नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त संगठन पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया और अपनी इस उपलब्धि का कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए जारी प्रचार के दौरान उल्लेख करना शुरू किया तो कांग्रेस को बात चुभ गयी। कांग्रेस को लगा कि इससे एक वर्ग का ध्रुवीकरण भाजपा के पक्ष में हो सकता है। कांग्रेस ने इसकी काट सोचनी शुरू की और काफी मंथन के बाद उसने जो काम किया है उससे कांग्रेस पर हिंदू विरोधी सोच रखने के आरोप लग गये हैं। हम आपको बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने अपना जो घोषणापत्र जारी किया है उसमें उसने ऐलान किया है कि वह सत्ता में आने पर बजरंग दल पर प्रतिबंध लगा देगी।
इसके अलावा कांग्रेस ने यह भी वादा किया है कि वह मुस्लिमों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण रद्द करने के बोम्मई सरकार फैसले को पलट देगी। कांग्रेस ने यह भी ऐलान किया है कि वह भाजपा सरकार के कई और फैसलों को पलटेगी। इसलिए सवाल उठता है कि यदि कांग्रेस को सत्ता मिली तो वह भाजपा सरकार के कौन-कौन-से फैसलों को पलटेगी? क्या भाजपा ने जबरन धर्मांतरण विरोधी जो कानून बनाया था उसे पलट दिया जायेगा? भाजपा ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर आपत्ति जताते हुए उस पर जो रोक लगाई थी, क्या वह हटा दी जायेगी? क्या कर्नाटक में भाजपा ने गौ हत्या के खिलाफ जो कानून बनाया था उसे रद्द कर दिया जायेगा? सवाल यह भी है कि जब कांग्रेस को तुष्टिकरण की राजनीति ही करनी है तो वह हिंदूवादी होने का ढोंग क्यों करती है? सवाल यह भी है कि क्या अपने कार्यकाल में पीएफआई की देशविरोधी गतिविधियों को नजरअंदाज करने वाली कांग्रेस ने कभी बजरंग दल को समझने की कोशिश की? सवाल यह भी है कि कहीं राम के अस्तित्व को ही स्वीकार करने से इंकार करने वाली कांग्रेस को बजरंग नाम पर तो आपत्ति नहीं है?
कांग्रेस पीएफआई और बजरंग दल को एक नजर से देख रही है तो यह उसकी नजरों का खोट ही कहा जायेगा क्योंकि पीएफआई एक आतंकी संगठन है जो किसी का हाथ काट देता है, किसी का सर तन से जुदा कर देता है तो किसी का निर्मम तरीके से मर्डर करवा देता है तो कभी देश में दंगे भड़काता है तो कभी अन्य देशविरोधी गतिविधियां चलाता है और उसका मिशन 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है। दूसरी ओर बजरंग दल की बात करें तो इस संगठन का काम इसके गठन के समय से ही समाज की सेवा, भारतीय संस्कृति का यशोगान करना, हिंदू धर्म के पर्वों-त्योहारों पर विराट कार्यक्रमों का आयोजन कर धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का प्रचार प्रसार करना, युवाओं में देशप्रेम का भाव जागृत कर उन्हें जिम्मेदार नागरिक बनाने के संस्कार देना और 2047 तक भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का संकल्प को सिद्ध करना है।
कांग्रेस को समझना होगा कि जैसे उसने आरएसएस की तुलना आतंकी संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड से करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारी थी वैसे ही उसने एक बार फिर बजरंग दल पर प्रतिबंध की बात कह कर देश के सनातन समाज की नाराजगी मोल ले ली है। यही कारण है कि अब चुनाव प्रचार जब अंतिम दौर में है तब कांग्रेस से अति उत्साह में गलती पर गलती होती चली जा रही है। कांग्रेस ने बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अपने ऊपर हमलावर होने का अवसर प्रदान कर दिया है। कांग्रेस का घोषणापत्र सामने आते ही प्रधानमंत्री ने कह भी दिया है कि यह देश का दुर्भाग्य है कि कांग्रेस पार्टी को प्रभु श्रीराम से भी तकलीफ होती थी और अब जय बजरंगबली बोलने वालों से भी तकलीफ हो रही है। दूसरी ओर, जहां तक इस मुद्दे पर विश्व हिन्दू परिषद की प्रतिक्रिया की बात है तो आपको बता दें कि परिषद के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सुरेंद्र जैन ने भी कांग्रेस की तीखी आलोचना करते हुए उसे हिंदू विरोधी बताया है।