गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को कोई अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने 2019 के मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की उनकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिससे उनकी संसद की सदस्यता चली गई थी। निचली अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को उनकी 2019 की टिप्पणी कैसे सभी चोरों का मोदी सरनेम एक जैसा है के लिए दोषी ठहराया। राहुल गांधी को दो साल कैद की सजा सुनाई गई, जिसने उन्हें सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया। सूरत कोर्ट के फैसले को लेकर राहुल गांधी ने गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राहुल गांधी को अंतरिम संरक्षण देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि वह छुट्टी के बाद अपना फैसला जून में सुनाएगी।
राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि मैंने इसे पहले मामले के रूप में देखा है जिसमें आपराधिक मानहानि के लिए अधिकतम सजा दी गई है। सिंघवी ने आज याचिका पर अदालत से फैसला मांगा। हालांकि, न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की अदालत ने कहा कि यह मामले के हित और फिटनेस में है कि इस मामले पर अंतिम रूप से फैसला किया जाए और इस स्तर पर कोई अंतरिम संरक्षण नहीं दिया जाए।
सिंघवी ने वायनाड लोकसभा क्षेत्र में संभावित उपचुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि एक लोक सेवक या विधायक के मामले में, इसके बहुत गंभीर अतिरिक्त अपरिवर्तनीय परिणाम होते हैं। शिकायतकर्ता भाजपा के पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वकील निरुपम नानावटी ने प्रतिवाद करते हुए कहा कि जब आप कहते हैं कि सारे मोदी चोर हैं, तो क्या यह नैतिक अधमता नहीं है? आप दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं? कि भारत का एक विपक्षी नेता हजारों लोगों के सामने अपने प्रधानमंत्री को चोर के रूप में पेश करता है?