लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुए गोमती रीवर फ्रंट घोटले (Gomti riverfront scam) में यूपी के पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और दीपक सिंघल (Alok Ranjan and Deepak Singhal)की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इन दोनों से सीबीआई जल्द पूछताछ कर सकती है. सीबीआई ने इन दोनों से पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति मांगी है.
गोमती रीवर फ्रंट का निर्माण समाजवादी पार्टी की सरकार में हुआ था. जब से इसका निर्माण हुआ, बीजेपी अनियमितता के आरोप लगा रही है. ये पूरा घोटाला लगभग 1438 करोड़ का है. प्रदेश में जब योगी सरकार आई तो इसके जांच के आदेश दे दिए. वहीं, सीबीआई ने इस मामले में कई लोगों को अरेस्ट किया है.
ऐसे आरोप लगे कि जिन दो अफसरों को इस पूरे प्रोजेक्ट को देखने की जिम्मेदारी दी गई, उन्होंने पूरी तरीके से अनियमितता बरती. उस समय के मंत्री रहे शिवपाल यादव भी आरोपों के घेरे में आए. बिना किसी को बताए गुपचुप तरीके से टेंडर दिए जाने की भूमिका की भी सीबीआई जांच करेगी. इस घोटाले में सिंचाई विभाग के कई अधिकारी जांच के दायरे में हैं, इनमें विभाग के 16 इंजीनियर सहित 180 लोग हैं. इनमें कई सरकारी तो कई प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग हैं. इन्होंने कहीं न कहीं किसी तरीके से निर्माण कार्य के घपलेबाजी की या करने वालों का साथ दिया.
टेंडर देने के नियमों में बरती गई अनियमितता
गोमती रीवर फ्रंट के निर्माण में टेंडर देने के नियमों को ताक पर रख दिया गया. निर्माण कार्य से जुड़े इंजीनियरों ने दूसरे लोगों और कंपनियों से मिलकर फेक डॉक्यूमेंट्स तैयार कराए. जब इसके लिए टेंडर निकाले गए तो कोई विज्ञापन नहीं निकाला गया. आरोप है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि अधिकारी चाहते थे कि अपने चहते को ये ठेके मिले. इस घोटाले में सीबीआई ने तीन साल पहले 20 नवंबर 2020 को सिंचाई विभाग के अधिकारीर रूप सिंह यादव और क्लर्क राजकुमार यादव को अरेस्ट किया था.