजर इस बात पर है कि मुस्लिम, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित वोटरों को रुझान किधर रहता है। इसके साथ ही भाजपा ने 319 मुस्लिमों को मैदान में उतारकर नया संदेश देने की कोशिश की है। निकाय चुनाव की डुगडुगी बजने से पहले सपा ने कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण और उनकी जयंती को जोरदार तरीके से मना कर जहां बसपा की बेचैनी को बढ़ाया है। वहीं बसपा ने भी सपा की चाल पर पलटवार करते हुए मेयर पद पर 11 मुसलमान उम्मीदवार खड़ा किए हैं। पार्टियों की इन अहम चालों ने निकाय चुनाव को काफी अहम बनाने का काम किया है।

सबसे कम मतदान प्रयागराज में

इस निकाय चुनाव के पहले चरण में सबसे कम मतदान प्रयागराज जिले में हुआ। यहां महज 33.61% वोटिंग ही हुई। इसके बाद लखनऊ में 38.62%, आगरा में 40.32%, वाराणसी में 40.58% और गोरखपुर में 42.43% मतदान दर्ज किया गया।

5 जिले जहां हुआ सबसे ज्यादा मतदान

पांच बजे तक हुए मतदान के आंकड़ों के अनुसार, इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग महराजगंज 66.48% में हुई। चंदौली में 63.82%, कुशीनगर 64.11%, हरदोई 62.62% मतदान हुआ।

2017 में कहां कितना हुआ था मतदान?

पिछले नगरीय निकाय चुनाव में कुल 53 % मतदान दर्ज किया गया था। ये चुनाव तीन चरण में हुए थे। 2017 के चुनावों में पहले चरण में कुल 52.59% वोटिंग हुई थी।

निर्दलीय प्रत्याशी मुन्नी देवी की मौत

कासगंज में वार्ड नंबर 11 से निर्दलीय प्रत्याशी मुन्नी देवी की मौत हो गई है। मुन्नी देवी कासगंज नगर पालिका परिषद के वार्ड नंबर 11 से प्रत्याशी थीं। अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद उनकी मौत हो गई।

जिला 2023 मतदान % - 2017 में मतदान %

प्रयागराज : 33.61- 34.2

गोरखपुर: 42.43 -39.23

लखनऊ: 38.62- 39.99

आगरा: 40.32- 43.36

वाराणसी: 40.58- 44.39

मथुरा : 44.03 - 46.88

मुरादाबाद : 50.01 - 48.47

रामपुर 52.16- 54.5

रायबरेली 53.06- 54.7

बहराइच 52.97 - 54.8

जौनपुर 57.56- 54.91

फिरोज़ाबाद 52.26 - 55.74

बलरामपुर 55.63 - 57.05

सम्भल 53.33 - 57.18

देवरिया 42.95 - 57.29

झांसी 53.68 - 57.52

गाज़ीपुर 56.05 - 57.97

लखीमपुर खीरी 48.48 - 58.19

सीतापुर 55.87- 58.59

फतेहपुर 56.79 - 58.89

गोंडा 59.57 - 59.76

मैनपुरी 56.5 - 60.79

प्रतापगढ़ 57.88 - 61.51

जालौन 57.98 - 61.85

उन्नाव 58.96 - 61.86

मुज़फ्फरनगर 57.27 - 62.78

बिजनौर 58.89 - 63.35

श्रावस्ती 59.92 - 64.05

हरदोई 62.62 - 64.14

ललितपुर 58.76 - 64.9

कौशाम्बी 56.95 - 65

अमरोहा 63.41- 65.13

चन्दौली 63.82- 65.91

कुशीनगर 64.11 - 66.44

शामली 62.02- 66.83

सहारनपुर 56.37- 67.28

महराजगंज 66.48- 72.92


 si8y08
yhfee@chitthi.in, 10 June 2023

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