इंफाल: मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के शुक्रवार को चुराचांदपुर जिले के दौरे से पहले हिंसा को अंजाम दिया गया. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थल पर तोड़फोड़ और आगजनी की घटना हुई. जिसके बाद जिले में बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को निलंबित कर दिया गया है. दक्षिणी चुराचांदपुर में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है. जिले में किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए जिले में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू कर दी गई है.
सीएम बीरेन सिंह जिले में एक जिम और खेल सुविधा का उद्घाटन करने वाले थे. सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तस्वीरों में एक हॉल के अंदर भारी भीड़ को कुर्सियों को तोड़ते और संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हुए दिखाया गया है, जहां बीरेन सिंह आज जाने वाले हैं. उन्होंने खेल उपकरण और उस मैदान को भी आग के हवाले कर दिया जहां कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि सीएम का कार्यक्रम रद्द किया गया है या नहीं.
क्यों हुआ बवाल?
स्वदेशी जनजातीय नेता मंच ने आज सुबह 8 बजे से शाम 4 बजे तक जिले में बंद का आह्वान किया है. मंच ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने चर्चों को ‘बिना किसी विचार और किसी चीज के सम्मान के साथ ध्वस्त कर दिया है. कूकी छात्र संगठन भी मंच के समर्थन में आ गया है, जिसमें आदिवासियों के साथ सौतेले व्यवहार का आरोप लगाया गया है. एक बयान में, कुकी छात्र संगठन ने कहा, ‘धार्मिक केंद्रों के विध्वंस और आदिवासी गांवों को अवैध रूप से बेदखल करने सहित उनके अधिकारों को कम किया जा रहा है.’
विरोध प्रदर्शन में पांच लोग घायल
इस साल 10 मार्च को, आदिवासियों ने तीन जिलों में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध रैलियां आयोजित कीं, जिन्हें कथित तौर पर कुकी उग्रवादियों का भी समर्थन प्राप्त था. तीन जिलों- चुराचांदपुर, कांगपोकपी और टेंग्नौपाल में शांतिपूर्ण विरोध हिंसक हो गया जिसमें इन घटनाओं में पांच लोग घायल हो गए. अफीम की खेती पर राज्य सरकार की कार्रवाई और वन भूमि में अतिक्रमण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए थे.
चर्चों को ध्वस्त करने पर नाराजगी
सरकार ने इस महीने की शुरुआत में मणिपुर में तीन चर्चों को ध्वस्त कर दिया था, जिसे ‘अवैध निर्माण’ कहा गया था. इसके बाद एक स्थानीय संगठन ने मणिपुर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरन की पीठ ने कहा कि दस्तावेजों, नीतिगत फैसलों और अवैध निर्माणों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर चर्च से लोगों को निकाला गया.